Nawapur ki yaden |
सालगिरह मुबारक फरहान सैयद
खुदा करे के ये दिन बार बार आता रहे
और अपने साथ ख़ुशी का का खज़ाना लाता रहे
ख़ुशी के इस मौके पर आंटी और मेरी जानिब से दिली मुबारकबाद। मुझे ख़ुशी इस बात की है के माशाल्लाह तुम भी उसी फील्ड में काम कर रहे हो जिस में मैं रह चुका हूँ , यानी मेरे नक़्श क़दम पर चल रहे हो।इंशाल्लाह बहुत तरक़्क़ी करेंगे।
राह की तकलीफों का उनेह क्या सुबूत दूँ
मंज़िल मिली तो पांव के छाले नहीं रहे
तुम्हारा बचपन बहुत शानदार गुज़रा। भरे पुरे घर में तुम सब से बड़े थे। उस ज़माने में तुम्हारी शरारते बड़ी मशहूर थी। दादा जान , दादी जान। पप्पा मम्मी सब की आंख का तारा हुवा करते थे। बेफिक्री का ज़माना था। लेकिन होश संभालते ही तुम में संजीदगी आ गयी। डिप्लोमा करने के बाद फ़ौरन जॉब ज्वाइन कर लिया। आयल फील्ड में। और शिफ्ट करते हुए जिस मेहनत ,डेडिकेशन से तुम ने B.E की पढ़ाई मुक़ामिल की क़ाबिले तारीफ़ है। लॉक डाउन के दरमियान भी तुम ने कभी अपनी ड्यूटी मिस नहीं की। तुम्हारी ईमानदारी और अपने काम से लगन का जज़्बा क़ाबिले एहतेराम है। इस का नतीजा है तुम आज रेपुटेड मल्टीनेशनल कंपनी में शिफ्ट इंचार्ज/ इंजीनियर की ड्यूटी निभा रहे हो। ये तो इंशाल्लाह ये तो शुरुवात है। आगे आगे देखिये होता है क्या।
मुस्तक़बिल के लिए नेक ख्वाहिशात।
जहाँ रहे वो खैरियत के साथ रहे
उठाये हाथ तो एक दुआ याद आयी
Bohot shukriya uncle.. aise hi duao me yaad rakhe
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