हम ने क्या खोया हम ने क्या पाया
सायली और तुषार की शादी। कहा जाता है लड़कियां ताड़ की तरह बढ़ती है। सायली की वो पहली किलकारी ,पहले पहले तुतले तुतले लहजे (Accent )में बात करना ,रेंगना ,फिर गिरते पड़ते ,चलना सीखना भाबी लता और प्रकाश सोनवणे कभी भूल नहीं पाएंगे। फिर कीड़े मकोड़े की तरह लिखने पर आप लोगों ने ज़रूर जश्न मनाया होंगा। स्कूल की सायली की शरारतें ,स्कूल कॉलेज में टॉप करने पर ख़ुशी का एहसास ,हर साल सायली की सालगिरह की पार्टी। उसके दोस्तों से मिलने पर दिल के किसी गोशे में ख़ुशी की लहरें उठना।
तुम चले जाओंगे तो सोचेंगे
हम ने क्या खोया हम ने क्या पाया
बच्चों के जाने के बाद ज़िन्दगी में खोने के एहसास ही बाक़ी रह जाता है। फिर उसके पुराने एल्बम ,वीडियोस हमारी ज़िन्दगी का सरमाया होजाते हैं। उसकी अलमारी रखे उसके कपडे ,उसके पुराने खिलोने हमारे लिए ख़ज़ाने से बढ़ कर होजाते हैं। वह जब भी मिलने आएँगी घर बहार की तरह खिल उठेंगा ,उस की जुदाई पर महसूस होंगा
तेरी क़ुरबत के लम्हे फूल जैसे
मगर फूलों की उम्र मुख़्तसर हैं
ज़न्दगी की यही रीत है। बेटी दामाद के साथ ही शोभती है। माँ बाप शादी का फ़र्ज़ अदा करके हमेश यही दुआ देते हैं
जहाँ रहे वो खैरियत के साथ रहे
उठाये हाथ तो ये दुआ याद आयी
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