सोमवार, 25 दिसंबर 2023

                                                                 मेरी डायरी के एक पन्ना 


सिदरा आयी हुयी है। उसकी मासूम हरकते देख कर दिन ऐसा गुज़रता है पता नहीं चलता। ९ महीने की माशा,अल्लाह हो चुकी है। कायदे से बैठने लगी है ,बात बात में सर हिलती है और ताली भी बजाने लगी है। कभी कभी रोते रोते भी ताली बजाने लगती है। 

                                                               तुम आगये हो नूर आगया है 

लोग हसना भूल गए हैं वह इस लिए नहीं के उनेह हसना नहीं आता ,बल्कि इस लिए के वह हसना नहीं चाहते। सिदरा के साथ १० दिन गुज़ार कर हसने की आदत लौट आयी। शायद उसकी नानी जान ने इन दस दिनों में १ साल के हसने का कोटा पूरा कर लिया। हम दोनों नाना ,नानी का बचपना लौट आया। सिदरा के लिए हम दोनों ने गाया भी ,नाचा भी और ज़ोरदार क़हक़हे भी लगाए। उसकी मासूमियत देख कर दिल उसकी तरफ किछ जाता है। सिदरा अब खड़े रहने की कोशिश भी करती है। रेंगने भी लगी है। अल्लाह अल्लाह बोलने पर आगे पीछे झूमने लगती है।  बहुत काम वक़्फ़ा हम लोगों के साथ गुज़ार कर वह हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन गयी। जाते जाते वह एक खला (vacuum ) छोड़ गयी।  अल्लाह उसे सलामत रखे आमीन सुम्मा आमीन। 

       सिदरा के सुनने के लिए लगाए गए बच्चों के गीत लकड़ी की काठी ,नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए ,तीन मोठे हाती घूमने चले ,बन्दर ने खोली दूकान ,ग़ुब्बारे वाला हम को ज़बानी याद होगये। सिदरा के साथ हसींन  लम्हात गुज़ार कर हम अपने आप में नयी ताज़गी महसूस करने लगे हैं। जब वह हम से जुदा हुयी तो मझे  यूँ महसूस हुवा 

वक़्त खुश खुश काटने का मश्वरा देते हुए 

रो पड़ा वो आप ,मुझको हौसला देते हुए 

वो हमें जब तलक नज़र आता रहा ,तकते रहे 

गीली आँखों उखड़े लफ़्ज़ों से दुआ देते हुए 


 

मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

Late Haji Sadiq Ahmed

Late Haji Sadiq Ahmed
                                                    लोग अच्छे हैं दिल में उतर जाते हैं 
                                                    एक खराबी है के ,मर जाते हैं 
                                                                
 1946-13th December 2023
आयी किसी की याद तो आंसू निकल पड़े 
आंसू किसी की याद के कितने क़रीब थे 
आज हाजी सादिक़ अहमद (दादा भाई ) को इंतेक़ाल हुए ११ साल का लम्बा वक़्त गुज़र गया है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने पीछे ऐसे नक्श (foot prints)  छोड़ जाते हैं जो कोई मिटा नहीं सकता। 
        मरकज़े फलाह नेरुल माशाल्लाह दादाभाई ने क़ायम की थी। १२ साल इस organisation के सेक्रेटरी भी रहे। २९ दिसंबर २०२३ को अग्रि कोली हॉल नेरुल में मरकज़ की सिल्वर जुबली का प्रोग्राम रखा गया है। sovenier में  उनका ज़िकर किये बग़ैर मरकज़े फलाह की तारीख (history ) मुक़क़म्मिल नहीं होती । अल्हम्दोलीलाह आज भी उनकी लिखी AGM रिपोर्ट्स पढता हूँ ,दादाभाई के ड्राफ्ट किये लेटर्स पड़ता हूँ तो चौंक जाता हूँ। उनेह उर्दू ,अरबी और इंग्लिश ज़बान पर महारत (command ) हासिल थी। पिछले २५ सालों में १००० students मरकज़ से फीस लेकर ज़िन्दगी में सेट हो चुके हैं। अपने ख़ानदान ,मिल्लत और मुल्क का सरमाया (asset )बने हुए हैं। इंशाल्लाह इस कासवाब भी मरहूम सादिक़ अहमद को ज़रूर पहुँचता होगा। 
        २००७ से  क़ुरान की तफ़्सीर का प्रोग्राम, मरहूम सादिक़ अहमद ने किया था। १७  साल बाद भी ये प्रोग्राम  जारी है। दादा भाई के हक़ में सद्क़ये जरिया है। 
        अल्लाह मरहूम दादा भाई को जन्नते फिरदौस में आला मुक़ाम अता करे। 
आमीन सुम्मा आमीन। 
ये भी क्या काम है के उस शख्स ने जाते जाते 
ज़िन्दगी भर के लिए दर्द का रिश्ता छोड़ा 
अजीब दर्द का रिश्ता था सब के सब रोये 
शजर गिरा तो परिंदे तमाम शब् रोये 



गुरुवार, 30 नवंबर 2023

khushbu jaise log mile

                                                                       खुशबु जैसे लोग मिले 

खुशबु जैसे लोग मिले कॉलम में आज जिस शख्सियत को मातार्रिफ़ किया जा रहा है वो किसी तार्रुफ़ की मोहताज नहीं। हमारी जनरेशन ने उन से जीने का सलीका सीखा है। 

अल्हाज नईमुद्दीन अलीमुद्दीन शेख़  (नासिक ) के हालते ज़िन्दगी पर सरसरी नज़र डालने की कोशिश की हूँ। कहा जाता है "जो बात दिल से निकलती है असर रखती है "। किस हद तक कामयाब हुवा हूँ अल्लाह बेहतर जनता है। पड़ने वालों की राय का इंतज़ार है। 

रागिब अहमद शैख़ 

inquilab ke liye

                                                                                اوڑھنی کا لم کے لئے 

                                                                        بسیار گفتاری کیوں نقصان دہ ہے ؟

                                                                   قوموں کی حیات انکے تخیل پے ہے موقوف 

بسیار گفتار کی  تین وجوہات ہوتی ہے اپنی بڑھا ی بیان کرنا دوسروں کی کمزوریاں بیان کرکے انہیں نیچا دکھانا دوسروں کے قد کو چھوٹا دکھا کر اپنا قد بڑھانے کی کوشش -پھر یہ جنوں کی شکل اختیار کر لیتا ہے -پوری قوم ملک ،سماج اس بیماری میں مبتلا ہوجاتا ہے -ہم مقصد سے ہٹ جاتے ہیں اور الله کی ناراضگی بھی مول لیتے ہیں -پوری دنیا میں سوشل میڈیا ،وہاٹس اپ ،ٹیلی ویژن خبریں اس کی زندہ  مثالیں ہیں -ہندوستان میں مسلم قوم کو حاشیے پر لانے کی یہ ایک بڑی وجہ  ہے -ہر کویی اس برائی میں ملوث ہے -دل کی گہرایوں توبہ ہی اس مسلے کا حل ہے -

شگفتہ راغب شیخ 

Haji Naeemoddin Alimoddin Shaikh



 
हाजी नईमुद्दीन अलीमुद्दीन शेख़ 
तारीख पैदाइश : 04 /07 /1942  जाये पैदाइश (place of birth ): भुसावल 

धुप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो 
ज़िन्दगी क्या है किताबों से निकल कर देखो 
आज हम ऐसी शख्सियत से आप को मुतारीफ (introduce ) करने जा रहे है जो  ज़िन्दगी की ८० बारिशें ,बहारें ,खिज़ाएं देख चूका है। और अब भी एक तन आवार दरख्त की मानिंद अपने ख़ानदान पर सायए आतेफ़त किये हुवे है। रिश्ते में मेरे भतीजे लगते है लेकिन बचपन से हम उनेह नईम दादा के लक़ब से पुकारते है। नईमुद्दीन अलीमुद्दीन हमारे बड़े अब्बा करीमुद्दीन के पोते और हमारे दादाभाई अलीमुद्दीन के बेटे। 
                                    मेहनत से वो तक़दीर बना लेते हैं अपनी 
                                    वर्से में जिन्हे कोई ख़ज़ाना नहीं मिलता 
     दादाभाई अलीमुद्दीन  (मरहूम )दुनिया  से जल्द रुखसत होगये थे। नईमुद्दीन को अपने दो भाइयों हमीदुद्दिन और जमिलाद्दीन की तालीम और तरबियत और ख़ानदान की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी ,उनोहने बखुशी सर आँखों पर इस ज़िम्मेदादारी को क़बूल किया । माशाल्लाह हमीदुद्दीन इंजीनियर बने और जमीलोद्दिन  ने भी अच्छी तालीम हासिल की       
       मैट्रिक के बाद अल्हाज नईमुद्दीन ने  जलगाव कोर्ट में स्टेनोग्राफर के पेशे से शुरुवात की। शायद जजों के लम्बे लम्बे फैसले लिखना पसंद नहीं आया, ६ महीने में ऊब गए । बन्दे में दम था , अपनी क़ाबिलियत पर पूरा यक़ीन था। हिंदसों (figure ) से बे इन्तहा इश्क़ था। अपनी कोशिशों जफिशनी से income tax शोबे का इम्तेहान पास किया न कोई सिफारिश थी ,न रहनुमाई ,बल्कि सब कुछ अल्हाज नईमुद्दीन ने अपने बल बुते पर किया। 
                                  मुझको जाना है बहुत आगे हदे परवाज़ से 
       फिर अल्हाज  नईमुद्दीन अपने Department  के इम्तेहानात पास करते रहे और तरक़्की की सीढ़ियां चढ़ते रहे। २००२ में  Assistant Commissioner of Income Tax Nasik के ओहदे से पेंशन याब हुए। 
        हमीदुद्दीन अल्हाज नईमुद्दीन के छोटे भाई ने मुझे बताया के मीट्रिक के बाद दादा ने मुझसे पूछा "क्या करने का इरादा है। अगर ITI करना हो तो नासिक में अवेलेबल है " हमीदुद्दीन ने जवाब दिया उसे Diploma in Mechanical Engineering करना है "। unfortunately नासिक में इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं था।  हमीदुद्दीन ने बताया , मेरी तालीम की दादा को इतनी फिक्र थी कमिशनर के PA से मिल कर उस से धूलिया ट्रांसफर करने की request  की। PA ने पूछा "नासिक तो बड़ी अच्छी जगह है आप धूलिया क्यों ट्रांसफर चाहते हो " दादा ने कहा मेरे भाई की आला तालीम के लिए,  जो नासिक में अवेलेबल नहीं "। और immediate उन्हें धूलिया ट्रांसफर मिल गया। हमीदुद्दीन को धुलिया इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिला और  वही से उनोहने अपनी तालीम मुक़्क़मिल की। क्या आज के दौर में ये क़िस्से कहानियों की बातें मालूम नहीं होती ? 
                                उनकी ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए 
       नासिक की विजिट में नईम नईमुद्दीन दादा से पूछा आपकी शादी कब हुयी थी फ़ौरन कहा "६ मार्च १९६६ "। हमारी भाभी ( naseem bano )भी खुश मिज़ाज ,बुर्दबार हैं। माशाल्लाह २००४ में मिया बीवी को हज की सआदत (opportunity ) भी नसीब हुयी।   अल्लाह ने ५ औलादों से नवाज़ा है । मतीन ,तनवीर ,नवेद ,शगूफा और सीमा। अल्हाज नईमुद्दीन ,अपने अलकरम आशियाने (नासिक ) में तमाम औलादों के साथ पुरसुकून ज़िन्दगी गुज़ार रहे है।  
मौत क्या है थकन ख्यालों की 
ज़िन्दगी क्या है दम ब दम चलना 
         शायद  नईमुद्दीन दादा के लिए ये शेर कहा गया हो। आपने अपनी पीराने साली ( old age )के बावजूद। एक  मिशन शुरू किया है। ज़ियादा से ज़ियादा ख़ानदान ,क़ौम के बच्चों को Chartered Accountancy के कोर्स से मुतर्रीफ़  (introduce ) कराना । माशाल्लाह दादा नईमुद्दीन की बातें , हवाई किले नहीं होती। दादा का एक नवासा (ज़ैद ) उनकी  Guidance  और counselling  (रहनुमाई ) से CA बन चूका है। दादा का एक और पोता  (इमाद )और नवासा भी इन कोशिशों में मसरूफ हैं ,इंशाल्लाह कामयाबी उनके क़दम चूमेंगी और वो दोनों ज़रूर CA बनेंगें। 
नासिक उनके घर जा कर मुलाक़ात की थी। मुझ से भी इस सलीस अंदाज़ में CA बनने का तरीक़ा समझाया , मुझे लगा काश ! में भी अपनी तालीम के दौरान दादा से मिला होता तो आज CA होता। 
         अल्हाज नईमुद्दीन की दराज़िये उमर के लिए दूआ है। 

सोमवार, 27 नवंबर 2023

jashne shadi


Ragib Ahmed,Rameez,Saima,Shagufta

Makhdum Ali ,Shahd Aslam ,Ragib,Hamidoddin 


                                                                       जशने शादी 
मुझे सहल होगयी मंज़िले वो हवा के रुख भी बदल गए 
तेरा हाथ हाथ  में आगया के चराग़ राह  में जल गयें 
रमीज़ साइमा की नयी ज़िन्दगी की शुरुवात पर हम सब की जानिब से दिली मुबारकबाद। रमीज़ के कई मतलब होते हैं ,एक मतलब होता है जहॉँदीदा (experienced ) मशालल्लाह बहुत खुशमिज़ाज शख्सियत है। लेकिन हम तो उसे विराट कोहली के नाम से  जानते है। विराट कोहली हमारे रमीज़ के जैसे दीखता है। हम दोनों (शगुफ्ता और मुझे ) बड़े इसरार से वसीमा ने  मेहँदी ,हल्दी और शादी की दावत दी थी । सेवन स्काई (seven sky ) होटल में हम दोनों के लिए रूम बुक किया। हमें सातवें आसमान पर पहुंचा दिया। सेवन स्काई नाशिक की icon hotel है। डिनर ,सुबह का नाश्ता ,और वलीमे के function में समीर की event मैनेजमेंट की झलक दिखयी पड़ी। निकाह का फंक्शन Bagai Banquets नाशिक में रखा गया था। निकाह के बाद मौलाना ने निकाह के उन्वान पर मुख़्तसर जामे तक़रीर की। बाद निकाह ,दावत भी शानदार रही। वसीमा ,नाजीरुद्दीन ,रमीज़ और सना ने सर आँखों पर जगह दी। साइमा भी मुहज़्ज़ब  ख़ानदान से belong करती है। ,माशाल्लाह ग्रेजुएट इंजीनियर है , क्लास की topper रही है। 
ऐसे फंक्शन दिलो दिमाग़ पर असर छोड़ जाते हैं जहाँ निय्यतों में खुलूस शामिल होता है 
अल्लाह नए शादी शुदा जोड़े रमीज़ और साइमा को अब्दो अबाद की खुशियां नसीब करे। ग़म की परछाई भी उन पर न पड़े, अमीन सुम्मा अमीन। 

रमीज़ और साइमा की शादी के तुफैल में बहुत से पुराने रिश्तों की तजदीद हुयी।  मुरकोबद्दीन मॉमू , मुबा मुमानी ,नसीम खाला को मिल कर उनकी शफ़्क़त्ते उनकी मोहबत्तें याद आयी। अल्लाह उनको सलामत रखे। सेहत और तंदुरस्ती के साथ उनका साया हम पर क़ायम रखे  आमीन  । पुरानी  दोसतियां हमीदोदिन और मखदूम अली जो हमेशा ताज़ा दम रहती हैं, दोनों को बिल मुशाफ़ा मिलने के बाद दिल  की कली खिल जाती है, दिल में जीने की उमंग बढ़ जाती है। हमीदुद्दीन के घर जा कर रख्शंदा और हमीद से  हम दोनों ने ढेरों बातें की। हमीद ने जन्नत उल फिरदौसे इतर तोहफा देकर दिल जीत लिया। शाहद असलम के घर जा कर शगुफ्ता और शाहद ने अपने बचपन की यादें ताज़ा कर ली। शाहद असलम के तीनो बच्चों से मुलाक़ात का शरफ़ हासिल  हुवा ,ख़ुशी हुयी शहदऔर सदफ ने बच्चों की बड़ी अछि तरबियत की है। नईमुदद्दीन दादा के घर जा कर उनका interview लिया उनके हालते ज़िन्दगी जानने की कोशिश की। अल्लाह उनेह सलामत रखे। अमीन 
  रईस , इल्मान ,अंजुम से एक ज़माने के बाद मुलाक़ात हुयी। यूनुस मालिक ,नदीम मालिक (बाबा मोटर्स ) से ग़ायबाना जान पहचान थी ,इस फंक्शन में उनसे मुलाक़ात हुयी उनके हालत जान कर दील बाग़ बाग़ होगया। सना नाज़िरोद्दीन से दिल खोल कर बातें हुयी , ज़मीन से जुडी बच्ची है ,अल्लाह उसे ताबनाक मुस्तक़बिल अता करे आमीन। 
२६ नवंबर को  बारिश की बौछारे बरसी मौसम खुश गवर होगया । उसी दिन नेरुल वापसी हुयी। लियाक़त अली सय्यद का दिल की गहराईओं से शुक्रिया बड़ी महारत  से तूफान और बारिश के बावजूद ,कार ड्राइव की और हिफाज़त से घर पुह्छाया। 
काश इन लम्हात को कुछ और तूल दिया जा सकता,वक़्त ठहर सकता   ! लेकिन 
भला किसी ने कभी रंग व बू को पकड़ा है 
शफ़क़ को क़ैद में रखा सबा को बंद किया ?


गुरुवार, 23 नवंबर 2023

Khiraje Aqeedqt

                                                              हाजी अयाजोद्दीन हैदर शैख़ 

         पैदाइश : 08 /05 /1932  इंतेक़ाल : जुमा 17 /11 2023 (2 जमादिल अव्वल )  तद्फीन :18 /11 /2023 


                                                शगुफ्ता रागिब ,मरहूम अयाजोद्दीन ,रागिब अहमद 

फैला के पाँव सोयेंगे तुर्बत में आज हम 

लो अब सफर तमाम हुवा घर क़रीब है 

हमारे सगे बहनवाई हाजी अयाजोद्दीन शैख  (दूल्हे भाई ) ९१ सालोँ की तवील (लम्बी )ज़िन्दगी  गुज़ार  कर इस जहाने फानी से रुखसत हुए। हमारी बड़ी आपा ( उन की अहलिया )अदीबुन्निसा २७ साल पहले इस दुनिया से रुखसत होगयी थी। अजीब इत्तेफ़ाक़ है २७ सालों बाद तद्फीन के लिए , दुलहे भाई कोआपा के पड़ोस में पूना के क़दीम दूल्हा दुल्हन क़ब्रस्तान (भवानी पेठ )  में दफ़न होने का का शरफ़ हासिल हुवा। 

मेरे पैरों की गुलकारी बियाबान से चमन तक है 

मरहूम हाजी अयाजोद्दीन के वालिद हैदर शैख़ पुलिस डिपार्मेंट में थे ,बड़े भाई अब्दुल क़ादिर भी पुलिस शोबे में रहे , अब्दुलराजजक भी पुलिस खाते में थे ,शरफुद्दीन रेलवे , और अब्दुल करीम छोटे भाई ने देवी डॉ के नाम से मशहूर हेल्थ शोबे में काम किया था।  अपने ख़ानदान की रवीश को बरक़रार रखते हुए मरहूम ने भी गवर्नमेंट सर्विस को चुना।  मरहूम ने सेंट्रल एक्साइज शोबे में हवलदार के अहदे से शुरुवात की। १९६५ में जॉब पर रहते हुए मेट्रिक पास किया ,मेहनत ,लगन से तरक़्क़ी करके लोअर डिवीज़न क्लर्क ,अप्पर डिवीज़न क्लर्क  और १९९१ में  डिप्टी ऑफिस सुपरिंटेंडेंट के अहदे से अहदे से रिटायर हुए। 

इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने 

मरहूम हाजी अयाजोद्दीन ने अपनी सर्विस के दौरान ठाणे ,कोपरगाव ,मुंबई ,अली बाग़ और पुणे ऑफिस में अपनी खिदमात अंजाम दी। उनका ज़ियादा वक़्त पुणे ऑफिस में गुज़रा।  

मंज़िल की हो तलाश तो दामन जुनूं का थाम 

राहों के रंग देख न ,तलवों के खार देख 

अपनी माली हालत को मद्दे नज़र रखते हुए ,अपनी ज़रूरियाते ज़िन्दगी को मरहूम ने बहुत हद तक समेट रखा था । हमेशा किफ़ायत शारी से काम लिया।  उनकी अहलिया अदीबुन्निसा ने भी अपनी औलाद के लिए बे इन्तहा क़ुर्बानियां दी। मरहूम कई दिने तक एक ही शेविंग ब्लेड का इस्तेमाल करते ,ब्लेड पर निशान लगा कर कई कई रोज़ इस्तेमाल करते। उनकी सेहत का राज़ साइकिल की सवारी थी । हड़पसर से ऑफिस का फैसला ८ किलो मीटर से शायद ज़ियादा ही होगा , हमेशा साइकिल से जाते थे। बेटे नासिर  बेटी परवीन को ऑफिस जाते स्कूल छोड़ते और वापसी में ले आते।  में ने भी उन की साइकिल पर पुरे पुणे की सैर की है। यहाँ तक के शिवपुर दरगाह जो पुणे शहर से १५ या २० किलोमीटर की दुरी पर है दुलहे भाई की साइकिल से ही सवारी की थी । मरहूम हाजी  अयाजोद्दीन शतरंज के माहिर खिलाडी थे। कई मैडल ,ट्रॉफीज ऑफिस टूनामेंट में जीती थी। दिल्ली ऑफिस तक अपनी जीत के झंडे गाढ़ आये थे।  

मेरे जुनूं का नतीजा ज़रूर निकलेगा 

इसी सियाह समंदर से नूर निकलेंगे 

बरकत नाम है अहसास का। आज दूल्हे भाई (हाजी अयाजोद्दीन ) की महनतों का समर के  उनके बड़े बेटे नासिर ने  बेहतरीन कॉलेज से B.SC  किया ,सेफ्टी अफसर का कोर्स किया अब दुबई में मुक़ीम है। बेटी परवीन M.A B.ED करके ,ग़रीब खानदानों के बच्चों में तालीम की शमा रोशन करने  में मसरूफ है। उसके कई स्टूडेंट्स डॉक्टर , इंजीनियर्स और आला तालीम हासिल कर ,अपनी क़ौम ,मुल्क,समाज और अपने ख़ानदान के लिए सहारा बन गए हैं । नाज़िम और फहीम भी पेशे से इंजीनियर्स हैं।  माशाल्लाह  ये सिलसिला आगे भी जारी है ,मरहूम की २ पोतियां डॉक्टर बन रही है , १ नवासी  B.E  कर ,M.B.A कर रही है नवासा बी.इ कर चूका है और अब आला तालीम के लिए बैरून मुल्क जाने की कोशिशों में लगा है। मरहूम ने तमाम उम्र ईमानदारी से नौकरी की  ,एक पैसा रिश्वत का नहीं लिया। अल्लाह ने भी उनकी खुद्दारी की लाज रख ली ,उनेह आखरी वक़्त तक अपनी पेंशन की कमाई पर मुनहसर रखा। मरहूम बड़ी इत्मीनान बख्श ज़िन्दगी गुज़र का र दुनिया से रुखसत हुए। 

में ने ओल्ड पीपल होम ( आश्रय नेरुल  ) को अक्सर विजिट किया हूँ। वहां अपने  खानदान के लोगों के इंतेज़र में बुज़र्गों को तरसते देखा हूँ। मरहूम बड़े खशकिस्मत थे अपने बेटे ,बेटी , बहुयें ,पोतों ,पोतियोंऔर नवासा ,नवासी की एक फ़ौज उनकी खिदमत के लिए हाज़िर बाश रहती थी। कभी भी मरहूम को अपनी मरहूम अहलिया की कमी कमी महसूस नहीं होने दी। आखरी वक़्त तक हर किसी ने मरहूम की बे लौस खिदमत की। माशाल्लाह जनाज़े में भी दोनों फ़रज़न्द नासिर नाज़िम  दुबई से वक़्त से पहले पहुँच गए और मरहूम को कांधा दिया। 

अल्लाह मरहूम अयाजोद्दीन को करवट करवट जन्नत नसीब करे और मुतल्लाकीन को सब्र नसीब हो अमीन सुम्मा आमीन। 








बुधवार, 15 नवंबर 2023

                               ये तहरीर मुझे तहरीम की हल्दी की रस्म के दिन पढ़नी थी 

१५ नवंबर २०२३ बमुताबिक़ १ जमादि उल अव्वल तहरीम की शादी की दावत हम दोनों (शगुफ्ता और मुझे ) को तवील अरसे पहले मिल चुकी थी। और में ने अपनी डायरी में नोट भी कर लिया था। आठ रोज़ पहले साइमा और खालिद ने याद दहानी कराई। साइमा ने ज़ोर दे कर कहा "भाई जान शादी में शरीक होंगे, तो  शादी को चार चाँद लग जायेंगे। में ने उससे कहा "मेरी आँखों में भी चार चाँद लग लग गए हैं, मोती बिंदु (cataract ) के ऑपरेशन के बाद दोनों आँखों में लेंस लग गए हैं और ५० साल पुराना चश्मा भी छूट गया है "फिर ख्याल आया डॉ ने मुझे कुछ रोज़ सफर के लिए मना किया है। बाकायदगी से दवा डालनी होंगी। सोचा मैं नहीं जावूंगा तो मेरा छोटा भाई खालिद नाराज़ होजाएंगा । उसकी नाराज़गी बर्दाश्त कर लूंगा। बहन साइमा की नाराज़गी का क्या करूँगा सोचा उसे भी मना लूंगा। लेकिन कुछ रिश्ते अजीब होते हैं। तहरीम से दो रिश्तों से जुड़ा हूँ वो भांजी भी है और भतीजी भी। फिर शादी में आने का फैसला कर ही लिया। 

जलगांव ,एरंडोल ,नवापुर ,भड़भूँजा जाने के बहाने ढूंढ़ता रहता हूँ। में नहीं ढूंढ़ता बहाने मुझे ढूंढ लेते हैं। क्यूंकि मुन्नी में मुझे गोरी मुमानी दिखाई देती है, सबीना में मुमानी अम्मा ,साजिद /खालिद में खालू जान ,अज़हरुद्दीन में दूल्हे मामू ,ज़की में गोरे मामू। हम चारो भाइयों को ननिहाल से अक़ीदत की हद तक क़ुरबत रही है। मामू,मुमनिया ,ख़ालाये , खालू भरा पूरा ख़ानदान  था। अम्माँ की वफ़ात के बाद सभी हम पर ,बे इन्तहा शफ़क़त ,मोहब्बत ,इनायतें और करम निछावर करते रहें। धीरे धीरे सब  हम से बिछड़ गए। सेहरा में नखलिस्तान की तरह एक निशान बचा है खाला जान में. उनेह करुणानिधि कहता हूँ करुणा (महबतों ) का मौजे मरता समंदर। जब भी उन से मिल कर बिछड़ता हूँ लगता है 

तेरी क़ुरबत के लम्हे फूल जैसे 

मगर फूलों की उमरें मुख़्तसर हैं 

                                                      एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़ 

शदी में मारूफ शख्सियतें शरीक हुयी हैं। शारिक  शीराज़ी वतन शीराज़ है ,हिंदुस्तान में अहमदाबाद को अपना वतन बनाया ,और अब सालों से अमेरिका में अपनी रिहाइश कर रखी है ,नफ़स ब नफीस तशरीफ़ लाये हैं। हर दिल अज़ीज़ डॉ वासिफ अहमद दुबई से तशरीफ़ लाये हैं। तहरीम की चाचा चाची  ,फूफा फूफी ,चाचा ज़ाद बहने भाई ,मामू ज़ाद सूरत ,नवापुर ,कल्याण ,धूलिया और जलगाओं से शादी में शिरकत के लिए आएं हैं। भरा पूरा ख़ानदान है। 

वो बाग भी क्या बाग़ जहाँ तितलियाँ न हो 

वो घर भी कोई घर है जहाँ लड़कियां न हो 

क़ुदरत का उसूल है लड़कियों को जुदा  होना ही पड़ता है। जानता हु ,ख़ाला जान ,खालिद और साइमा के लिए तहरीम की जुदाई तकलीफ दे ज़रूर होंगी ,लेकिन उसके रोशन मुस्तकबिल और नयी ज़िन्दगी की शुरवात पर दिल मुत्मइन भी होंगे । एक तालीम याफ्ता,संजीदा और तहज़ीब याफ्ता  ख़ानदान की बहु बनना भी खुश नसीबी की बात होती है। 

जहाँ रहे वो खैरियत के साथ रहे 

उठाये हाथ तो ये दुआ याद आयी 

हम सब की दुवायें ,नेक ख्वाहिशात बेटी तहरीम के साथ  हैं , नयी ज़िन्दगी की शुरुआत पर दिल की गहराइयों से मुबारकबाद। 

आमीन सुम्मा अमीन  

सोमवार, 13 नवंबर 2023

Salahuddin Malik

                                                             मरहूम  हाजी सलाहुद्दीन मालिक  

पैदाइश  :       01 /06 /1965  (नसीराबाद )

वफ़ात   :         29 /10 /2023   (जलगांव )    तद्फीन : 30 /10 /2023   सुबह ११ बजे बड़ा क़ब्रस्तान जलगांव 


मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़सोस 

यूँ तो दुनिया में सभी आये हैं मरने के लिए 


सलाहुद्दीन का मतलब होता है "दींन की पुकार " या " वह इंसान जो लोगों को फायदा पुह्चायें "

      मरहूम हाजी  सलाहुद्दीन मालिक साहेब में ये दोनों खूबियां कूट कूट कर भरी थी।  माशाल्लाह मरहूम क़ुरान की तफ़्सीर ,तशरीह ,और लोगों को अरबी Grammar सिखाने में अपने आप को मसरूफ रखते थे। मरहूम के दो निजी channels तज़्कीर बिल क़ुरान और फ़हम क़ुरान भी थे जिन पर मरहूम सलाहुद्दीन रोज़ाना क़ुरान की तफ़्सीर और अरबिक grammar की इशाअत करते रहते थे। कुछ लोगों ने ग्रुप में उन पर तंज़ भी किया उनेहे इन कामों से रोकने की कोशिश भी लेकिन बक़ौल शायर 

"न सताइश की तमन्ना न सिले की परवाह " मरहूम अपना काम जूनून की हद तक करते रहे और इस दुनिया से अपनी आक़ेबत सवार कर रुखसत होगये। 

    उनकी मौत पर हर ग्रुप में उनको ताज़ियत के पैग़ामात का एक सैलाब आया , जो थमने का नाम नहीं लेता था। तब पता चला वो हमारे रिश्तेदारों में कितने हर दील अज़ीज़ थे। बैरून मुल्क से भी खान मोहम्मद (दुबई) नईम शैख़ और उनके पुराने साथियों के messages आये। 

खुदा बख्शे बहुत सी खूबियां थी मरने वाले में 

मालिक सलाहुद्दीन की पैदाइश नसीराबाद की है। इब्तेदाई तालीम एरंडोल उर्दू स्कूल में हुयी। साबू सिद्दीक़  इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की तालीम मुक़्क़मिल की। मुख़्तसर अरसा मुम्ब्रा में जॉब किया और 

मुझ को जाना है आगे हदे परवाज़ से के मिस्दाक़ सऊदी अरबिया की जानिब उड़ान उडी। १० साल वाटर पाइप लाइन प्रोजेक्ट पर काम किया। हज उसी दौरान अदा किया और जेद्दा बेस होने की बिना पर कई उम्रे भी अदा किये। इसी  सर ज़मीन पर कई मुक़द्दस मुक़ामात की सैर की। मक़्क़ा ,मदीना ,मैदाने बद्र ,तबूक वग़ैरा ,मैं ने उनके हातों से बने सऊदी के नक़्शे अपनी आँखों से देखें है. मैं ने कई बार सऊदी मक़ामात के बारे में सवालात करके उनसे कीमती मालूमात भी हासिल की है। 

आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा 

अगले १५ साल मरहूम सलाहुद्दीन दुबई में कंस्ट्रक्शन कंपनी में अपनी खिदमत देते रहें। ज़ियादा वक़्त उनका दुबई ओमान बोर्डेर पर गुज़रा। वहां भी वह लेबर कैंप की मस्जिद में क़ुरान की तफ़्सीर करते थे। कई वीडियो उनोहने मुझे अपनी दुबई तफ़्सीर के share किये थे। 

सोहबतें सालेह तुरा सालेह कुनद 

मरहूम को किताबों से जूनून की हद तक लगाव था। इस दौर में जब "जिसे भी देखिये वह अपने आप में गुम है " लोग व्हाट्स उप सोशल मीडिया पर वक़्त बर्बाद करते नज़र आते हैं ,में ने उन के घर की विज़िट के दौरान तफ़्सीर क़ुरान के मुख्तलिफ मजमुवे ,तारीख इस्लाम पर लिखी किताबों की एक लायब्ररी देखि  उसदिन ,दिल बाग़ बाग़ होगया के इस दौर में भी ऐसे लोग मौजूद है। उनका अपना बेड रूम ही उनका स्टूडियो हुवा करता। 

उनकी दोस्ती और ताल्लुक़ात भी मारूफ हस्तियों से थी। प्रोफेसर हमीदुद्दीन मराज़ी जो कई किताबों के लेखकः है और ३० सालों से जम्मू यूनिवर्सिटी में "Religious Studies "  के प्रोफेसर है मरहूम को बहुत अज़ीज़ रखते थे और वो भी प्रोफेसर साहेब की बहुत इज़्ज़त करते थे। 

लेकिन तेरे ख्याल से ग़ाफ़िल नहीं रहा 

इन सब मसरूफियतों के बावजूद मरहूम सलाहुद्दीन मलिक ने अपनी औलाद की तरबियत भी उम्दा तरीके से की। माशाल्लाह  बेटा सऊद इंजीनियरिंग ग्रेजुवट है बहुत जल्द post graduation के लिए कनाड़ा रवाना होने वाले है। बेटी सनया भी इंग्लिश लिटरेचर में M.A हैं ,और आर्ट टीचर भी है, और बहुत जल्द अज़्दवाजी रिश्ते में बंधने वाली है। कुछ ख्वाब ज़िन्दगी में पुरे नहीं हो पाते ,अल्लाह की मस्लेहत ,लेकिन नेक औलाद और फर्माबरदार ज़ौजा उन ख्वाबों की ताबीर ,परेशानियों,नामवाफ़िक़ हालात के बावजूद हकीकत के रूप में बदल देती है , जो मरहूम की रूह को सकून का सबब बन जाता है। 

पहुंची वही पे ख़ाक जहाँ का खमीर था 

मरहूम हाजी सलाहुद्दीन भी नसीराबाद में पैदा हुए थे और ,१० किलोमीटर के दायरे जलगांव में आराम फार्मा है। अल्लाह मरहूम की रूह को करवट करवट जन्नत नसीब करे। 

आमीन सुम्मा आमीन 



सोमवार, 30 अक्टूबर 2023

Advance Eye Hospital and Institute (AEHI) (Agrawal eye clinic)





 AEHI  (Advance Eye Hospital and Institute )

2013 से मैं AEHI सानपाडा में अपनी वाइफ के साथ हर साल आँखों की चेकिंग के लिए विजिट करता रहा हूँ। पहली बार २०१३ में जब हॉस्पिटल का उद्धघाटन हुवा था "कछ युथ एसोसिएशन "की तरफ से फ्री ऑय चेक अप  हुवा था। मुझे ये फैसिलिटी इतनी दिल को भा गयी थी ,अपने कई दोस्तों और रिश्तेदारों को में ने इस हॉस्पिटल में रेफेर किया था। और सभी ने इस हॉस्पिटल की प्रसंशा की थी। 

मेरी आदत सी बन गयी है तू 

और आदत कहीं नहीं जाती 

डॉ वंदना जैन AEHI की बानी (Founder ) है और इंचार्ज रही है। मोहतरमा बहुत शरीफ ,मुख्लिस  और नरम लहजे (soft spoken )में बात करती है। मरीज़ की आधी बीमारी उनसे बात करके दूर होजाती है। और वह हमेशा से हम दोनों वाइफ हस्बैंड की ऑंखें चेक करती रही है। AEHI में हर किस्म की मॉडर्न फैसिलिटीज अवेलेबल है। यहाँ का स्टाफ भी मुस्तैद (ALERT ) है। और डॉक्टर्स  की फ़ौज है जो अपने अपने फील्ड में माहिर है Squint Cataract , Retina Cornea problems में माहिर डॉक्टर्स की खिदमत (सर्विसेज ) हासिल की जा सकती है। इस हॉस्पिटल में डॉ वंदना जैन ,डॉ राजेश मिश्रा , डॉ अक्षय नायर ,डॉ प्रतिक गोगरी ,डॉ योगेश पाटिल ,डॉ प्राची आकाशे डॉ नितीश तिवारी जैसे मारूफ डॉक्टर्स की सर्विसेज अवैल की जा सकती है। 

दिल के ज़ख्मों को छुवा है तेरे गालों की तरह 

१७ अक्टूबर २०२३ मंगलवार को  डॉ वंदना जैन मेरी लेफ्ट ऑय का  कैटरेक्ट का ऑपरेशन किया और लेंस भी लगा दिया। ५० सालों से में ग्लासेज का इस्तेमाल कर रहा था अब तो ,आँखों की रौशनी इतनी तेज़ होगयी के Spectacles की  ज़रूरत ही नहीं रही। १५ मिनट्स के मुख़्तसर (short ) टाइम में surgery मुक़्क़मिल (complete ) होगयी और यु लगा डॉ साहेबा ने नश्तर (LANCET) की बजाय गुलाब की पंखड़ी से ऑपरेशन किया हो "Hats off to Dr Vandana Jain "

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

kamyabi mubarak

                                                                           मुबारकबाद 
उकाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में 
नज़र आती हैं उनको अपनी मंज़िल आसमानो में 
शुमाइज़ा ज़ाहिद शैख़  को A Grade में Master of Commerce का एग्जाम क्लियर करने पर दिली मुबारकबाद। इक़रा खानदेश फाउंडेशन से उसे पिछले २ सालों से कॉलेज फी स्कॉलरशिप की सूरत में अदा की गयी। इक़रा खानदेश फाउंडेशन के तमाम कमीटी मेंबर्स की जानिब से मुबारकबाद ,और रोशन मुस्तकबिल  के लिए ढेर सारी दुवाएँ। 
सिदृरा नूरुद्दीन शैख़ ने तबियत खुश करदी, माशाल्लाह A + Grade मे Master of Commerce एग्जाम पास किया है। अमर ट्रांसपोर्ट ख़ानदान को  रिश्तेदारों में एक मक़ाम हासिल है। हमेशा खैर के कामों में पेश पेश रहते हैं। कल्याण प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन का प्रोग्राम अमर ट्रांसपोर्ट की ऑफिस ही  में रखा गया था ,तब जनाब नूरा से मुलाक़ात का शरफ़ हासिल हुवा था। आप पुर खुलूस शख्सियत के मालिक हैं और अपने बच्चों की तरबियत पर खास  ख्याल रखा है। अल्लाह से दुआ है उनका ख़ानदान इसी तरह तरक़्की की राह पर गामज़न रहे। अमीन सुम्मा आमीन 

सोमवार, 12 जून 2023

kalyan couselling programme

किसी भी तंज़ीम की कामयाबी खुलूस और डेडिकेशन से काम करने वाले मेंबर्स  से होती है। जंग में हमेशा प्यादे अहम रोल अदा करते हैं और  कर्नल ,जनलस को क्रेडिट मिलता है। सही है कर्नल की स्ट्रेटेजी प्लानिंग का कामयाबी में  बड़ा दखल होता है। 

माशाल्लाह कल्याण इक़रा खानदेश फाउंडेशन यूनिट की जानिब से ११ जून २०२३ इतवार को Counselling का कामयाब  प्रोग्राम कम्युनिटी हॉल रहेजा काम्प्लेक्स कल्याण में मुनकिद किया गया। ९ से १२ क्लास के बच्चों की Counselling जनाब अख़लाक़ शैख़ साहेब मशहूर कौंसलर ने की। आप इन्किलाब में रोज़ाना "मंज़िल की जुस्तजू है तो जारी  रहे सफर  " मोटिवेशनल कलम लिखते है। माशाल्लाह रिश्तेदारों में प्रोग्राम के ताल्लुक़ से एक जोश दिखाई दिया। 

हमारे मुक़ामी कार्यकर्ता जनाब मखदूम अली सय्यद   ,हिसामुद्दीन ,अनीस सर ,मैडम यास्मीन मखदूम ,इमरान मखदूम ,रुखसार इमराम अली , अनीस सर अज़ीम (कालसेकर कॉलेज ),सलीम शैख़ ,आसिफ शैख़ और हसींन साहेबान ने प्रोग्राम को कामयाब बनाने में अनथक मेहनत की जज़ाक अल्लाह खैर। हाजी सलाहुद्दीन मालिक ने प्रोग्राम में शिरकत कर प्रोग्राम को चार चाँद लगाए। और आखिर तक प्रोग्राम में शरीक  रह कर हम सब की हिम्मत अफ़ज़ाई की। 

माशाल्लाह जनाब मखदूम अली सय्यद और हिसामुद्दीन साहब को देख कर लग रहा था उनके घर शादी है। हॉल की बुकिंग से ले कर साफ़ सफाई तक । अक्सर ये होता है पब्लिक हॉल में टॉयलेट बहुत गंदे होते है यहाँ तो टॉयलेट भी चकाचक थे। फिर बच्चों का नाश्ता पानी का इंतेज़ाम पंखे ,लाइट ,70 MM स्क्रीन भी provide किया गया था। हॉल भी  बच्चों ,और साथ आये वालेदैन से भर गया था। बच्चों ने प्रोग्राम को दिलचस्पी से सुना। प्रोग्राम के बाद भी अख़लाक़ अहमद को घेरे में ले कर बच्चों ने बेतहाशा सवालों की बौछार कर दी ,और जनाब अख़लाक़ ने उनके तस्सली बख्श जवाबात दिए।  

प्रोग्राम के बाद हिसामुद्दीन साहब के घर लज़ीज़ खानो से मेहमान नवाज़ी हुयी। हमारी अहलिया मोहतरमा शगुफ्ता रागिब और हमारे  भाई  जनाब जावेद अहमद शैख़ जो सानपाडा से तशरीफ़ लाये थे, इनोह ने  प्रोग्राम और खाने का बेहद लुत्फ़ लिया 

special thanks तो इमरान मखदूम अली फॉर recording और online शेयरिंग प्रोग्राम on you tube . हालाँकि  internet अवेलेबल नहीं था।  अल्लाह जज़ाए खैर आता करे।  आमीन सुम्मा आमीन 

शुक्रगुज़ार है  प्रिंसिपल शकिलोद्दीन सर के जिनोह्णे स्कूल के स्टूडेंट्स को छुट्टी के रोज़ बुला कर बड़े स्क्रीन पर प्रोग्राम live दिखाया। माशाल्लाह २६०  लोग अब तक प्रोग्राम देख चुके हैं। 

कुछ लोगो से  अल्लाह अहम काम ले लेता है ,वह हर जगह मौजूद होकर भी कही दिखाई  नहीं देते। हमारे  counselling प्रोग्राम के पिलर ,financial supporters ,अल्लाह उनके  रिज़्क़ में बेहद बरकत आता करे। 

 जज़ाक अल्लाह कैप्टेन शाहबाज़ अली सैयद 

जज़ाक अल्लाह जनाब नवेद अंजुम वासिफ शैख़ (दुबई )

जज़ाक अल्लाह मोहतरमा नाएला चूनावाला (सऊदी अरबिया )

जज़ाक अल्लाह सुहैल शैख़ (कल्याण )

इक़रा खानदेश फाउंडेशन उम्मीद करता है के स्टूडेंट्स ज़रूर इस प्रोग्राम से फायदा उठाएंगे। अगर कुछ सवालात अख़लाक़  अहमद साहब से करने हो तो  मुझ से इस नंबर पर राब्ता करे 9892369233 

 रागिब अहमद शेख (नेरुल नवी मुंबई )

प्रेजिडेंट इक़रा खानदेश फाउंडेशन 


गुरुवार, 8 जून 2023

Happy Birthday Dr wasif

 तुम्हारी हंसती  हुयी ज़िन्दगी की राहों में 

हज़ार फूल लुटाती हुयी बहार आये 

तमाम उम्र तुझे ज़िन्दगी का प्यार मिले 

खुदा करे के ये ख़ुशी तुमको बार बार मिले 

हमारी जनरेशन में हम ने जन्म  दिन मनाते सिर्फ फिल्मों में ही देखा था। शायद डॉ साहेब ने डॉक्टरी मुक़क़म्मिल करनेतक कभी जन्म दिन मनाया हो। अँगरेज़ हिन्दुस्तान छोड़ तो गए ,लेकिन जाते जाते कुछ निशानात अपनी यादों के छोड़ गए। उनेह केक ,फूल ,मोम बतियाँ बेचना था, जन्म दिन मनाने का शोशा छोड़ गए। वैलेंटाइन डे ,क्रिस्टमस न जाने क्या क्या और हिंदुस्तान में लोगों ने इन बातों को ऐसे अपना लिया जैसे अपनी तहज़ीब का हिस्सा हो। 

डॉ वासिफ ने अपनी ज़िन्दगी चोपड़ा ,जलगांव की जिल्ला परिषद् स्कूल से शुरू की थी। एंग्लो उर्दू स्कूल  जलगांव से १९६६ में मेट्रिक की परीक्षा पास की, में भी उनके नक़्श क़दम पर चलता रहा ,क्या करे हम दोनों  की उम्रों में ४ साल का difference है जो  हम कभी हम पाट नहीं सकते। इत्तिफ़ाक़ से हम चारों भाइयों में चार साल का फासला  है। दादाभाई  (सादिक़ अहमद )पैदाइश १९४६ ,डॉ वासिफ १९५० ,रागिब अहमद १९५४ ,जावेद अहमद १९५८ । डॉ वासिफऔर मेरे बीच वाक़िफ़ अहमद भी था ,इंतेक़ाल कर गया शायद अल्लाह को ४ साल का फासला बरकरार रखना था। दादा भाई भी साबेक़ून अवलीन साबित हुए ,हम से जल्द मुं मोड़ लिया। 

डॉ वासिफ दो साल जलगांव ऍम जे कॉलेज से intermediate पास कर, सेवाग्राम मेडिकल कॉलेज से मेडिकल  पढ़ाई करने जलगांव छोड़ गए फिर उनोहने  जलगांव की तरफ मुड कर नहीं देखा बल्कि गुजरात के होगये। 

में ९वी जमात तक घर कटिया फैल  से एंग्लो उर्दू स्कूल जलगांव ३ किलोमीटर पैदल बग़ैर चप्पलों के जाया करता था। डॉ वासिफ मेरे लिए विरासत में अपनी RAMI साइकिल छोड़ गए। में रातों रात कल्लाश से बादशाह बन गया। उन दिनों साइकिल ओन करना अपनी एक अहमियत थी।  

जावेद और मेरी शादी के  रिश्ते में डॉ वासिफ ने  एक अहम रोले अदा किया। 

आज भी जब हम  तारीखे पैदाइश से दूर होते जा रहे ,बालों में सफीदी  है। सर पर चाँद चमकने लगा है। डॉ साहेब घने काले बालों ,फिजिकली फिटनेस की बिना  पर ,हम उनके सामने उम्र रसीदा दिखयी देते हैं। अल्लाह डॉ वासिफ की उम्र दराज़ करे  हमेशा सेहतमंद रखे। 

सुम्मा आमीन 

जहाँ रहे वो ,खैरियत के साथ रहे 

उठाये हाथ तो ये एक दुआ याद आयी 




मंगलवार, 6 जून 2023

Cousenselling programe at Kalyan

                                                            Iqra Khandesh Foundation Kalyan Unit 

                                                                                    Presents 

Carrier Guidance Seminar at your doorsteps 

Topics

1. How to select a career ?

2. Career options after 10th and 12th Standard .

3. Completing Graduation and still worried ?

4. Different Scholarship Schemes.

5. Competitive Exams ETC.

6. Question Answer Session .

Date: 11th June 2023

Venue :At Community Hall , Raheja Complex (Near New Vani Vidyashala) ,

Patripool ,Kalyan (W)

Program Organizers :

Janab Imran Ali Sayed 

Janab Aness Ahmed Shaikh

Supported By :

Captain Shahbaz Ali Sher Ali Sayed

Janab Naved Anjum Wasif Ahmed Shaikh (Dubai )

Mrs. Naila Chunawala (Saudi Arabia )




गुरुवार, 1 जून 2023

donation from Hina Patel

 इक़रा खानदेश फाउंडेशन के लाइफ मेंबर्स ,ग्रुप मेंबर्स को दील की गहराईओं से सलाम 

नए academic साल की शुरुवात हो चुकी है। रिश्तेदारों को इक़रा खानदेश फाउंडेशन से उम्मीदें वाबिस्ता होगयी हैं। बहुत सारे applications भी हम ट्रस्टीज के पास आ चुके हैं और इक़रा खानदेश फाउंडेशन के अकाउंट में सिर्फ 58000 रूपये बैलेंस हैं। आप सब से मौदेबाना गुज़ारिश है के monthly contribution की रक़म जल्द से जल्द  इक़रा खानदेश फाउंडेशन के अकाउंट में deposit करे। आज तक इक़रा खानदेश फाउंडेशन का रिकॉर्ड रहा है किसी को भी हम ने मायूस नहीं किया। अगर कोई application हमारी पालिसी से मैच नहीं करता हम किसी और ट्रस्ट या इंडिविज्वल से उसे फी की रक़म दिलवाई है। 

अल्हम्दोलीलाह हमारी छोटी साहबज़ादी (हिना मुज़फ्फर पटेल ) जो Canada (कनाडा ) में रहती है इक़रा खानदेश फाउंडेशन के अकाउंट में हमेशा कंट्रीब्यूट करती रहती है। मैं उसे हमेशा इक़रा ख़ानदेश की एक्टिविटीज से अपडेट करता रहता हूँ। अल्हम्दोलीलाह उसने , 3000/00 रूपये इक़रा खानदेश  फाउंडेशन के account में जमा किये हैं। अल्लाह हिना मुज़फ्फर पटेल की कमाई में बरकत आता करे। ज़िन्दगी की तमाम खुशयाँ उसे नसीब हो। 

इक़रा खानदेश फाउंडेशन ने  तमाम रिश्तेदारों को एक डोर में बांधा है। आज तक १६३ बच्चों को २ साल में ७५३,००० रूपये स्कालरशिप अदा की है। ख़ुशी की बात है ये अमाउंट डोनेशन के तौर हमारे पास जमा हुवा है। ज़कात के पैसे हम ने अभी तक नहीं लिए है। इतने कम अरसे में एक मज़बूत संस्था की बुनियाद एक खवाब की तरह नज़र  आता है। 

बुलन्दियों पर पहुंचना कोई कमाल नहीं 

बुलंदियों पर ठहरना कमाल होता है 

रिश्तेदारों के बच्चों के रोशन मुस्तकबिल की खातिर इस तंज़ीम से जुड़े रहे। ज़रूरतमंद बच्चों के एप्लीकेशन भी हम तक पहुंचाते रहे।  अपने कंट्रीब्यूशन भी इक़रा खानदेश के लिए करते रहे। 

प्रेजिडेंट 

इक़रा  फाउंडेशन 


गुरुवार, 18 मई 2023

CARRIER GUIDENCE PROGRAMME

 अस्सलाम अलैकुम 

अल्हम्दोलीलाह मोहिब शैख़ ,ज़ाहिद शैख़ ,डॉ वकील ,इरफ़ान शैख़ साहेब की कोशिशों से 10th और 12th में Appear होने वाले रिश्तेदारों के स्टूडेंट्स के लिए carrier guidance का online session आज रात ०९:३० बजे गूगल मीट पर फ्री रखा गया है। 

ज़िन्दगी में सही दिशा मिलने पर आप ज़रूर कामयाब होंगे । counselling करने वाले हज़रात स्टूडेंट्स की नफ़सियात से वाक़िफ़ होते हैं। carrier का इंतेखाब करना भी एक मुश्किल मरहला होता है। कुवां प्यासे के पास आ रहा है। आप इस सेशन का भरपूर फायदा उठाये। स्टूडेंट्स के वालेदैन से आजिज़ाना गुज़ारिश है ,आप सब इस online carrier guidance सेशन में अपने बच्चों के साथ ज़ियादा से ज़ियादा तादाद में शरीक होकर सेशन को कामयाब बनाये ,ताके organizers  की हिम्मत अफ़ज़ाई हो और वो आईन्दा  तरह के प्रोग्रामर्स organize करते रहे। 

शुक्रवार, 5 मई 2023

KADU MIYA BUDAN SAHEB


                                                                      कडु मिया बुढ़न साहेब 

पैदाइश :१९३२         इन्तेक़ाल : 23rd March 2023 

क्या लोग थे जो राहे वफ़ा से गुज़र गए 

जी चाहता है नक़्शे क़दम चूमते चले 

चाँद रात को कडु मिया दादाभाई का इंतेक़ाल हुवा ,गल्फ और अमेरिका में रमजान की शुरवात हो चुकी थी 

९० साल की तवील उम्र पायी। एक भीड़ उमड़ पड़ी थी जनाज़े में ,और ददफीन के वक़्त। जो उनके हर दिल अज़ीज़ और जन्नती होने की बशारत थी। परवेज़ /ऐजाज़ सैयद जनाज़े में शरीक थे। उनोहने बताया तद्फीन के बाद मौलाना ने मरहूम कडु मिया दादा भाई  की सवानेह,किरदार  पर रौशनी डाली उनके हुसन सुलूक की तारीफ़  बयां की। उनको लोगों /रिश्तेदारों को जोड़ने वाला बताया। 

अल्लाह के रसूल (SA ) ने ऐसे शख्स को जन्नत की बशारत दी ,जो अपने दिल में किसी के लिए बुग़ज़ ,कीना नहीं रखता। मरहूम कडु मिया दादाभाई में ये खूबी कूट कूट कर भरी थी। हर किसी की खूबियों पर नज़र रखते थे और कमज़ोरियों और ग़लतियों को नज़र अंदाज़ करते थे 

हमारे वालिद मरहूम हाजी क़मरुद्दीन से मरहूम दादाभाई को वालेहाना अक़ीदत थी। हम सब भाइयों पर तालीम के उन्वान पर शफ़क़त रखते थे। जलगांव डेपो जब भी उनकी ड्यूटी एस टी पर लगती ,वक़्त निकाल कर ज़रूर मरहूम वालिद साहेब से मिलने कटियाफाईल जलगांव के मकान पर तशरीफ़ लाते ,अब्बा को मामूजान कह कर मुखातिब किया करते। 

हमारे ससुर मरहूम ज़ैनुलआबेदीन साहेब से बहुत कुर्बत थी। शहादा में उनका ट्रांसफर हुवा उस्वक़्त दोनों खानदानो का करीबी ताल्लुक़ रहा। हमारी सास (खुश दामन ) मरहूमा अनीस खातून से ,मरहूम कडु मियां दादाभाई बहन का  रिश्ता लगाते थे। इत्तेफ़ाक़ की बात है मेरी ज़ौजा (wife ) शगुफ्ता का  उर्दू स्कूल शहादा में , दाखला मरहूम कडु मिया दादा भाई ने करवाया था। 

बस्ती बसना खेल नहीं है बस्ती बस्ते बस्ती है 

अपनी कामयाब ज़िन्दगी में मरहूम कडु मियां दादाभाई ने बेशुमार नेकियां की। सब से बड़ा कारनमा लोगो को  कम क़ीमत में  सर पर छत मुहैया करना । मरहूम ने कामगार हाउसिंग सोसाइटी के नाम से धुलिया के ग़रीब मुसलमानों के लिए कॉलोनी की बुनियाद रखी ,अब ये हज़ार खोली के नाम से जानी जाती है। इस सोसाइटी के मरहूम २५ साल,  माशाल्लाह डायरेक्टर भी रहे। तकरीबन १५ से २० रिश्तेदारों को कम क़ीमत पर इस सोसाइटी में घर भी दिलवाया। हमारे ससुर मरहूम ज़ैनुलआबेदीन साहेब को भी इस सोसाइटी में मकान दिलवाया था। 

उस शख्स की तर्कियों का सबब जान जायेंगा 

उस आदमी के पाँव के छाले तलाश कर 

२६ सितम्बर २०२१ इक़रा खानदेश फाउंडेशन की जानिब से ,स्कूल /कॉलेज में नुमाया कामयाबी हासिल करने वालो स्टूडेंट्स के लिए तहनियति प्रोग्राम, हकम हॉल धुलिया में रखा गया था। मरहूम कडु मियां दादा भाई को पहले "Life Time  Achievement Award " से नवाज़ा गया ,ट्रॉफी ,शाल और गुलदस्ता दिया गया था । मेरी खुश नसीबी ,मैं भी इस प्रोग्रम में नफ़्स ब नफीस मौजूद था और उनेह शॉल तोहफे में दी थी। मरहूम बहुत जज़्बाती हो गए थे। प्रोग्राम के कन्वेयर नियाज़ अहमद ने बताया ,मैं ने अब्बा से पूछा "प्रोग्राम में कितना वक़्त बोलेंगे " अब्बा ने जवाब दिया "कितना वक़्त देंगा " तमाम महफ़िल गुलो गुलज़ार होगयी थी। ८८ साल की उम्र में हाफ़िज़ा सही था,लहजा दमदार था । अपनी बात और दुआ से महफ़िल को अश्क ज़ार कर दिया था । उनका नाम कडु मिया क्यों रखा गया हालिंके वो इतने मीठे है। उनोहने कहा उस ज़माने का trend था। वही पता चला किस तरह मरहूम बहादरपुर से पैदल चल कर धुलिया आते थे। अपनी मेहनत और कोशिशों से उन्हने trainer और फिर controller की पोस्ट तक तरक़्की हासिल की। तास्सुरात में लोगो ने बताया के मरहूम कडु मियां दादाभाई की बदौलत कई लोगों,रिश्तेदारों को एस.टी में जॉब मिल था। मरहूम अरसे तक S.T यूनियन के प्रेजिडेंट भी रहे। आखिर में मरहूम ने रिक़्क़त अमेज़ दुआ मांगी। खास कर इक़रा खानदेश फाउंडेशन के के लिए रो रो कर दुआ मांगी। 

बिछड़ा कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गयी 

एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया 

कामयाबी ये नहीं है के आप ने कितनी दौलत छोड़ी। कामयाबी ये है के आप के बाद भी लोग आप को कैसे याद करते  हैं। आप की औलाद कैसी है? माशाल्लाह मरहूम कडु मियां दादा भाई भरपूर ज़िन्दगी गुज़ार कर कर गए। तीन नेक बेटे ,चार बेटियां और पोते ,नवासे ,निवासियों को बेहतरीन तरबीयत दे कर दुनिया से रुखसत हुए। 

अल्लाह मरहूम कडु मियां दादाभाई को जन्नत फिरदौस में आला मक़ाम अता करे आमीन ,सुम्मा आमीन। 


सोमवार, 1 मई 2023

Khushbu jaise log mile

आज खुशबु जैसे लोग मिले कॉलम के तहत जलगाँव एंड रिलेटिव्स के एडमिन , इक़रा खानदेश फाउंडेशन का Utube भी उनोहने बनाया था ,जवांसाल सय्यद मोहिब मुजाहिद सर ,जो जॉब के सिलसिले में बहरीन में मुक़ीम हैं। और आज इत्तिफ़ाक़न (2nd May ) उनका जनम दिन भी है, के संग रूबरू गुफ्तगू पेश की जा रही है। मोहिब सैय्यद ने बहुत कम वक़्फ़े में बहुत तर्रकी की है। हम चाहते है के रिश्तेदारों के स्टूडेंट्स उनके तजुर्बात से सीखे ,सबक़ हासिल करे। 

बुधवार, 12 अप्रैल 2023

 आपने भेजा है जो तोहफा मुझे  रमज़ान का 

महीना है ये रोज़ों का रेहमान का 

पूरी करे अल्लाह आप की हर ख्वाहिश 

ये दुआँ है मेरी तोहफा समझ लो रमज़ान का 


गुरुवार, 23 मार्च 2023

badi mushkil se hota hai chaman me dedawar paida

بڑی مشکل سے ہوتا ہے چمن میں دیداور پیدا 

١٩٧٥-١٩٧٧ کی بیچ سے مہاراشٹر کالج سے بی ایس سی کی پڑھائی کی جو مہاراشٹر کالج کا سنہری دور تھا -میٹھا والا ،پرنسپل منشی ،کوکشیوالا  ،،پروفیسر مالوستے ،پروفیسر جاوید سر کالج کے روح رواں ہوا کرتے -مہاراشٹرا کالج میں ان دنو ہمیشہ گہما گہمی رہا کرتی -مہاراشٹرا چیف منسٹر ایس بی چوان ،کشمیر کے وزیر آلہ شیر کشمیر عبدللہ ،رفیق زکریا جیسے معروف سیاست داانو کی آمد تو ہوتی تھی -ادبی محفلیں ،مشا ارے ،شام طنز مزاح ،شام افسانہ کی گرم گرم محفلیں منعقد ہوتی -فیض احمد فیض ،کرشن چندر خواجہ احمد عبّاس ،عصمت چغتائی ان محفلوں میں شریک ہوتے اور پروفیسر جاوید ان پروگرام کی خوبصورت  نظامت کرتے 

مجھے یاد ہے ال شےندڑ تھیٹر میں انگلش فلموں کی نمایش ہوتی تھی اور تھیٹر پر اردو ترجمے کے ساتھ عریاں پوسترر بھی ڈسپلے کے جاتے تھے -جاوید سر اور منشی سر ان پوسٹرز کو نکلوانے میں پیش پیش رہا کرتے تھے -

کالج انول دے میں امجد خان ،جاوید اختر ،بلراج سہنی کو میں نے شریک ہوتے دیکھا تھا -جاوید سر منشی کا اینا رسوخ تھا -

جاوید سر میتھس کے پروفیسر تھے بدی سلیس انداز میں وہ پڑھاتے تھے -انکا ایک جملہ بھولیے نہیں بھولتا "زبان سے نکلی بات کمان سے نکلا تیر کبھی واپس نہیں آتے اس لئے سنبھال کر گفتگو کرنی چاہیے 

پروفیسر جاوید سر  نے دو بار گوونڈی ،چیتا کیمپ سے الیکشن بھری اکثریت سے جیتا -مہاراشٹرا کیبنٹ مے وزیر تعلیم بھی رہے -انتقال سے پہلے پہلے ممبئی نیی ممبئی میں کوللیجو اسکولوں کا جال بھی بچھا کر گئے 

میری بیٹی ثنا کو سٹرلنگ کالج ایم بی اے  میں داخلے کے وقت ان سے ملاقات کی تھی حیرت ہے انو ہونے مجھے ٣٥ سال کے بعد بھی پہچان لیا مہذب لہجے مے کہا "غالیبن تم میرے طالب علم رہ چکے ہو "

پروفیسر جاوید سر نے ہم جیسے  نہ جانے کتنے قوم کے بچوں کا کریر روشن کنے میں مدد کی ہوگی -

الله انکو اپنی جوارے  رحمت میں جگه عطا کرے انکے درجات بلند کرے آمین 

منوں متی کے نیچے دب گیا وہ 

ہمارے دل سے لیکن کب گیا وہ 

मंगलवार, 3 जनवरी 2023