खुशबु जैसे लोग मिले
खुशबु जैसे लोग मिले कॉलम में आज जिस शख्सियत को मातार्रिफ़ किया जा रहा है वो किसी तार्रुफ़ की मोहताज नहीं। हमारी जनरेशन ने उन से जीने का सलीका सीखा है।
अल्हाज नईमुद्दीन अलीमुद्दीन शेख़ (नासिक ) के हालते ज़िन्दगी पर सरसरी नज़र डालने की कोशिश की हूँ। कहा जाता है "जो बात दिल से निकलती है असर रखती है "। किस हद तक कामयाब हुवा हूँ अल्लाह बेहतर जनता है। पड़ने वालों की राय का इंतज़ार है।
रागिब अहमद शैख़
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