खुसबू जैसे लोग मिले
मोहिब मुजाहिद शेख
मेहनत से वो तक़दीर बना लेते हैअपनी
विरसे में जिनेह कोई खज़ाना नहीं मिलता
अब तक में इस टॉपिक पर बुज़र्गों के खाके लिखता रहा हूँ। आज एक नौजवान जो अपनी मेहनत ,ईमानदारी ,जाँफ़िफिषानी से कम उम्र (Age ) में तरक़्की की कई पॉयदाने तै करके ,अपना एक मक़ाम बना लिया।
मोहिब शेख़ अनवर साहब डिप्टी कलेक्टर का पोता ,मुजाहिद सर का बेटा। मुजाहिद सर बहुत कम उम्र में इंतेक़ाल कर गए वो भी B.A ग्रेजुएट थे। सब से पहले जलगाओं रिलेटिव ग्रुप फॉर्म किया। ५०० रिश्तेदारों को एक मंच पर इखट्टा किया। इस दुनिया से रुखसत होगये।
राहों की ज़हमतों का तूमेह क्या सुबूत दूँ
मंज़िल मिली तो पाव के छाले नहीं रहे
मोहिब की ज़िन्दगी कोशिशों से भर पुर रही। जलगांव यूनिवर्सिटी से B.COM करके डिप्लोमा इन टेक्सेशन लॉ किया। जलगांव शहर में जदोजहद जारी रखी। CA की ऑफिस में काम करता , लोगों के आधार कार्ड डॉक्यूमेंट बनाता रहा। फ़ूड डेलिवेरी का काम भी किया। इंग्लिश क्लास्सेस ज्वाइन की इंग्लिश पर कमांड हासिल किया। शहादा में एकाउंट्स का काम भी किया। जलगाव के पहले इक़रा खानदेश के प्रोग्राम को मोहिब ही ने यू टयब पर रिले किया था।
जिन के मज़बूत इरादे बने पहचान उनकी
मंज़िलें आप ही होजाती है आसान उनकी
फिर उसकी किस्मत ने ज़ोर मारा माशाल्लाह बहरीन में उसे अकाउंटेंट की ऑफर मिली। दो साल से कम अरसे में उसके वालिद मुजाहिद का इंतेक़ाल होगया। उसने हिम्मत नहीं हारी ,बहरीन में अपनी काविशें जारी रखी दूसरी कंपनी में सीनियर अकाउंटेंट की पोजीशन मिली। अब अपने आप को नए सेट उप में एस्टब्लिश करने में मिया मोहिब मसरूफ है। अल्लाह उनेह कामयाबी अता करे मुस्तक़बिल की राहें मुन्नवर करे आमीन। मोहिब की तरक़्की में उसकी वालिदा मोफिज़ा की दुवाओं का बहुत असर रहा है।
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