बुधवार, 19 जून 2024

जाने वाले कभी नहीं आते



                                                             जाने वाले कभी नहीं आते  

ग़लिब नेकहा था 

                     सब  नहीं कुछ लाला व गुल में नुमाया होगयी 

                      खाक में क्या सूरतें होंगी के पिन्हा हो गयी 

  इस शेर का मतलब है ,इंसान जो दुनिया से रुखसत होगये हैं फूलों की शक्ल में नमूदार होजाते हैं।   

  मोहतरमा क़मर क़ासिम चूनावाला १४ जून २०२४ (7th ज़ुलहाज ) को इस दारे फ़ानी (ख़तम होने वाली दुनिया ) से रुखसत हो गयी। मुबारक महीना ,जुमे का मुबारक दिन अपनी औलादों (वलीद ,क़ौसर  ,तनवीर ) ,बहुओं ,पोते ,पोतियों नवासा ,नवासी की मौजूदगी में मरहूमा ने आखरी साँस ली। तद्फीन (Burial ) अपने मौरूसी (Ancestral ) शृंगारतली के क़ब्रस्तान जो खबसूरत  पहाड़ों के दरमियान वाक़े हुवा है ,अमल में आयी। 

   आज 19th जून २०२४ को क़ासिम चुनावाला से कलीना (Diamond estate society ) ,मेंने  जा कर ताज़ियत की। कासिम भाई ज़िंदादिल तो है ,आज भी इतने बड़े हादसे को झेलने के बाद क़ासिम साहब ने बड़ी खुश दिली से मुझ से मुलाक़ात की। अपनी पुरानी ज़िन्दगी के खुशगवार लम्हात जो अपनी मरहूम अहलिया (wife ) के साथ गुज़ारे थे याद किये। दिल को ये बात छू गयी जब उनोहने कहा " ५० साला शादी शुदा दौर में शायद क़मर मुझ से एक दिन भी जुदा नहीं रही " अल्लाह उनेह और उनके तमाम खानदान को सबरे जमील आता करे। क़ासिम चूनावाला साहब अपनी औलादों की बड़ी तारीफें कर रहे थे के " आखरी वक़्त में मेरे बचों  ने मरहूमा की खिदमत का हक़ अदा कर दिया। दुआ है अल्लाह सब को ऐसी औलाद आता करे "। आमीन 

      मरहूमा कमर क़ासिम चुनावाला संजीदा मिज़ाज ,मोहज़्ज़ब,बावक़ार  तबियत की मालिक थी। शख्सियत में बड़ा रख रखाव था , उर्दू ज़बान से लगाव था। B.A तक उस दौर में जब औरतों  में तालीम इतनी आम नहीं थी ,महाराष्ट्र कॉलेज से तालीम हासिल की थी। किसी वजह सी M.A की तालीम मुक़्क़मिल नहीं हो पायी।  अल्लाह मरहूमा को जन्नते आला में जगह आता करे। आमीन सुम्मा आमीन 


                                (क़ासिम/कमर ) 50  Year marriage Anniversary की यादगार तस्वीर 


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