शनिवार, 6 जुलाई 2024

आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा


                                                            With Shahbaz Ali Sayyed              

                 

                            At L&T complex Garden with liyaqat Ali Sayyed

                                                         जिस दिन से चला हु मेरी मंज़िल पे नज़र है 

                                                         आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा 

           मील का पत्थर मतलब mile stone  शहबाज़ का मतलब होता है ,शाहीन या बड़ा शिकारी परिंदा ऊपर लिखा शेर शाहबाज़ अली सय्यद की ज़िन्दगी पर सादिक़ आता है ,। वालिद शेर अली और वालिदा रोशन  की नाज़ नेमत में पली ,पहली औलाद शहबाज़। मुझे अछि तरह याद है 1983 साल में वालिद इंस्पेक्टर शेर अली सय्यद ने जिस धूम धाम से शहबाज़ अली सय्यद और साजिद अली सय्यद की बिस्मिल्ला का जश्न बरपा किया था ,नेहरू नगर कुर्ला में दोनों बच्चों को घोड़ो पर सवार बैंड बाजे म्यूजिक के साथ पुरे इलाक़े में घुमाया था। माशाल्लाह तमाम रिश्तेदारों को इस प्रोग्राम में खास दावत दे कर बुलाया था एक तारीखी हैसियत रखता है। मेरी नयी नयी शादी हुयी थी शगुफ्ता और मुझे भी इस तक़रीब (प्रोग्राम ) में दावत दे कर बुलाया गया था और हम शरीक भी हुए थे। 

                                                            ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं 

                                                             तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा      

          साल २००० में अचानक एक हादसे में  इंस्पेक्टर शेर अली सय्यद इस दुनिया से रुखसत हो गए। शायद शहबाज़ ने 12th का exam दिया था और सोमैया कॉलेज में BSc में एडमिशन भी लिया था। अच्छों अच्छों के हवास गम होगये थे। अकल काम नहीं कर रही थी। उस समय शहबाज़ पर अपने वालिद की वफ़ात पर क्या गुज़री होंगी ,हम जान सकते हैं। इस हादसे ने शहबाज़ अली को एक दिन में खलंडरे नौजवान से संजीदा मतीन शख्स में बदल दिया। उसके पीछे भाभी रोशन और चचा लियाक़त भी चट्टान की तरह खड़े रहे। शहबाज़ ने मर्चेंट नेवी ज्वाइन कर ली। कई कई साल शिप पर लगातार घर से  दूर ड्यटी करता रहा। कई exams पास किये ,Captain की वर्दी हासिल की। बहन की शादी करवाई। अपना घर बसाया और माशाल्लाह उसे नीलो की शक्ल में बा वफा शरीक हयात मिली। अपने तीनो औलादों की परवरिश और बेहतरीन तालीम के लिए लगातार कोशिशों में दोनों लगे हैं। इस दौरान शाहबाज़ अली ने ग़रीब रिश्तेदारों का भी काफी ख्याल रखा। सय्यद शेर अली और भाभी ने जो तालीम उसे दी थी और जिस पुख्ता किरदार में उसे देखना चाहा था उसपर वो पूरा उतरा। 

                                                           राहों की ज़हमतों (तकलीफों )का तुम्हे क्या सुबूत दूँ 

                                                            मंज़िल मिली तो पाँव के छाले नहीं रहें 

          इक्कीसवीं सदी के खूबसूरत शहर नेरुल में  L & T काम्प्लेक्स जो बेहतरीन facilities के साथ बना है।  Swimming Pool ,क्लब ,खूबसूरत मॉल,बँकेट हॉल  और sea wood स्टेशन पर ये complex नई मुंबई में अपनी एक मिसाल है। आज दिल से ख़ुशी भी हो रही है और दुवायें निकल रही हैं। Captain शाहबाज़ ने  L & T काम्प्लेक्स में अपने फ्लैट का possession ले कर हम सब को अपनी खुशियों  में शरीक करने के लिए दावत दे कर ऐज़ाज़ (इज़्ज़त ) बख्शा है। अल्लाह शाहबाज़ को बे इंतेहा तर्रकी अता करे। भाभी को उसके सर पर सलामत रखे। उसकी औलाद का मुस्तक़बिल रोशन करे। आमीन सुम्मा आमीन। 

          रिश्तेदार के हर बच्चे के लिए शाहबाज़ अली सय्यद की ज़िन्दगी एक मिसाल की हैसियत रखती है। सबक़ सीखे अपनी ज़िन्दगी में हमेशा जद्दो जहद में लगे रहे ,कामयाबी ज़रूर क़दम चूमेंगी। 

                                                                 खुदा ने आज तक उस क़ौम की हालत नहीं बदली 

                                                                 न हो जिसको ख्याल अपनी हालत के बदलने का 


          

         

               

         

3 टिप्‍पणियां:

  1. माशाअल्लाह, हर बार की तरह लिखने का अंदाज बहोत खूबसूरत है आपका, और शाहबाज के लिए जो लिखा खास कर उस हादसे के बाद उसके हौसले के लिए जिसने उस बच्चे को अचानक बड़ा बना दिया और उसने जो तरक्की की, वाकई इस से रिश्तेदारी में बच्चो ने सबक हासिल करना चाहिए

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  2. रागिब अंकल आप बहोत ही खुबसुरत अंदाज मे मिसाली सखसियत पेश करते है इंसान हालातो से सिखता है वालिद के हादसे मे वफात के बाद शहाबाज भाई ने जो तरक्की की ओर सबको सभाला ये उन्हे एक कामियाब इंसान बनाती है
    प्रो मोईन शेख

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