मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

Ek hangame pe mauquf




With bride and bride groom

Ghyasoddin shaikh,bride and Bride groom,Mrs Fareeda and others

With Anees  Sir Kalyan
                                                      
                                           एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक 
हुज़ैफ़ा ज़ाहिद शेख़  और राफिआ की शादी के वलीमे की दावत का एहतेमाम ग्लोरिया हॉल ठाणे में २९ दिसंबर २०२४ के रोज़ रात में किया गया था। ज़ाहिद शैख़ ने इसरार किया था के बेटे के वलीमे में अज़रूर शरीक रहे। ज़ाहिद  शैख़ साहेब जो मेरे खाला ज़ाद भाई और शगुफ्ता के फूफी ज़ाद है ,दुहरे रिश्ते का एहतराम भी करना था। ज़ाहिद को बचपन में धोबी आड़ी ठाणे के मकान में उनके घर अक्सर देखा था। अब देखना था के ससुर बनने के बाद वो किस तरह नज़र आते है। 
         में और शगुफ्ता रात ९ बजे ग्लोरिया हाल पहुंचे। हाल रौशनी से जगमगा रहा था। हम दोनों ने दूल्हा दुल्हन को स्टेज पर  जा कर मुबारकबाद पेश की  , मौके की ,मुनासबत से शेर सुनाया  
                                       मुझे सहल हो गयी मंज़िले वो हवा के रुख भी बदल गये 
                                       तेरा हाथ हाथ में आगया के चराग़ रह में जल गएँ 
    शानदार दावत थी। ज़हीर और आरिफ ने भी मेहमानो की मेहमान नवाज़ी में कोई कसर नहीं छोड़ी। ज़ाहिद ने भी हमारी वलीमे की दावत में शिरकत पर ख़ुशी का इज़हार किया। वलीमे में एवर यंग तारिक़ मुंशी भाई जान ,भाभी जान ,खालिद मुंशी एंड फॅमिली ,सीमा ,सुलेमान क़ादरी एंड फॅमिली ,अनीस सर ,ज़ाकिर (मुन्ना ),परवीन ज़ाकिर  ,नाज़िरोद्दीन एंड फॅमिली। से मुलाक़ात दुआ सलाम हुयी।  मेहमानो का न ख़त्म होने वाला सिलसिला था। हमारे समाज में बुज़र्गों का बड़ा एहतराम किया जाता है। वलीमे में भी सब लोग सब से पहले ग़यासुद्दीन शैख़ और फरीदा शैख़ (टेना खाला ) (ज़ाहिद शैख़ के वालेदैन ) से मिलने के बाद ही स्टेज पर जा रहे थे।  
      अल्लाह दूल्हा दुल्हन में हमेशा मोहब्बत क़ायम रखे अमीन। ज़ाहिद शैख़ को भी फ़र्ज़ की अदायगी पर दिली मुबारकबाद। 

With zahid Shaikh

शनिवार, 28 दिसंबर 2024

khushbu jaise log mile

                                          Ammar Irfan Sayed ke sath uski office me 
                                           एक और खेत पक्की सड़क ने निगल लिया 
                                           एक और गांव शहर की वस् अत में खो गया  (वस् अत -चौड़ाई )
     नवापुर शहर से मुझे  बचपन से क़ुरबत रही है।  मेरी  (ननिहाल )वालिदा वही से बिलोंग करती है और इंतेक़ाल के बाद वहीँ बड़े क़बरसतान में दफन है।अब तो इस शहर से क़ुरबत और बढ़ गयी है क्यूंकि यही मेरी ससुराल भी है इस शहर की शोहरत की वजह है गुजरात महराष्ट्र की तक़सीम ,नवापुर की टिकट विंडो महराष्ट्र में है और प्लेटफार्म गुजरात में। नवापुर एक sleeping town हुवा करता था। बचपन में ६ बजे शाम के बाद दुकाने बाजार बंद होजाया  करते थे । म्युनिसिपल से रात ८ बजे साईरन बाजाय जाता था उसके बाद शहर में एक हु का आलम हुवा करता। वहा की भतवाल सिनेमा में तनवीर मामू के साथ बहुत अंग्रेजी वेस्टर्न फ़िल्में देखि है। अब भतवाल सिनेमा की जगह रेसिडेंशियल काम्प्लेक्स बन गया है। नवापुर शहर के बीचों बीच से नेशनल हाईवे की तामीर हो रही है। दिन भर शहर मिट्टी से अटा रहता है। सूरत तक नेशनल हाईवे तैयार होचुका है। २ से ३ घंटे में  नवापुर से सूरत पहुंचा जा सकता है। नवापुर MIDC(  D+ ZONE) आदिवासी टैग लगने से ,पावर भी uninterrupted  available है। लेबर भी सस्ता है। ज़मींन भी सस्ती है। बड़ी बड़ी यार्न बनाने वाली companies सूरत से यहाँ शिफ्ट हो रही है। छोटा सा नवापुर टाउन शहर की सूरत इख़्तियार कर रहा है। इस बात का सुबूत है ,पिछले २ चार सालों  में केक की ८ दुकाने खुल चुकी है। फ़ास्ट फ़ूड के बेशुमार आउटलेट्स ,ब्रांडेड चाय की दुकाने। दो माल भी खुल चुके हैं ।रात देर तक स्टॉल्स लोगो से भरे रहते हैं।  अब तो नवापुर में traffic jam भी लगने लगे हैं।सय्यद बिरयानी ब्रांड, नवापुर की पहचान बन गया है।  नेशनल पेपर्स (Times of India )में भी नवापुर को सुर्ख़ियों में जगह दी जा रही है। शायद नवापुर चंद सालों में मालेगाव और भिवंडी को मात दे देंगा । लेकिन शहर में तब्दील होने पर नवापुर का सुकून बर्बाद होजाएंगा ,अब तो हो भी चूका है। खैर कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।  
                                               बात निकलेंगी तो दूर तलाक जायेंगी 
      नवापुर के लोगों के सोचने का अंदाज़ भी बदलता जा रहा है। quality  एजुकेशन पर नयी नस्ल का रुजहान बढ़ता जा रहा है। सैयद ख़ानदान में ३ क़ुरान के हाफ़िज़ , इंजिनीर्स , और एम. बी. ए मौजूद पाएंगे। 
  आज खुशबु जैसे लोग मिले में अम्मार इरफ़ान सय्यद को introduce करना चाहूंगा। अम्मार नवापुर के मशहूर मारूफ सय्यद खानदान से बिलोंग करते हैं। सिलसिले नस्ब (family tree ) अहमदाबाद के शाह वाजिहुद्दीन से जुड़ता है। मारूफ शरीफुद्दीन सय्यद (बच्चू भाई ) के पोते और इरफ़ान सैयद के फ़रज़न्द है। अल्लाह के रसूल (S.A ) ने नसीहत की थी के अपने बच्चों के खूबसूरत नाम रखे क्यूंकि नाम की खुसूसियत बच्चों में ज़ाहिर होती है। इरफ़ान सय्यद ने नाम रखा अम्मार जिस का मतलब होता है बनाने वाले। नाम ही निस्बत /बरकत से मुंबई के मशहूर साबू सिद्दीक़ कॉलेज से  (B.E Civil )यूनिवर्सिटी में ९३% मार्क्स हासिल करके टॉप किया। इरफ़ान  (अब्बू )के साथ रह कर बिज़नेस की मालूमात हासिल की और साथ साथ M.TECH की तालीम मुक्कमिल की। 
         इस बार इरफ़ान ने मुझे और शगुफ्ता को अम्मार की ऑफिस ले जा कर उनसे मिलवाया। बड़ा खुशगवार मौक़ा था। अम्मार सयेद की ऑफिस का मुक़ाबला मुंबई की किसी कॉर्पोरेट ऑफिस से किया जा सकता है । स्टाफ वर्क स्टेशन पर अपने काम में मशग़ूल (busy ) थे। ऑफिस में खूबसूरत फिश पोंड देखने को मिला। ऑफिस के बाहेर क़तार दर क़तार खूबसूरत पौदे लगे थे। तितली की शक्ल के पौदे को देख कर ख़ुशी हुयी। बोंज़ाई प्लांट भी देखने को मिले। 
          पता चला इरफ़ान सय्यद ने अम्मार को तैरना सिखाया उस ने तो बड़ी लम्बी छलांग माशाल्लाह लगायी। जल जीवन योजना सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा चलायी जा रही है और financing वर्ल्ड बैंक से होती अब तक ४५ villages तक ये स्कीम अम्मार के ज़रिये पहुँच चुकी है लोग फायदा उठा रहे हैं। योजना क्या है  बोरिग पंप  installation १ लाख लिटर्स का ओवरहेड टैंक ,और देहात के हर घर तक पाइपलाइन। TATA CONSULTANCY SERVICES MUMBAI  की कड़ी निगरानी में ये योजना implement की जारही है। इस योजना को कामयाब करने के लिए अम्मार ने  १४ ,१५ लोगों का trained स्टाफ भी रखा है। खुद के वाटर टैंकर्स ,Poclain ,excavator भीअम्मार ने खरीद रखे हैं। माशाल्लाह जुमे की नमाज़ के बाद हम ने उसकी ऑफिस को विजिट किया था और अम्मार भी सफ़ेद कुर्ते पाजामे में मलबूस (पहने ) था। क़ुरान में सूरा जुमा में आयात है के जुमे की नमाज़ के बाद अपना रिज़्क़ तलाशने निकल पड़ो। बहुत ख़ुशी हुयी अम्मार का set up देख कर। अल्लाह खानदान के हर नौजवान को इसी तरह की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन 
         इरफ़ान सैय्यद ,रेहाना भाभी मुबारकबाद के मुस्तहक़ है बहुत खूबसूरत अंदाज़ में अम्मार की तरबियत की। अम्मार के लिए दिल की गहराईओं से शगुफ्ता मेरी जानिब से नेक ख़वाहशत ,दुवायें । अल्लाह दिन दुगनी रात चौगनी तरक़्क़ी अता करें आमीन सुम्मा आमीन। ,
           अम्मार ख़ुशी इस बात की भी है के लोगों तक पानी पुह्चाना  सवाबे जरिया है। तुम ईमानदारी से काम तो कर रहे हो ,माशाल्लाह घर घर पानी पहुंचा कर सवाब भी  कमा रहे हो। इसे कहते हैं "आम के आम गुठलियों के दाम "
                                       उक़ाबि रूह जब बेदार होती है जवानों में 
                                       नज़र आती है उनको अपनी मंज़िल आसमानो में 

   
                                           
          L To R Ammar sayyed ,Ragib Ahmed, Shagufta, Mrs. Rehaana Irfan sayed ,Irfan Sayed


 

सोमवार, 23 दिसंबर 2024

Akbar Qadri

                                                                अकबर क़ादरी  

             


                      Akbar Qadri ke sath

कोई बतलादे के एक उम्र का बिछड़ा मेहबूब 

                                     इत्तेफ़ाक़न कही मिल जाये तो क्या कहते हैं 

    १५ डिसेम्बर २०२४ इत्तेफ़ाक़न फरहान से मुलाक़ात करने रांदेर (सूरत ) जाना हुवाऔर वहां ,२ दिन रुकना भी  हुवा, तो कई पुराने रिश्तों को झाड़ पोंछ कर नयाँ पन अता हुवा। सग़ीर जनाब ,मुसरत और अज़्ज़हरुद्दीब से मुलाक़ातें हुयी। अकबर क़ादरी से अरसे बाद, उनके घर मुलाक़ात हुयी। बात चीत में वही बर्जस्तगी देखी ,सेहत भी माशाअल्लाह। मुलाक़ात से  पहले मैं ने उसे फ़ोन पर कांटेक्ट किया "कब आया राग़िब और घर कब आ रहे हो। अभी आजा हम दोनों मियां  बीवीअकेले हैं साथ खाना खायेंगे " उसी वक़्त अपने मक़ान का location गूगल पर शेयर कर दिया ७०३ ,मालाबार रेजीडेंसी । इसके इस खुलूस ने मुझे बहुत मुत्तासिर किया। 

  १०३० बजे सुबह  मैं और शगुफ्ताअकबर के  घर पहुंचे यास्मीन भाभी और अकबर ने हम दोनों को खुश आमदीद कहा नाश्ता पेश किया। बातों बातों में यादों का पिटारा खुला माज़ी (past ) और हाल (present ) के दरमियान की ऊँची दीवारें ढह गयी। और २ घंटे हम लोग पुरानी यादों से शराबोर होते रहे । 

                                      क्या लोग थे रहे वफ़ा से गुज़र गए 

                                      दिल चाहता है नक़्शे क़दम चूमते चले 

     Dr. क़ादरी  अकबर क़ादरी के वालिद की यादें ताज़ा होगयी।  उनका तकिअए क़लाम "hurry up slowly " हुवा करता था। अल्लाह उन्हें जन्नत के ऊँचे दर्जे इनायत करे बड़ी ज़िंदा दिल , खुश गवार शख्सियत के इंसान थे। छोटे छोटे जोक्स सुना कर महफ़िल को गुलो गुलज़ार कर देते थे। मुझे उनका एक लतीफा आज तक याद  है। एक अँगरेज़ किसी मुक़ाम से गुज़र रहा था। देखा एक इंडियन आदमी लकड़ियां काटने में मसरूफ था ,लकड़ियों ढेर लगा था। अँगरेज़ ने हिंदुस्तानी आदमी से सवाल किया "what is this place name " हिंदुस्तानी समझा लकड़ियों के बारे में सवाल कर रहा है। उसने जवाब दिया "कल काटा " अँगरेज़ ने कहा " ok this place name is culcatta " इस तरह कलकट्टा का नाम पड़ा। 

   लम्बी उम्र की दूआ देने वाले दुनिया से ग़ायब होते जा रहे हैं। अकबर की अम्मा भी हमेशा मुझे छोटी छोटी बातों पर दुवायें  दिया करती थी , उनोहने  कभी भी मुझे सही नाम से नहीं पुकारा। कभी कभी राकेट तो कभी राजेश कह कर बुलाती लेकिन थी मामता की मूरत। अल्लाह उनेह अपने जवारे रहमत में जगह अता करे आमीन। 

                                          आयी किसी की याद तो आंसु निकल पड़े 

                                           आंसु किसी की याद के कितने क़रीब थे 

अकबर ने मॉमू मिया अफ्ज़लोद्दीन उर्फ़ लाला मियां की यादें ताज़ा कर दी। किस तरह अकबर को साथ  अहमदाबाद ले जा कर उसे गुजरात हुकूमत से फिशरीज ऑफिसर का appointment letter दिलवाया था। सग़ीर जनाब को भी टीचर पोस्ट का appointment letter  उन्होंने ही दिलवाया था। अकबर इतने साल बाद भी अपने मोहसिन को नहीं भूल पाया। न जाने कितने क़ौम के नौजवानो की मुस्तक़बिल की राह मामू मियां ने आसान की होंगी। हम चारों भाइयों पर भी उनकी नज़रे इनायत थी। उनके अहसानों को हम किसी क़ीमत पर भी भूल नहीं सकते। अल्लाह मामू मियां को जन्नत फिरदौस में आला मक़ाम आता करे आमीन। 

                                                तुम याद आये साथ तुम्हारे 

                                                गुज़रे ज़माने याद आये 

      शफ़ीक़ ,रहम दिल ,हम सब के राहबर मरहूम हाजी सादिक़ अहमद के ज़िक्रे खैर के बग़ैर यादों का  सिलसिला  मुक़्क़मिल नहीं हो सकता। वो हम सब के ideal थे। उनकी बातों उनकी यादों का लमुतनाही सिलसिला था हम सब शराबोर होते रहे। यक़ीनन वो जन्नती है। सदियों में ऐसी शख्सियत पैदा होती हैं और अपने पीछे एक पूरी जनरेशन की ज़हनी तरबियत कर जाते हैं। उनकी जुदाई पर किसी शायर का ये शेर याद आगया 

                                                     अजीब दर्द का रिश्ता था सब के सब रोये 

                                                      शजर गिरा तो परिंदे तमाम शब् रोये 

    dr लियाक़त ,dr वासिफ , अफ़सान ,भाभी ज़ुबेदा ,शम्सु आप ,अहमदुल्ला ,लुबना ,समीरा ,नाएला ,उज़्मा गोरे मामू माज़ी की किताब के पन्ने उलटते रहे। आखिर में अहमद मिल के  यूनियन लीडर ,जावेद अहमद की याद  अकबर ने की, में ने फ़ोन लगा कर अकबर से जावेद की बात भी करा दी।  अतीत से आज की चकाचौंद दुनिया की तरफ लौटना भी एक तकलीफ दे अमल था। 

     अकबर के साथ बीताये दो घंटे दो पल की तरह लगे। 

      अकबर MSc मुक़ामिल करने के बाद गुजरात government में Fisheries officer की gatzzeted पोस्ट से रिटायर हुवा।  अब भी अपनी मालूमात से लोगों को फ़ैज़याब कर रहा है। consultant की services दे कर हफ्ते में ३ दिन अपने आप को मसरूफ रखता है। बेटा साहिल क़ादरी अपनी अहलिया के साथ उलवा नवी मुंबई में मुक़ीम है। अकबर ने कोंकण अपने आबाई गांव धापोली में खूबसूरत बांग्ला तामीर किया है। साल में ३ महीने हापुस आमों के सीज़न में अपने सेकंड होम में गुज़रता है कुछ अरसा मिया बीवी साहिल एंड फॅमिली के साथ भी  खुशगवार वक़्त गुज़रते हैं। 

     अकबर ,यास्मीन भाभी हम दोनों को छोड़ने की लिए सोसाइटी गेट तक आये। हम सब बीती यादों में डूब कर जज़्बाती हो गए थे। वक़्त जुदाई किसी उर्दू शायर का ये कतआ मेरे ज़हन में गूंजने लगा। 

                          वक़्त खुश खुश काटने का मश्वरा देते हुए 

                          रो पड़ा वो आप मुझ को हौसला देते हुए 

                           जब तलक नज़र आता रहा तकता रहा 

                          भीगीं आँखों उखड़े लफ़्ज़ों से दूआ देते हुए 

 जैसे जैसे हमारी उमर में साल जुड़ते जा रहे हैं क़रीबी ताल्लुक़ात रखने वाले लोग काम होते जा रहे हैं , अकबर क़ादरी जैसे मुख्लिस लोगों की क़द्र हमारे दिल में बढ़ती जा रही है। अल्लाह सेहत तंदुरुस्ती के साथ अकबर क़ादरी भाभी यास्मीन  का साथ क़ायम रखे उनकी उमर दराज़ करे आमीन। 





               

सोमवार, 9 दिसंबर 2024

MOHIB MUJAHID SHAIKH


                                                      

                                                          खुसबू जैसे लोग मिले     

                                                            मोहिब मुजाहिद शेख  

                                                     मेहनत से वो तक़दीर बना लेते हैअपनी 

                                                   विरसे में जिनेह कोई खज़ाना नहीं मिलता 

अब तक में इस टॉपिक पर बुज़र्गों के खाके लिखता रहा हूँ। आज एक नौजवान जो अपनी मेहनत ,ईमानदारी ,जाँफ़िफिषानी से कम उम्र (Age ) में तरक़्की की कई पॉयदाने तै करके ,अपना एक मक़ाम बना लिया।  

   मोहिब शेख़ अनवर साहब डिप्टी कलेक्टर का पोता ,मुजाहिद सर का बेटा। मुजाहिद सर बहुत कम उम्र में इंतेक़ाल कर गए वो भी B.A ग्रेजुएट थे। सब से पहले जलगाओं रिलेटिव ग्रुप फॉर्म किया। ५०० रिश्तेदारों को एक मंच पर  इखट्टा किया। इस दुनिया से रुखसत होगये। 

                                                    राहों की ज़हमतों का तूमेह क्या सुबूत दूँ 

                                                    मंज़िल मिली तो पाव  के छाले नहीं रहे 

  मोहिब की ज़िन्दगी कोशिशों से भर पुर रही। जलगांव यूनिवर्सिटी से B.COM करके डिप्लोमा इन टेक्सेशन लॉ किया। जलगांव शहर में जदोजहद जारी रखी। CA की ऑफिस में काम करता ,  लोगों के आधार कार्ड डॉक्यूमेंट बनाता रहा। फ़ूड डेलिवेरी का काम भी किया। इंग्लिश क्लास्सेस ज्वाइन की इंग्लिश पर कमांड हासिल किया। शहादा में एकाउंट्स का काम भी किया। जलगाव के पहले इक़रा खानदेश के प्रोग्राम को मोहिब ही ने यू  टयब पर रिले किया था। 

                                                        जिन के मज़बूत इरादे बने पहचान उनकी 

                                                        मंज़िलें आप ही होजाती है आसान उनकी 

 फिर उसकी किस्मत ने ज़ोर मारा माशाल्लाह बहरीन में उसे अकाउंटेंट की ऑफर मिली। दो साल से कम अरसे में उसके वालिद मुजाहिद का इंतेक़ाल होगया। उसने हिम्मत नहीं हारी ,बहरीन में अपनी काविशें जारी रखी दूसरी कंपनी में सीनियर अकाउंटेंट की पोजीशन मिली। अब अपने आप को नए सेट उप में एस्टब्लिश करने में मिया मोहिब मसरूफ है। अल्लाह उनेह कामयाबी अता करे मुस्तक़बिल की राहें मुन्नवर करे आमीन। मोहिब की तरक़्की में उसकी वालिदा मोफिज़ा की दुवाओं का बहुत असर रहा है। 


  

  



एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया

                                            एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया 

आज सुबह (९ दिसंबर -२०२४ )जलगांव की मुबाउनिस्सा की मौत की खबर सभी रिश्तेदारों के ग्रुप्स में नज़र से गुज़री तो समझ में नहीं आया कौन मोहतरमा इंतेक़ाल कर गयी। मखदूम अली ने फ़ोन पर इत्तला दी मुबा मुमानी  ७९ की उम्र गुज़ार कर इस जहाने फानी  से कूच कर गयी। सकते में चला गया ,मखदूम अली भीअपने जज़्बात पर काबू न रख सका सिसकियाँ लेता रहा । 

     जलगांव का तार्रुफ़ तीन चीज़ों से किया जा सकता है। मेहरून का तालाब ,मेहरुन के बेर जाम और दिल से क़रीब मुबा मुमानी। शायद कोई जलगांव विजिट करे और ऊन से मुलाक़ात न करे। शहर के बीचों  बीच मुमानी का मकान ,आठवडा बाजार से क़रीब ,हम वहां से गुज़रे , औरउसे नज़र अंदाज़ कर ही नहीं  सकते थे। शायद ही कोई हमारी १९७१ मट्रिक बैच का साथी रहा हो जो उनेह न जानता हो। मखदूम अली की मुमानी हम सब की मुमानी। मरहूम इंस्पेक्टर शेर अली सय्यद , मरहूम इंस्पेक्टर रफ़ीक शैख़ ,निसार ,सादिक़ ,हसन गाहे गाहे उन से मुलाक़ात कर ही लेते थे। जब  भी उन से मिलने गया एक जुमला सुनने को मिलता " अरे रागिब बहुत दिनों बाद आया रे "

तुम्हारे लहजे म जो गर्मी व हलावत है 

उसे भला सा कोई नाम दो वफ़ा की जगह 

ग़नीमे नूर का हमला कहो अंधेरों में 

दयारे दर्द में आमद कहो बहारों की 

भला किसी ने कभी रंग व बू को पकड़ा है 

शफ़क़ को क़ैद में रखा हवा को बंद किया 

   मुमानी हमेशा मद्धम ,शहद से दुबे लहजे में गुफ़्तगू  करती थी। कभी भी किसी से तल्ख़ गफ्तगु ,ग़ुस्सा करते नहीं देखा। दराज़ क़द ,दूध की तरह शफाफ रंग। चेहरे पर अजीब वक़ार था आदमी देखते ही मरऊब होजाता था। मुझे हमेशा बचपन में लगता था  जैसे वो किसी ऊँचे खानदान से ताल्लुक़ रखती हो। लेकिन हम सब के लिए मोम की तरह नरम हुवा करती।  मुबा मुमानी ने अपने दो बच्चों नाज़िरोद्दीन,कफील  और  अपने भांजे ,मखदूम अली को अपने लखत जिगर से ज़ियादा चाहा ,इलावा मेरी भी  तरबियत में, उनक हाथ रहा है। हमेशा नसीहत आमेज़  गुफ्तगू करती थी। मेरी अम्मा जब मैं ९ साल का था इंतेक़ाल कर गयी थी। उनके चेहरे में  मुझे मामता की  झलक नज़र आती थी। 

 उनकी एक खासियत ,रिश्तेदारों की  Encyclopedia थी। रिश्तेदारों की किसी भी क़िस्म की  मालूमात उनके फिंगर टिप्स पर रहा करती थी। रिश्तेदारों के ताल्लुक़ से शायद ही कोई अब इतनी जानकारी रखता हो।  फॅमिली ट्री तरतीब देने में मरहूम मिस्बाह अंजुम ने उन से बहुत मदद ली थी। 

                                                       हमारे दिल से लेकिन कब गया वो 

 मुबा मुमानी के इंतेक़ाल पर हम सब तो सब्र करलेंगे। मामू  की कुछ और ही बात है ,शायद ही कभी मुमानी से जुदा रहे हो ५० सालों की रफ़ाक़त पल भर में टूट गयी ,उन की जिंदिगी में  हमेशा एक खला सी रहेंगी ,जो शायद ही पुर हो सके। 

  अल्लाह हम सब को सबरे जमील अता करे। कहा जाता है अच्छे लोग लौंग इलायची की तरह अनका (कम ) होते जा रहे हैं। मुबा मुमानी भी नहीं रही लेकिन उन  की यादें हमेशा हमारे दिलों में ताज़ा रहेंगी अल्लाह मुमानी मुबा को जन्नत के आला दरजात आता करे अमीन सुम्मा अमीन। 

    



बुधवार, 20 नवंबर 2024

Sayli weds Tushar

                                                  हम ने क्या खोया हम ने क्या पाया 

सायली और तुषार की शादी। कहा जाता है लड़कियां ताड़ की तरह बढ़ती है। सायली की वो पहली किलकारी ,पहले पहले तुतले तुतले लहजे (Accent )में बात करना ,रेंगना ,फिर गिरते पड़ते ,चलना सीखना भाबी लता और प्रकाश सोनवणे कभी भूल नहीं पाएंगे। फिर कीड़े मकोड़े की तरह लिखने  पर आप लोगों  ने ज़रूर जश्न  मनाया होंगा।  स्कूल की सायली की शरारतें ,स्कूल कॉलेज में टॉप करने पर ख़ुशी का एहसास ,हर साल सायली  की सालगिरह की पार्टी। उसके दोस्तों से मिलने पर दिल के किसी गोशे में ख़ुशी की लहरें उठना। 

                                                  तुम चले जाओंगे तो सोचेंगे 

                                                   हम ने क्या खोया हम ने क्या पाया 

        बच्चों के जाने के बाद ज़िन्दगी में खोने के एहसास ही बाक़ी रह जाता है। फिर उसके पुराने एल्बम ,वीडियोस हमारी ज़िन्दगी का सरमाया होजाते हैं। उसकी अलमारी रखे उसके कपडे  ,उसके पुराने खिलोने हमारे लिए ख़ज़ाने से बढ़ कर होजाते हैं।  वह जब भी मिलने आएँगी घर बहार की तरह खिल उठेंगा ,उस की जुदाई पर महसूस होंगा 

                                           तेरी क़ुरबत के लम्हे फूल जैसे 

                                           मगर फूलों की उम्र मुख़्तसर हैं 

    ज़न्दगी की यही रीत है। बेटी दामाद के साथ ही शोभती है। माँ बाप शादी का फ़र्ज़ अदा करके हमेश यही दुआ देते हैं 

                                             जहाँ रहे वो खैरियत के साथ रहे 

                                              उठाये हाथ तो ये  दुआ याद आयी 



   

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

salgirah mubarak

गुड इवनिंग नमस्ते 
ये तो एक रस्मे जहाँ है जो अदा होती है 
वरना सूरज की कहाँ सालगिरह होती है 
आज में आप सब  के सामने हमारी दो ब्यूटीफुल लेडीज के बर्थ डे की मुबारकबाद देती हूँ। और थोड़ा सा कुछ में ने अपने दिल के जज़्बात पेश करने की कोशिश की हूँ। उसे में आप के सामने पढ़ कर सुनाती हूँ। जब में ने पहली बार चंद्र कला ऑन्टी को देखा उसी वक़्त मेरे दिल में एक अच्छी सी फीलिंग आयी। बाद में हम बार बार मिलने लगे और में उनके बारे में और उनके नेचर के बारे में जानने लगी। तू मुझे बहुत ख़ुशी हुयी। सब से खुश दिली से मिलना ,सब की बात सुनना और हमेशा मुस्कुराते रहना ये उनका सवभाव है। अब जब भी में गार्डन आती हूँ तो में तम्मना करती हूँ के आज ऑन्टी गार्डन में ज़रूर हो। अगर वो किसी दिन नहीं होती मुझे थोड़ी मायूसी होती। 
       अब दूसरी गुप्ता ऑन्टी ,के बारे में जितना जानती हूँ ,वह भी बहुत अच्छे सवभाव की है ,और अपनी फिटनेस पर बहुत ध्यान देती है। और दोनों लेडीज अभी भी कितनी ब्यूटीफुल लगती है। दोनों में दोस्ती भी बहुत है।
        ऊपर वाला उनकी जोड़ी सलामत रखे ,और दोनों को हमेशा हँसता मुस्कुराता रखे। दोनों बहुत पॉजिटिव नेचर की हैं। हमें उनसे बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। उनका हाथ हमारे सर पर हमेशा बना रहे।  अब में इस शेर के साथ यहीं पर ख़त्म करती हूँ 
            तुम जियो हज़ारो साल 
             साल के दिन हो पचास हाज़र 
शगुफ्ता शेख़ 
















रविवार, 22 सितंबर 2024

Inquilab ke liye

                                                              جو بات کہے وہ کرے     

سورہ صف میں الله فرماتا ہے "تم وہ کہتے کیوں ہو جو کرتے نہیں بچے ننھے پودوں کیطرح  ہوتے ہیں  ان میں احساس زممیداری جگانے کے  لئے نصیحتیں کارگرثابت  ہوتی ہیں لیکن اگر آپ خود سوشل میڈیا پر گھنٹوں برباد کر رہے  ہیں اور بچوں کو سوشل میڈیا پر وقت برباد کرنے سے روک رہے ہیں ،تو آج کی جنریشن اتنی زہین ہیں جو ہر چیز پر غور کرتی ہیں   خود کتابیں پڑھے خود نماز کی پابندی کرے  گھر کے کام میں حصّہ لیں خود فاسٹ فوڈ سے دور رہے اور پھر بچوں کو بتایں کے کس طرح یہ چیزیں صحت کو برباد کرتی ہے اور ان چیزوں سےدوری  بنا کر کتنے پیسوں کی بچت ہو سکتی ہیں -   وقت کی پابندی کا احساس کریں اآپ خود روزانہ پابندگی سے مورننگ واک کر  رہے ہیں  تو انہں بھی اس بات کا احساس ہوگا کے صحت کے لئے یہ کتنا ضروری ہے 

شگفتہ راغب شیخ       

نیرول (نوی ممبئی )                             

शुक्रवार, 13 सितंबर 2024

INQILAB ODHNI KE LIYE

                                                                                       

                                                                               اوڑھنی کےلئے 

                                            معمر والدیں کے ساتھ وقت گزارنا کیوں ضروری 

                                                                        قرآنی حکم پر عمل 

قرآن میں شرک  سے بچنے کے  بعد سب سے زیادہ جس بات کی نصیحت کی گی ہے وہ ہے ماں باپ کے ساتھ حسن سلوک 

بوڑھے والدین کے ساتھ وقت گزار کر ہم انکے تجربات سے بہت کچھ سیکھ سکتے ہیں 

انکے غم پریشانیاں شیر کرنے پر انھیں خوشی ملتی ہیں سکوں حاصل ہوتا ہے 

اپنے ساتھ تفریح پر لیجانے سے انکی تنہایی دور ہوتی ہے انکا دل بڑا ہوجاتا ہے 

انکی دعا ہماری زندگی میں سکوں ،خوشیاں اور طمانیت بھر دیتی ہیں 

نواسے نواسیاں ،پوتے پوتیوں سے مل کر انکی خوشیوں میں اضافہ ہوجاتا ہے 

ہم بھی ان سے مل کر صحت کے تعلّق سے اچھے مشورے دے سکتے ہیں 

الله ہر کسی کو اپنے بوڑھے والدین کی خدمات کی توفیق عطا کرے --آمین 

شگفتہ راغب شیخ 


मंगलवार, 3 सितंबर 2024

mubarakbad

                                                                                         مبارکباد 

مکرمی 

خطیب کوکن جناب علی ایم شمسی صا حب  کے سماجی ،فلاحی کاموں اور قوم کی خدمات کے کاموں کا  اعتراف کرتے ہوے آپکو کوکوکن مرکنٹائل بینک کی جانب سے "لائف ٹائم اچیومنٹ ایوارڈ " سے نوازا گیا -موصوف کو یشونت راؤ پرتیستان نوی ممبئی کی طرف سے "سپرچول لیڈر " کے خطاب سے بھی کچھ عرصہ پہلے نوازا گیا تھا.آپ نے اپنی عمر کے طویل ٧٠ سال سماجی کاموں کے نظر کے ہیں مرکزفلاح کے تمام ترستیاں اور اہل نوی ممبئی آپکے فلاحی کاموں کو سلام کرتے ہے دل سے مبارکباد پیش کرتے ہیں اور موصوف کے لئےعمر میں برکت کے لئے دعا کرتے ہیں آمین 

راغب احمد /حمید خانزادہ /اوصاف عثمانی /منصور جٹہام /ڈاکٹر شریف 

रविवार, 18 अगस्त 2024

Rakhi special

                                         किसी के ज़ख्म पर चाहत की पट्टी कौन बाँधेंगा 

                                         अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेंगा 

आप सब को रक्शा बंधन के इस पावन औसर पर ढेर सारी मुबारकबाद 


गुरुवार, 8 अगस्त 2024

video game ek lanat

                                        

                               


                                                     راغب احمد (نیرول نوی ممبئی )              

                                                                   ویڈیو گیم ایک لعنت


الله تعالیٰ فرماتا ہیں "تم میری یاد سے غافل ہوجاوونگے میں تمہں اپنے آپ سے غافل کر دونگا " ویڈیو گیمز کھیلتے کھیلتے ایک ایسا وقت بھی آتا ہے جب آخری اسٹیج پر پہنچ کر یا تو آدمی خود کشی کر لیتا ہے یا کسی اور کا قتل کر دیتا ہے تو کیا یہ اپنے آپ سے غافل ہونا نہیں ہے ؟

ہمارے معاشرے میں بچوں کی تربیت کا کام موبائل کر رہا ہے بچہ کھانا نہیں کھا رہا ہے ماں اسکے ہاتھ میں موبائل تھما کارٹون لگا کر موبائل تھما دیتی ہے بچہ ضد کر رہا ہے موبائل اسکا علاج ہوجاتا ہے ہمیں پھر پتا نہیں چلتا بچہ کیا کھا رہا ہے کتنا کھا رہا ہےماں اسکےمو  میں نوالے ٹھوستی رہتی ہے نتیجہ کھانا جسم کو نہیں لگتا یا اسے بعد میں بد ہضمی ہوجاتی ہے -ایک زمانہ تھا ماں بڑے لاڈ سے شیر کا نوالہ بکری کا ننوالہ اور ہمارے منے کا نوالہ کہ کر کھانا کھلاتی تھی نانا نانی دادا دادی چچی پورے خاندان کابچے پر دھیان ہوتا تھا یہاں تک محلے والے بھی کدی نظر رکھتے تھے آج کے زمانے میں خاندان ایک ساتھ کم ہی کھانا کھاتے ہیں ایک دوسرے کی پریشانی جاننے کے لئے بھی و قت نہیں ہوتا بچے فرسٹریٹ ہوکر اپنے آپ کو سوشل میڈیا ویڈیو گیمز میں مصروف ہوکر اپنا سکوں حاصل کر لیتے ہیں 

  ویڈیو گیمز کی عادت چھڑانے کے لئے ضروری ہے کے بچوں کے ساتھ وقت بتایا جایا -انہں اچھی کتابیں پڑھنے کی ترغیب دی جائے -فزیکل گیمز کھیلنے پر اکسایا جائے اور نماز کو مسجد ساتھ لیکر جانے کی کوشش کی جائے اور یہ کام اتنا آسان نہیں ہے اس کے لئے وقت درکار ہوتا ہے اگر پھر بھی بچے میں تبدیلی نے دیکھن  تو کسی اچھے سیکا ٹرسٹ کو کنسلٹ کرنا چاہیے

गुरुवार, 25 जुलाई 2024

Ayeshah Shirazi

आयेशा शिराज़ी हमारे खानदान की  माशाल्लाह तीसरी पीड़ी  (Generation ) से ताल्लुक़ रखती है। शारिक और इरम शिराज़ी की औलाद है। शिराज़ी खानदान अमेरिका में रिहाइश पज़ीर हैं। आयेशा की पैदाइश अमेरिका में हुयी और वही तालीम हासिल कर रही है। जब १० साल के बच्चे मोबाइल और गेम्स में मसरूफ दिखाई पड़ते हैं ,अपना क़ीमती वक़्त बर्बाद करते हैं इतनी छोटी उम्र में  आयशा की बेहतरीन तहरीर (write up ) पढ़ कर दिल खुश होगया। कहा जाता है इस्लाम इंशाल्लाह अमेरिका से ज़िंदा (resurrect ) होगा इस का ज़िंदा सबूत आयेशा जैसे बच्चे हैं। 

         आज के दौर की सब से बड़ी tragedy है हालत से मासूसी।  और उस का solution है सब्र और अल्लाह की ज़ात पर दिल की गहराइयों से यक़ीन। आयेशा अगर इंडिया में होती तो में उसे ज़रूर इनाम (prize ) से नवाज़ता ,लेकिन हमारी दुवायें और नेक ख़्वाहिशात आयेशा के साथ हैं। शारिक शीराज़ी और इरम शिराज़ी को भी मुबारकबाद उनोहने अपनी औलाद की तरबियत पर सही तवज्जेह दी। 

            आयेशा से request है future में भी इसी तरह अपने बेहतरीन ख्यालात से हम सब को फायदा पहुंचाती रहूंगी। अल्लाह आप को उम्र दराज़ नसीब करें। 

Ayshah Shirazi:

Ayesha Shirazi write up below 

There will be many challenges in our lives where an immense amount of stress will be on us. In Islam, these challenges are here to test us and to see how well we would handle it. It  is not always easy. But as Muslims, we should always have patience and   faith that Allah SWT will help. We should make Dua and seek guidance during these hard times. No matter how hard the challenge is; if you have a positive mindset, then you will get a reward for your patience.

Thursday, July 25, 2024 Ayeshah Shirazi 

Ayesha Shirazi belongs to the third generation of our family. She is the  daughter of Shariq and Iram Shirazi. The Shirazi family is a resident of America. Ayesha was born in America and is receiving her education there. When 10 year old children are seen busy in mobile phones and games, wasting their precious time. It made my heart happy to read Ayesha's excellent write up at such a young age. It is said that Islam will resurrect from America Inshallah, children like Ayesha are the living proof of this.

The biggest tragedy of today's times is poverty. And its solution is patience and faith in the existence of Allah from the depth of the heart. If Ayesha had been in India, I would have definitely honored her with a prize, but our prayers and good wishes are with Ayesha. Congratulations to Shariq Shirazi and Iram Shirazi too, they paid proper attention to the upbringing of their children. It is a request to Ayesha that in the future too, she will continue to benefit us all with her wonderful thoughts. May Allah bless you with a long life.

सोमवार, 22 जुलाई 2024

letter to inquilab


                                                                   इन्किलाब में छपा लेटर 

                                  नफरत की सियासत करने वालो को सुप्रीम कोर्ट की फटका

कानोडिया यात्रा के रास्ते में खाने पीने की चीज़ें बेचने वाले होटलें ,ढाबे और ठेले के मालिकों को  उत्तर प्रदेश ,उत्तरा खंड और मध्य प्रदेश सरकार ने हुक्म जारी किया के वह अपने मालिकों के नाम के बोर्ड लगाए। महुआ मित्र की एन जी ओ ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस को सुन कर सुप्रीम कोर्ट ने इस हुक्म पर रोक लगा दी है। जस्टिस ऋषि केश रॉय ,जस्टिस अस वी एन भट्टी ने उत्तर प्रदेश और उत्तरा खंड हुकूमत को नोटिस जारी कर दिया है। जस्टिस भट्टी ने अपने फैसले में यहां तक कह दिया के वह केरला में रिहाइश के दौरान मुस्लिम रेस्टोरेंट में वेजेटेरियन खाना खाया करते थे जहाँ साफ़ सफाई इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड की हुवा करती थी। उत्तर प्रदेश हुकूमत के इस फैसले पर पुरे मुल्क में इन्साफ पसंद तबके ने सवाल उठाये हैं लेकिन योगी सरकार कब किसी की परवाह करती है। सुप्रीम कोर्ट के इस जुर्रत मंदाना  (bold )फैसले पर योगी सरकार को शर्मिंदगी उठाना पड़ी। क्या उत्तर प्रदेश सरकार होश के नाख़ून लेंगी ?

राग़िब अहमद 

नेरुल (नवी मुंबई )


रविवार, 21 जुलाई 2024

salgirah mubarak

                                                              शगुफ्ता रागिब सालगिरह मुबारक 

तुम्हारा साथ साथ फूलों का 

तुम्हारी बात बात फूलों की 

सालगिरह के इस हसींन मौके पर दिल की गहराइयों से सालगिरह की  मुबारकबाद। तुम्हारी सेहत तंदुरुस्ती  के लिए दिल से दुआ। हमेशा इसी तरह हँसतें मुस्कराते रहो।  आमीन 

रागिब अहमद 

 

रविवार, 7 जुलाई 2024

ये तेरा घर ये मेरा घर

आराम कुर्सी 

पानदान 
कंदील शमा दान 




                                                                          हुक़्क़ा 

                                                            ये तेरा घर ये मेरा घर 

      पुरानी तहज़ीब के साथ साथ उस तहज़ीब से जुड़े पानदान ,शमादान ,हुक़्क़ा ,कंदील ,आराम कुर्सी ,उगालदान कब से हम ने कबाड़िये को बेच दिए हैं या घर के किसी कोने में कबाड़ी सामान के साथ रख दिए है। शकील खान के घर ईद पर  जाने का इत्तेफ़ाक़ हुवा। शकील साहब और उन की मिसेस आमना भाभी ने पुरानी  तहज़ीब की  इन निशानियों को उजाल कर अपने ड्राइंग रूम को सजाया है। और उन की देख भाल में , अपने जी जान लगा दिए है। उनका घर ने एक म्यूजियम की शक्ल इख्तियार कर ली है। 
                                    तहज़ीब को तलाश न कर शहर शहर में 
                                    तहज़ीब खंडरों में हैं कुछ पथरों में है 
         शकील खान के घर पुरानी तहज़ीब के इन शाहकारों को  देख कर तबियत खुश होगयी और पुराने ज़माने की यादें ताज़ा हो गयी। मुस्तकबिल में अगर किसी को इन पुरानी (antique ) चीज़ों को देखनी की ख्वाहिश हुयी तो शकील खान का पता बता दूंगा। 
          पुराने ग्राम फ़ोन रिकॉर्ड की  उन चीज़ों के दरमियान घर में कमी महसूस हुयी ,कही मिल जाएंगा तो  उनेह तोहफा में  दे दूंगा। 

शनिवार, 6 जुलाई 2024

आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा


                                                            With Shahbaz Ali Sayyed              

                 

                            At L&T complex Garden with liyaqat Ali Sayyed

                                                         जिस दिन से चला हु मेरी मंज़िल पे नज़र है 

                                                         आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा 

           मील का पत्थर मतलब mile stone  शहबाज़ का मतलब होता है ,शाहीन या बड़ा शिकारी परिंदा ऊपर लिखा शेर शाहबाज़ अली सय्यद की ज़िन्दगी पर सादिक़ आता है ,। वालिद शेर अली और वालिदा रोशन  की नाज़ नेमत में पली ,पहली औलाद शहबाज़। मुझे अछि तरह याद है 1983 साल में वालिद इंस्पेक्टर शेर अली सय्यद ने जिस धूम धाम से शहबाज़ अली सय्यद और साजिद अली सय्यद की बिस्मिल्ला का जश्न बरपा किया था ,नेहरू नगर कुर्ला में दोनों बच्चों को घोड़ो पर सवार बैंड बाजे म्यूजिक के साथ पुरे इलाक़े में घुमाया था। माशाल्लाह तमाम रिश्तेदारों को इस प्रोग्राम में खास दावत दे कर बुलाया था एक तारीखी हैसियत रखता है। मेरी नयी नयी शादी हुयी थी शगुफ्ता और मुझे भी इस तक़रीब (प्रोग्राम ) में दावत दे कर बुलाया गया था और हम शरीक भी हुए थे। 

                                                            ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं 

                                                             तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा      

          साल २००० में अचानक एक हादसे में  इंस्पेक्टर शेर अली सय्यद इस दुनिया से रुखसत हो गए। शायद शहबाज़ ने 12th का exam दिया था और सोमैया कॉलेज में BSc में एडमिशन भी लिया था। अच्छों अच्छों के हवास गम होगये थे। अकल काम नहीं कर रही थी। उस समय शहबाज़ पर अपने वालिद की वफ़ात पर क्या गुज़री होंगी ,हम जान सकते हैं। इस हादसे ने शहबाज़ अली को एक दिन में खलंडरे नौजवान से संजीदा मतीन शख्स में बदल दिया। उसके पीछे भाभी रोशन और चचा लियाक़त भी चट्टान की तरह खड़े रहे। शहबाज़ ने मर्चेंट नेवी ज्वाइन कर ली। कई कई साल शिप पर लगातार घर से  दूर ड्यटी करता रहा। कई exams पास किये ,Captain की वर्दी हासिल की। बहन की शादी करवाई। अपना घर बसाया और माशाल्लाह उसे नीलो की शक्ल में बा वफा शरीक हयात मिली। अपने तीनो औलादों की परवरिश और बेहतरीन तालीम के लिए लगातार कोशिशों में दोनों लगे हैं। इस दौरान शाहबाज़ अली ने ग़रीब रिश्तेदारों का भी काफी ख्याल रखा। सय्यद शेर अली और भाभी ने जो तालीम उसे दी थी और जिस पुख्ता किरदार में उसे देखना चाहा था उसपर वो पूरा उतरा। 

                                                           राहों की ज़हमतों (तकलीफों )का तुम्हे क्या सुबूत दूँ 

                                                            मंज़िल मिली तो पाँव के छाले नहीं रहें 

          इक्कीसवीं सदी के खूबसूरत शहर नेरुल में  L & T काम्प्लेक्स जो बेहतरीन facilities के साथ बना है।  Swimming Pool ,क्लब ,खूबसूरत मॉल,बँकेट हॉल  और sea wood स्टेशन पर ये complex नई मुंबई में अपनी एक मिसाल है। आज दिल से ख़ुशी भी हो रही है और दुवायें निकल रही हैं। Captain शाहबाज़ ने  L & T काम्प्लेक्स में अपने फ्लैट का possession ले कर हम सब को अपनी खुशियों  में शरीक करने के लिए दावत दे कर ऐज़ाज़ (इज़्ज़त ) बख्शा है। अल्लाह शाहबाज़ को बे इंतेहा तर्रकी अता करे। भाभी को उसके सर पर सलामत रखे। उसकी औलाद का मुस्तक़बिल रोशन करे। आमीन सुम्मा आमीन। 

          रिश्तेदार के हर बच्चे के लिए शाहबाज़ अली सय्यद की ज़िन्दगी एक मिसाल की हैसियत रखती है। सबक़ सीखे अपनी ज़िन्दगी में हमेशा जद्दो जहद में लगे रहे ,कामयाबी ज़रूर क़दम चूमेंगी। 

                                                                 खुदा ने आज तक उस क़ौम की हालत नहीं बदली 

                                                                 न हो जिसको ख्याल अपनी हालत के बदलने का 


          

         

               

         

शनिवार, 29 जून 2024

ये मुलाक़ात एक बहाना है


                                                   ये मुलाक़ात एक बहाना है 

                      पहले हक़ीक़तों ही से मतलब था और अब 

                       एक आध बात फ़र्ज़ भी करने लगा हूँ मैं 

इस शेर में फ़र्ज़ का मतलब (to assume ) होता है। 

           कल जुमा २८ जून २०२४ शाम ८ बजे हम सब को MEET APP पर  तमाम शेख़ ख़ानदान के मेंबर्स को  नवेद ज़ारा को हज की मुबारकबाद के लिए मिलना था। में और शगुफ्ता २ बार तैयार होकर , ०८२० तक इंतज़ार करते रहे। host समीरा को याद दहानी कराई गयी पता चला actual टाइम ०८३० बजे रखा गया था। हम सब मिल कर नावेद के पास बरोड़ा पहुंचे। हाजी नवेद हज्जन ज़ारा ने खजूर आबे ज़मज़म से हम सब की मेहमान नवाज़ी की। वहां से हम सब मिल कर नाएला के घर सऊदी (Riyadh )पहुंचे वहां भी वलीद  और  नाएला ने मेज़बानी के फ़राएज़ बा खूबी अनजाम दिए। हमारा अगला पड़ाव था UK (Manchester ) भाभी जान ,उज़्मा ,महक और ज़ैन ने हम सब को खुश आमदीद कहा भाभी जान ने अपने हाथों से बनाये खाने खिलाये। झींगे मछली का सालन ,पुराने दिनों की यादें ताज़ा कर दी। सना इलियास ने भी New Jersey में  हम सब का खैर मक़दम किया। वहां से इरम  के घर बाल्टीमोर पहुंचे माशाल्लाह इरम और शरीक ने भी दिलो जान से हमें खुश आमदीद कहा। लुबना और हैदर लसने California  में हम से मिल कर बहुत ख़ुश हुए  ,वही समीरा ज़ाहिद भी क़रीब में थे उनसे हम सब ने मुलाक़ात की। हमारे कारवां की अगली मंज़िल थी कनाडा (Calgary )। हिना ,मुज़फ्फर और सिदृरा हम सब से मिल कर बहुत खुश हुए। हम सब की आव भगत की। फिर सब नेरुल मेरे घर आकर शीर खुरमा पी कर सब अपने अपने घर लौट गए। 

ख्वाब था जो कुछ देखा था ,अफसाना था जो कुछ सुना था 

मॉडर्न टेक्नोलोग्य ने हर चीज़ पॉसिबल कर दी है। अल्लाह ने हमारे सातों दामाद और बेटियों, बेटा और बहु  को इतना नवाज़ा है सब से virtually मुलाक़ात करके इतनी दुरी होने के बावजूद इतनी क़ुरबत काअहसास हुवा। 

हम सब खुसूसी तौर पर शुक्र गुज़र है समीरा के जिस ने ये सब possible किया 

रविवार, 23 जून 2024

ग़रीबों का मसीहा डॉ अनवर शेख़


                                                             Dr late Anwar Shaikh
                                                  
                                                           ग़रीबों का मसीहा डॉ अनवर शेख़ 


                                                             लोग अच्छे हैं दिल में उतर जाते हैं 
                                                              बस एक खराबी है के मर जाते हैं 
डॉ अनवर शैख़ अपने वतन उत्तर प्रदेश से ९ जून २०२४ को फॅमिली के साथ लौटे। और दूसरे रोज़ १० जून २०२४ (३ ज़िल हज १४४५ ) को उस जगह पहुँच गए जहाँ से किसी को लौट कर नहीं आना। ज़िल हज के मुबारक महीने में वफ़ात पाना फिर असर की नमाज़ के बाद जामा मस्जिद नेरुल में कई सौ लोगों ने उनकी नमाज़े जनाज़ा में शिरकत की (खुश किस्मत रहे उनकी पांचों  औलादे जनाज़े में शरीक थी )और नेरुल सेक्टट-३ के क़ब्रस्तान में उनेह  सुपर्दे खाक (दफनाया )  किया गया ,
        डॉ अनवर क़द छोटा था मगर शख्सियत महान थी। आप के होंटों पर हमेशा मुस्करात सजी होती। सब से खुलूस से मिलते। में अपनी फॅमिली के साथ विघ्नहर सोसाइटी (बी-३ /१०३ ) में अप्रैल १९९७ में शिफ्ट हुवा था। और ऑगस्ट १९९७ में ( ए -५ )  विघ्नहर सोसाइटी में डॉ अनवर भी  अपने ख़ानदान के साथ शिफ्ट हुए थे। उस वक़्त बहुत काम लोग विघ्नहर सोसाइटी में रहते थे उन से बहुत जल्द पहचान हो गयी। तुर्भे में उनका क्लिनिक था ४० साल वह अपनी खिदमात वहां ग़रीबों में देते रहें। लोगों के पास पैसे नहीं होते,वो मुफ्त इलाज कर देते थे। मुझे भी अक्सर मरहम ,लेप और आयुर्वेदिक दवाएं ला कर देते पैसों का पूछता तो मुस्करा कर जवाब देते "आप भी क्या मज़ाक करते हो"  अफ़सोस ऐसे बा अख़लाक़ लोग दुनिया से रुखसत होते जा रहे हैं। 
       हमेशा सुबह वाकिंग के लिए निकलते अक्सर उन से मुलाक़ात सलाम दुआ हो जाती।  विघ्नहर की मस्जिद  (तक़वा )में किनारे पहली सफ में बैठते ,कभी किसी से ऊँचे लहजे में बात नहीं की। अपनी पांचों  औलादों असलम ,अख्तर ,अशरफ ,आसिफ और आरिफ को बेहतरीन अख़लाक़ सिखलाया । भाभी आयेशा भी (उनकी wife ) भी माशाल्लाह मुझे बड़े भाई का दर्जा /रुतबा अता करती है। जब भी मिलती है खुलूस से सलाम करती है बाल बच्चों की खैरियत दरयाफ्त करती है। 
        अल्लाह मरहूम डॉ अनवर शैख़ की मग़फ़िरत करे और खानदान वालों को सबरे जमील अता करे आमीन सुमा आमीन 

khud ke andar jhanken

                                                                               ااوڑھنی کالم کے لئے 

                                                    عنوان :ذہنی سکوں حاصل کرنے کے لئے کیا کرے ؟ 

                                                                              خود کے اندر جھانکیں 

جارج برناڈ شا کاقول  ہے "ہم کھیلنا اس لئے نہیں بند  کرتے کے ہم بوڑھے ہو رہے ہیں بلکی ہم پربڑھاپا اس لئے طاری ہوتا ہے کے ہم نے کھیلنا چھوڈ دیا ہے " زندگی کے ہر شعبے میں ہم نے یہی روییہ اپنایا ہے -ہم رات میں جلد سونا نہیں چاہتے وجہ ہمیں رات میں جلد نیند نہیں آتی -گھر کا بنا کھانا پسند نہیں آتا -دن بھر سوشل میڈیا میسیجز /ٹیلی ویژن دیکھنے سے فرصت نہیں -دوستوں سے ملناچھوڈ دیا ہے -ہلکی پھلکی ورزش نہیں کرنا چاہتے -مستقبل سے بڑی بڑی خواہشیں لگایں بیٹھیں ہیں -آج میں جینا چھوڈ دیا ہے -نماز ،زکرالہی ،دوسروں کی مدد کرنے کے جذبے سے عاری ہوتے جا رہے ہیں -یوروپین ممالک کی طرح ذہنی امراض کا شکار ہوتے جا رہے ہیں -زندگی بزرگوں کی طرح سادگی سے گزارے انشاللہ ذہنی سکوں حاصل ہو جاینگا 

شگفتہ راغب شیخ 

نیرول (نوی ممبئی )


शनिवार, 22 जून 2024

Happy Birth day Naved ,Walid and Muzaffar

                                                                       सालगुराह मुबारक 

 

सलामत रहो ,रब उम्र बढ़ाएं 

करो जो तमन्ना  ,पूरी होजाये 

वलीद - (New Born )

नवेद - खुश ख़बरी सुनाने वाला 

मुज़फ्फर  - जीता हुवा ,कामयाब 

        आज हमारे खानदान के तीन नौजवान अफ़राद की सालगिरह का दिन है। तीनो के नाम का मतलब होता  हैं (कामयाब ,खुश खबरी  ) हाजी नवेद तो हमारे खानदान का फरद है।  वलीद और मुज़फ्फर भी हमारे खानदान से ऐसे जुड़े जैसे शकर पानी में घुल जाती है। तीनो  self made ,ज़मीन से जुड़े अफ़राद है। अपनी मेहनत लगन से इस मुक़ाम पर पहुंचे है। तीनो अपने parents के खिदमत गुज़ार है। वलीद तो उमरा करते रहते है। अल्लाह से दुआ है हिना और मुज़्ज़फर को  जल्द हज की ख़ुशी नसीब हो। आमीन 

     अल्लाह से दुआ है वलीद,नवेद और मुज़फ्फर को ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मिले। अल्लाह उनका हर ख्वाब पूरा करे। उनकी औलाद बे इन्तहा तरक्की करे। आमीन सुम्मा आमीन। 

scool ke pahle din ki yaden

                                                                           اوڑھنی کالم کے لئے   

                                                                      اسکول کے پہلے دن کی یادیں 

اسکول کے پہلے دن کی شروعات بارش کے موسم سے ہوتی ہے -نی سکول کی کتابوںکی بو، زہن میں بسی ہوتی ہے ،  ساتھیوں پر کیچڈ اور پانی اچھالنا بھیگتے اسکول پہچنا -نے سکول  ٹیچرس سے ملاقات پھر بارش کے بعد گھنٹوں کلاسس روم میں ٹپکتے پانی سے اپنے آپ کو بچانا جس میں بھی ایک مزا تھا -اب تک ذھن میں یادیں بسی ہویی ہیں بھولنے سے نہیں بھولتی -

شگفتہ راغب شیخ 

نیرول (نیی ممبئی )


बुधवार, 19 जून 2024

जाने वाले कभी नहीं आते



                                                             जाने वाले कभी नहीं आते  

ग़लिब नेकहा था 

                     सब  नहीं कुछ लाला व गुल में नुमाया होगयी 

                      खाक में क्या सूरतें होंगी के पिन्हा हो गयी 

  इस शेर का मतलब है ,इंसान जो दुनिया से रुखसत होगये हैं फूलों की शक्ल में नमूदार होजाते हैं।   

  मोहतरमा क़मर क़ासिम चूनावाला १४ जून २०२४ (7th ज़ुलहाज ) को इस दारे फ़ानी (ख़तम होने वाली दुनिया ) से रुखसत हो गयी। मुबारक महीना ,जुमे का मुबारक दिन अपनी औलादों (वलीद ,क़ौसर  ,तनवीर ) ,बहुओं ,पोते ,पोतियों नवासा ,नवासी की मौजूदगी में मरहूमा ने आखरी साँस ली। तद्फीन (Burial ) अपने मौरूसी (Ancestral ) शृंगारतली के क़ब्रस्तान जो खबसूरत  पहाड़ों के दरमियान वाक़े हुवा है ,अमल में आयी। 

   आज 19th जून २०२४ को क़ासिम चुनावाला से कलीना (Diamond estate society ) ,मेंने  जा कर ताज़ियत की। कासिम भाई ज़िंदादिल तो है ,आज भी इतने बड़े हादसे को झेलने के बाद क़ासिम साहब ने बड़ी खुश दिली से मुझ से मुलाक़ात की। अपनी पुरानी ज़िन्दगी के खुशगवार लम्हात जो अपनी मरहूम अहलिया (wife ) के साथ गुज़ारे थे याद किये। दिल को ये बात छू गयी जब उनोहने कहा " ५० साला शादी शुदा दौर में शायद क़मर मुझ से एक दिन भी जुदा नहीं रही " अल्लाह उनेह और उनके तमाम खानदान को सबरे जमील आता करे। क़ासिम चूनावाला साहब अपनी औलादों की बड़ी तारीफें कर रहे थे के " आखरी वक़्त में मेरे बचों  ने मरहूमा की खिदमत का हक़ अदा कर दिया। दुआ है अल्लाह सब को ऐसी औलाद आता करे "। आमीन 

      मरहूमा कमर क़ासिम चुनावाला संजीदा मिज़ाज ,मोहज़्ज़ब,बावक़ार  तबियत की मालिक थी। शख्सियत में बड़ा रख रखाव था , उर्दू ज़बान से लगाव था। B.A तक उस दौर में जब औरतों  में तालीम इतनी आम नहीं थी ,महाराष्ट्र कॉलेज से तालीम हासिल की थी। किसी वजह सी M.A की तालीम मुक़्क़मिल नहीं हो पायी।  अल्लाह मरहूमा को जन्नते आला में जगह आता करे। आमीन सुम्मा आमीन 


                                (क़ासिम/कमर ) 50  Year marriage Anniversary की यादगार तस्वीर 


मंगलवार, 11 जून 2024

सुनी हिक़ायते हस्ती तो दरमियान से सुनी

.                                                               Nawapur felicitation

                                                      सुनी हिक़ायते हस्ती तो दरमियान से सुनी 

         10th जून २०२४ के इक़रा खानदेश फाउंडेशन तक़सीमे इनामात प्रोग्राम की रूदाद आप सब ने पढ़ ली थी। हर प्रोग्राम की कामयाबी के पीछे बे हद मेहनत और लगन की ज़रूरत होती है। इक़रा खानदेश फाउंडेशन के सदर (president ) सलाहुद्दीन नूरी साहब की रहनुमाई ,जिन की क़ायदाना (leading ) सलाहियतों (Qualities ) का   हमें ऐतराफ़ है  ,जनाब सेक्रेटरी रिज़वान जहागिरदार की अनथक कोशिश 10th और 12th के रिजल्ट डिक्लेअर होजाने के दो हफ़्तों के अंदर रिश्तेदारों के स्टूडेंट्स के रिजल्ट जमा करना toppers बच्चों का सिलेक्शन , इनाम की ट्रॉफी बनाना जुये शीर (दूध की नहर ) निकालने से कम नहीं। फिर इन सब बातों के लिए पैसों का इंतेज़ाम करना माशाल्लाह दिल से दुआ निकल पड़ती है। इक़रा खानदेश खानदेश फाउंडेशन की बाग़ डोर बेहतरीन  शख्सियात के हाथों में हैं।  

       ५ रिश्तेदारों के Toppers स्टूडेंट्स को 10th जून २०२४ इतवार के दिन कल्याण में ,हाजी आसिफ के घर प्रोग्राम के दौरान इनाम तक़सीम किये जा चुके थे। नवापुर की 10th क्लास की स्टूडेंट्स (92 %) क़ाज़ी ज़ेबा रिज़वान को नवापुर में उसके घर जा कर ट्रॉफी ,कॅश प्राइज ,शॉल और राजस्थानी हार दे कर इस बच्ची को नवाज़ा गया इज़्ज़त अफ़ज़ाई की गयी । इक़रा खानदेश के कमिटी मेंबर जनाब परवेज़ सैयद  ,नंदुरबार से तशरीफ़ लाये इसरार सैयद  (educationist ) अपनी बेइंतेहा मसरूफियत के बावजूद पप्रोग्राम  में शरीक हुए। जनाब तबरेज़ सैय्यद ,जनाब इरफ़ान सय्यद ने भी इस प्रोग्राम को रौनक़ बख्सी।क़ाज़ी ज़ेबा रिज़वान  को NEET इम्तेहान की तैयारी के लिए मुफीद मश्वरे से नवाज़ा गया। रिश्तेदारों में आयी तालीम के उन्वान पर बेदारी देख कर तबियत खुश होगयी। माशाल्लाह हमारे रिश्तेदारों में ज़हीन बच्चों की कमी नहीं और अब हर शहर हर क़स्बे में इन्हे मदद ,Guidance ,माली इमदाद के लिए इक़रा खानदेश जैसे इदारे मौजूद हैं। रिश्तेदारी में डॉ वासिफ अहमद,एडवोकेट रज़ीउद्दीन ,नियज़ मखदूम अली फॅमिली , जनाब कमर शैख़ ,रागिब अहमद जहागिरदार,प्रोफेसर सैयद वकील ,क़ाज़ी नवेद ,शकिलोद्दिन सर ,उजेर (MBA ) ,नाचीज़ रागिब अहमद शेख जैसे बाशऊर अफ़राद अपनी रहनुमाई के लिए मौजूद हैं। 

        तालीम के उन्वान पर बेदारी के बाद अब बच्चे ,बच्चियों के रिश्तों के ताल्लुक़ से भी बात आगे बढ़नी चाहिए,जो आज के के दौर का एक सुलगता मौज़ू /मसला है। जनाब ज़की सैयद (मुन्ना ) नवापुर जो इस वक़्त हज की मुकदस फ़रीज़े में मसरूफ है माशाल्लाह अपनी खिदमात देना चाहते हैं ,  इंशाल्लाह उनसे मदद ली जासकती है। 

           आप सब रिश्तेदारों से आजिज़ाना गुज़ारिश है आप भी अपने मुफीद मश्वरों से नवाज़े, किस तरह रिश्तेदारों में बेदारी के उन्वान पर काम बढ़ाया जा सकता हैं। 

दास्तानें ग़मे दुनिया तवील थी कह दी 

दास्तानें ग़मे दिल मुख़्तसर है क्या कहिये 

      


          

 


      


    

सोमवार, 10 जून 2024

Iqra khandesh Foundation kalyan unit Programe

                                                      मुझ को जाना है बहुत आगे हदे परवाज़ से  

With Felicitated students 
L To R Niyaz ,Makhdum ,Ragib ,Mubin ,Hisamoddin 


   9 जून २०२४ इतवार को इक़रा खानदेश फाउंडेशन कल्याण  यूनिट की जानिब से १०वी और १२ वी में नुमाया कामयाबी हासिल करने वाले रिश्तेदारों के स्टूडेंट्स का फेलीसिटशन प्रोग्राम जनाब हाजी आसिफ शैख़ के घर रखा गया था। मुझे (रागिब ) और अहलिया शगुफ्ता को भी दावत दी गयी थी। और हम दोनों ने प्रोग्राम में शिरकत की। 
   ०४:३० बजे शाम प्रोग्राम की शुरुवात क़ुरान की तिलावत जोअंजुम आसिफ ने की । रुखसार ने  निज़ामत (एंकरिंग) के फ़रायज़ बड़े खूबसूरती से अंजाम दिए। नुमाया कामयाबी हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को, गुलदस्ता ,छतरी ,पेन और जनाब मखदूम की तरफ से दी गयी नकदी रक़म से मेहमानों के हाथो नवाज़ा गया।       
    जिन स्टूडेंट्स की हिम्मत अफ़ज़ाई की गयी उनके नाम इस तरह है 
  10th Toppers 
१. नबील साजिद शैख़       कल्याण        ९७%
२. काज़ी ज़ेबा रिज़वान      नवापुर          ९२%           
३. शैख़ अयान इमरान       बदलापुर        ९१%
12th Toppers 
१. शैख़ निदा साजिद              कल्याण          ९४.%
२. क़ाज़ी ज़ारा काज़िम            मुम्ब्रा              ८९%में 
३. अज़ीज़ आफ़िया मोहमद     मलाड             ८६% 
 
  जनाब  हाजी नाज़िम (बदलापुर ) के ख़ानदान ने बाज़ी मर ली। उन के नवासा ,नवासी और पोते ने toppers  में अपना नाम दर्ज करवाया । ये बहुत बड़ा ऐज़ाज़ है। 
   जनाब मखदूम अली ने ऐलान करवाया इंशाल्लाह उन की मरहूमा अम्मी मोहतरमा इशरत बी की याद में हर साल रिश्तेदारों के 10th और 12th के  toppers  स्टूडेंट्स को कॅश प्राइज से नवाज़ा जायेंगा। प्रोग्राम में जनाब मखदूम अली  साहेब ने gathering को मुफीद मश्वरों से नवाज़। नाचीज़ ने भी कुछ नसीहतें  स्टूडेंट्स के गोश  गुज़ार की । 
  जनाब हसींन  शैख़ ने शुक्रिये की रस्म अदा की और सदर इक़रा खानदेश फाउंडेशन का पैग़ाम प्रोग्राम में शरीक लोगों तक पहुंचाया और इक़रा खानदेश फॉउण्डेशन के अगराज व मक़ासिद पर रौशनी डाली। जनाब मुबीन शैख़ ,डॉ मसीह ,एडवोकेट नियाज़  अहमद ,हिसामुद्दीन ने प्रोग्राम में चार चाँद लगाएं। हाजी आसिफ शैख़ ने मेज़बानी के फ़रायज़ बखूबी अंजाम दिए ,आप (हाजी आसिफ )बड़े नरम गुफ़्तार और मुख्लिस तबियत के मालिक है। 
  कल्याण के मुक़ामी हज़रात  नूरा भाई ,काज़िम भाई ,सय्यद कलीम साहब ,वक़ार ,इसरार ,अनीस सर मोहतरमा तर्रनुम के अलावा ,कसीर तादाद में  लोगों ने शिरकत की और मेज़बानी  के फ़राएज़  खुश असलूबी से अंजाम दिए। 
  हमेशा की तरह इमरान मखदूम अली ने  प्रोग्रम में तस्वीरें खेंची और अरहम शैख़ ने  Utube  पर प्रोग्राम live relay किया। 
अल्लाह से दुआ है रिश्तेदारी में इसी तरह इतिहाद क़ायम रहे ,और हमारे बच्चे कामयाबी की राह पर गामज़न होते रहें (आमीन )
                                                              प्रोग्राम की एक तस्वीर 

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शुक्रवार, 7 जून 2024

Inquilab article and its translation

 

                                                        

ज़हनी  कैसे हासिल होगा  

खुद के अंदर झांके 

बर्नाड श का क़ौल है  हम खेलना इस लिए नहीं बंद करते के हम बूढ़े हो रहे है बल्कि हम पर बुढ़ापा इस लिए छा जाता है हम ने खेलना छोड़ दिया। ज़िन्दगी के हर शोबे (department )हम ने यही रव्वैया अपनाया है। हम ने जीना छोड़ दिया है ,नमाज़ ,ज़िक्रे इलाही और दूसरों की मदद करने के जज़्बे से खाली होते जा रहे है। बुज़र्गों की तरह सादगी से ज़िन्दगी गुज़ारियें इंशाल्लाह ज़हनी सुकून हासिल होंगा। 

शगुफ्ता रागिब अहमद 

शुक्रवार, 31 मई 2024

Happy Birthday Rida

                                                सालगिरह मुबारक रिदा 

वक़्ते दुआ में एक दुआ करूँ 

में रब से एक इल्तेजा करूँ 

तू खुश रहे तू शाद रहे 

तेरे दिल का आंगन आबाद रहे 

तू हर पल यूँ ही  हंसा करे 

फूलों की मानिंद खिला करे 

तेरी ज़िन्दगी में कोई ग़म न हो 

तेरी आंख कभी नाम न हो 

ढेर सारी दुवायें नेक ख्वाहिशात। रोशन ताबनाक मुस्तक़बिल के लिए दिल से दुआ (आमीन )

बुधवार, 29 मई 2024

salgirah mubarak

Nawapur ki yaden

                              सालगिरह मुबारक फरहान सैयद 

खुदा करे के ये दिन बार बार आता रहे 

और अपने साथ ख़ुशी का का खज़ाना लाता रहे 

ख़ुशी के इस मौके पर आंटी और मेरी जानिब से दिली मुबारकबाद। मुझे ख़ुशी इस बात की है के माशाल्लाह तुम भी उसी फील्ड में काम कर रहे हो जिस में मैं रह चुका हूँ , यानी मेरे नक़्श क़दम पर चल रहे हो।इंशाल्लाह बहुत तरक़्क़ी करेंगे। 

राह की तकलीफों का उनेह क्या सुबूत दूँ 

मंज़िल मिली तो पांव के छाले नहीं रहे 

 तुम्हारा बचपन बहुत शानदार गुज़रा। भरे पुरे घर में तुम सब से बड़े थे। उस ज़माने में तुम्हारी शरारते बड़ी मशहूर थी। दादा जान , दादी जान। पप्पा मम्मी सब की आंख का तारा हुवा करते थे। बेफिक्री का ज़माना था। लेकिन होश संभालते ही तुम में संजीदगी आ गयी। डिप्लोमा करने के बाद फ़ौरन जॉब ज्वाइन कर लिया। आयल फील्ड में। और शिफ्ट करते हुए जिस मेहनत ,डेडिकेशन से तुम ने B.E की पढ़ाई मुक़ामिल की क़ाबिले तारीफ़ है। लॉक डाउन के दरमियान भी तुम ने कभी अपनी ड्यूटी मिस नहीं की। तुम्हारी ईमानदारी और अपने काम से लगन का जज़्बा क़ाबिले एहतेराम है।  इस का नतीजा है तुम आज रेपुटेड मल्टीनेशनल कंपनी में शिफ्ट इंचार्ज/ इंजीनियर की ड्यूटी निभा रहे हो। ये तो इंशाल्लाह ये तो शुरुवात है।  आगे आगे देखिये होता है क्या। 

   मुस्तक़बिल के लिए नेक ख्वाहिशात। 

जहाँ रहे वो खैरियत के साथ रहे 

उठाये हाथ तो एक दुआ याद आयी 


बुधवार, 22 मई 2024

jab char yaar mil jayee


जब चार यार मिल जाये 
     


At Fabtech Factory

 





                                                            At Jampore beach Daman



                                                                  At Mango Garden


Devika Beach
                        
 

                                                                   At Serena Dhaba

                                            हम सफ़र चाहिए हुजूम नहीं 
                                            एक मुसाफिर भी काफला है मुझे 
           आम बाजार से भी खरीदे जा सकते हैं। लेकिन आम के बाग़ से पेड़ों से अपने हाथों से आम तोड़ कर फिर घर में पका कर खाने का मज़ा कुछ और ही होता है। इस का चस्का हमें औसाफ़ ने लगाया। 
            १८ मई  सनीचर २०२४ की सुबह ०६;१५ बजे ४ लोगों का क़ाफ़िला (औसाफ़ , प्रकाश सोनावणे ,रागिब अहमद नविन कनखाल ) फज्र के बाद औसाफ़ की कार में ऐजाज़ भाई की बिल्डिंग भगवती हियट्स के नीचे उनके इंतज़ार में रुका रहा। उस दौरान अन्ना की अदरक की चाय ने ताज़ा दम कर दिया। ऐजाज़ भाई के आने पर ०६:३० बजे , हमारा ये क़ाफ़िला उमरगांव की जानिब रवाना हो गया। थाना ,घोड़बंदर रोड से बिजली की तरह गुज़र गए अहमदाबाद हाईवे हमेशा की तरह जैम था। औसाफ़ को होटलों की मालूमात अपने हाथ के लकीरों  की तरह है। उसकी रहनुमाई थी नाश्ते के लिए ११:०० बजे अहुरा होटल में रुके । ऑमलेट ,मस्का पाँव  और बढ़िया चाय का भरपूर नाश्ता किया रूह सरशार होगयी। 
                                             मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था 
           नवीन  कनखाल हामिद भाई की जुदाई में तड़पता रहा। औसाफ़ मंसूर भाई की सुरीली आवाज़ को मिस करते रहे। हामिद भाई ,इश्तियाक़ भाई का ज़िक्र खैर होता रहा। इमरान इनामदार की वालेदा का उसी सुबह इंतेक़ाल हुवा था उनके लिए दुवायें मग़फ़िरत भी होती रही।              
          
            ११:३०  बजे Fabtech फैक्ट्री पहुंचे। औसाफ़ ने फैक्ट्री की सैर कराई। फैक्ट्री की मालूमात Fabtech.com  साइट से हासिल की जा सकती है। कुछ और जानना हो तो नविन से कांटेक्ट किया जा सकता है।
             आम तोड़ने बाग़ पहुंचे। हर तरह के आम पेड़ों पर  लदे थे। लंगड़ा ,चौसा ,दसहरी।,बादामी लेकिन केसर का सेक्शन अलग ही था। औसाफ़ ,नवीन ,खुद में ,सोनवणे साहेब दिलो जान से झाड़ों से आम तोड़ने में मसरूफ होगये। ऐजाज़ भाई तमाम वक़्त अपनी फॅमिली से वीडियो चैटिंग में लगे रहे। फूफा ,फूफी ,बहन और उन को आमों के आर्डर मिलते रहे। २८०० किलो आमों को तोड़ कर गिनवाया गया। वहां के वर्कर्स ने बॉक्सेस में भर कर रेडी किया। हमें लोकल टेस्टी आम काट कर खिलाये भी। आमों के बाग़ में ख्याल आया क्या क़ुदरत है कैसे एक गुठली से पेड़ तैयार होजाता है ,उसमे हज़रों आम लग जाते हैं और आमों में मीठा मीठा रस भर जाता है। ऊपर वाले की ज़ात की मौजूदगी का यक़ीन पुख्ता होजाता है।
              जाम्पोर बीच पर ठंडी गर्म हवा का लुत्फ़ लिया। सोनवणे साहेब ऊंट वाले से भाव ताव करते रहे। ऊंट पर बैठे नहीं ऊंट के साथ फोटोग्राफी मुफ्त में कर ली। लगे रहे मुन्ना भाई की तरह ऐजाज़ भाई तमाम वक़्त अपनी फॅमिली से वीडियो चैटिंग में लगे रहे और उन्हें फॅमिली को जम्पोर बीच घुमाने का प्रॉमिस करना ही पड़ा। बीच खूबसूरत और साफ़ सुथरा है, और हद्दे नज़र तक फैला हुवा है। 
                  धुप में आम तोड़ने के बाद सख्त भूक लगी थी यहाँ भी औसाफ़ का knowledge काम आया दमन के पुराने एम कुट्टी वेज रेस्टॉरेंट में  ऐजाज़ भाई की दावत पर खाना खाया तरो ताज़ा होगये। देवका बीच पर थोड़ी देर रुके। हालाँकि ये बीच जम्पोर बीच से ४ किलोमीटर की दुरी पर है लेकिन यहाँ काली काली चटाने और काली रेत  है। फ्रेंच लोगो ने यहाँ ५०० साल राज किया अब भी पुरानि इमारतें फ्रेंच स्टाइल में बनी दिखाई पड़ती हैं। शहर साफ़ सुथरा है देवकी बीच के किनारे बहुत सी होटलें है जहा क़याम (Stay ) किया जा सकता है।
                      वापसी के सफर में रस्ते भर  ऐजाज़ भाई मेरी टांग खींचते रहे।,बड़े छुपे रुस्तम निकले , इस सफर में उनकी ज़िंदादिली का मुज़ाहेरा होता रहा। रात १० बजे होटल सनाया ढाबे में रात का खाना देसी मुर्ग़ी खायी ,एक जादूगर ने हम सब को अपना फ़न दिखा कर महज़ूज़ (Entertain )किया। यहाँ भी ऐजाज़ भाई वीडियो चैटिंग पर अपनी फॅमिली के साथ मसरूफ रहे और फॅमिली को आउटिंग के लिए सनाया ढाबे पर ला कर पार्टी मानाने को अपने ऊपर वाजिब कर लिया।  
                       रात १ बजे खैर से बुधु घर को लौटे।