एक और खेत पक्की सड़क ने निगल लिया
एक और गांव शहर की वस् अत में खो गया (वस् अत -चौड़ाई )
नवापुर शहर से मुझे बचपन से क़ुरबत रही है। मेरी (ननिहाल )वालिदा वही से बिलोंग करती है और इंतेक़ाल के बाद वहीँ बड़े क़बरसतान में दफन है।अब तो इस शहर से क़ुरबत और बढ़ गयी है क्यूंकि यही मेरी ससुराल भी है इस शहर की शोहरत की वजह है गुजरात महराष्ट्र की तक़सीम ,नवापुर की टिकट विंडो महराष्ट्र में है और प्लेटफार्म गुजरात में। नवापुर एक sleeping town हुवा करता था। बचपन में ६ बजे शाम के बाद दुकाने बाजार बंद होजाया करते थे । म्युनिसिपल से रात ८ बजे साईरन बाजाय जाता था उसके बाद शहर में एक हु का आलम हुवा करता। वहा की भतवाल सिनेमा में तनवीर मामू के साथ बहुत अंग्रेजी वेस्टर्न फ़िल्में देखि है। अब भतवाल सिनेमा की जगह रेसिडेंशियल काम्प्लेक्स बन गया है। नवापुर शहर के बीचों बीच से नेशनल हाईवे की तामीर हो रही है। दिन भर शहर मिट्टी से अटा रहता है। सूरत तक नेशनल हाईवे तैयार होचुका है। २ से ३ घंटे में नवापुर से सूरत पहुंचा जा सकता है। नवापुर MIDC( D+ ZONE) आदिवासी टैग लगने से ,पावर भी uninterrupted available है। लेबर भी सस्ता है। ज़मींन भी सस्ती है। बड़ी बड़ी यार्न बनाने वाली companies सूरत से यहाँ शिफ्ट हो रही है। छोटा सा नवापुर टाउन शहर की सूरत इख़्तियार कर रहा है। इस बात का सुबूत है ,पिछले २ चार सालों में केक की ८ दुकाने खुल चुकी है। फ़ास्ट फ़ूड के बेशुमार आउटलेट्स ,ब्रांडेड चाय की दुकाने। दो माल भी खुल चुके हैं ।रात देर तक स्टॉल्स लोगो से भरे रहते हैं। अब तो नवापुर में traffic jam भी लगने लगे हैं।सय्यद बिरयानी ब्रांड, नवापुर की पहचान बन गया है। नेशनल पेपर्स (Times of India )में भी नवापुर को सुर्ख़ियों में जगह दी जा रही है। शायद नवापुर चंद सालों में मालेगाव और भिवंडी को मात दे देंगा । लेकिन शहर में तब्दील होने पर नवापुर का सुकून बर्बाद होजाएंगा ,अब तो हो भी चूका है। खैर कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।
बात निकलेंगी तो दूर तलाक जायेंगी
नवापुर के लोगों के सोचने का अंदाज़ भी बदलता जा रहा है। quality एजुकेशन पर नयी नस्ल का रुजहान बढ़ता जा रहा है। सैयद ख़ानदान में ३ क़ुरान के हाफ़िज़ , इंजिनीर्स , और एम. बी. ए मौजूद पाएंगे।
आज खुशबु जैसे लोग मिले में अम्मार इरफ़ान सय्यद को introduce करना चाहूंगा। अम्मार नवापुर के मशहूर मारूफ सय्यद खानदान से बिलोंग करते हैं। सिलसिले नस्ब (family tree ) अहमदाबाद के शाह वाजिहुद्दीन से जुड़ता है। मारूफ शरीफुद्दीन सय्यद (बच्चू भाई ) के पोते और इरफ़ान सैयद के फ़रज़न्द है। अल्लाह के रसूल (S.A ) ने नसीहत की थी के अपने बच्चों के खूबसूरत नाम रखे क्यूंकि नाम की खुसूसियत बच्चों में ज़ाहिर होती है। इरफ़ान सय्यद ने नाम रखा अम्मार जिस का मतलब होता है बनाने वाले। नाम ही निस्बत /बरकत से मुंबई के मशहूर साबू सिद्दीक़ कॉलेज से (B.E Civil )यूनिवर्सिटी में ९३% मार्क्स हासिल करके टॉप किया। इरफ़ान (अब्बू )के साथ रह कर बिज़नेस की मालूमात हासिल की और साथ साथ M.TECH की तालीम मुक्कमिल की।
इस बार इरफ़ान ने मुझे और शगुफ्ता को अम्मार की ऑफिस ले जा कर उनसे मिलवाया। बड़ा खुशगवार मौक़ा था। अम्मार सयेद की ऑफिस का मुक़ाबला मुंबई की किसी कॉर्पोरेट ऑफिस से किया जा सकता है । स्टाफ वर्क स्टेशन पर अपने काम में मशग़ूल (busy ) थे। ऑफिस में खूबसूरत फिश पोंड देखने को मिला। ऑफिस के बाहेर क़तार दर क़तार खूबसूरत पौदे लगे थे। तितली की शक्ल के पौदे को देख कर ख़ुशी हुयी। बोंज़ाई प्लांट भी देखने को मिले।
पता चला इरफ़ान सय्यद ने अम्मार को तैरना सिखाया उस ने तो बड़ी लम्बी छलांग माशाल्लाह लगायी। जल जीवन योजना सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा चलायी जा रही है और financing वर्ल्ड बैंक से होती अब तक ४५ villages तक ये स्कीम अम्मार के ज़रिये पहुँच चुकी है लोग फायदा उठा रहे हैं। योजना क्या है बोरिग पंप installation १ लाख लिटर्स का ओवरहेड टैंक ,और देहात के हर घर तक पाइपलाइन। TATA CONSULTANCY SERVICES MUMBAI की कड़ी निगरानी में ये योजना implement की जारही है। इस योजना को कामयाब करने के लिए अम्मार ने १४ ,१५ लोगों का trained स्टाफ भी रखा है। खुद के वाटर टैंकर्स ,Poclain ,excavator भीअम्मार ने खरीद रखे हैं। माशाल्लाह जुमे की नमाज़ के बाद हम ने उसकी ऑफिस को विजिट किया था और अम्मार भी सफ़ेद कुर्ते पाजामे में मलबूस (पहने ) था। क़ुरान में सूरा जुमा में आयात है के जुमे की नमाज़ के बाद अपना रिज़्क़ तलाशने निकल पड़ो। बहुत ख़ुशी हुयी अम्मार का set up देख कर। अल्लाह खानदान के हर नौजवान को इसी तरह की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन
इरफ़ान सैय्यद ,रेहाना भाभी मुबारकबाद के मुस्तहक़ है बहुत खूबसूरत अंदाज़ में अम्मार की तरबियत की। अम्मार के लिए दिल की गहराईओं से शगुफ्ता मेरी जानिब से नेक ख़वाहशत ,दुवायें । अल्लाह दिन दुगनी रात चौगनी तरक़्क़ी अता करें आमीन सुम्मा आमीन। ,
अम्मार ख़ुशी इस बात की भी है के लोगों तक पानी पुह्चाना सवाबे जरिया है। तुम ईमानदारी से काम तो कर रहे हो ,माशाल्लाह घर घर पानी पहुंचा कर सवाब भी कमा रहे हो। इसे कहते हैं "आम के आम गुठलियों के दाम "
उक़ाबि रूह जब बेदार होती है जवानों में
नज़र आती है उनको अपनी मंज़िल आसमानो में
L To R Ammar sayyed ,Ragib Ahmed, Shagufta, Mrs. Rehaana Irfan sayed ,Irfan Sayed
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