हाजी नईमुद्दीन अलीमुद्दीन शेख़ |
धुप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िन्दगी क्या है किताबों से निकल कर देखो
आज हम ऐसी शख्सियत से आप को मुतारीफ (introduce ) करने जा रहे है जो ज़िन्दगी की ८० बारिशें ,बहारें ,खिज़ाएं देख चूका है। और अब भी एक तन आवार दरख्त की मानिंद अपने ख़ानदान पर सायए आतेफ़त किये हुवे है। रिश्ते में मेरे भतीजे लगते है लेकिन बचपन से हम उनेह नईम दादा के लक़ब से पुकारते है। नईमुद्दीन अलीमुद्दीन हमारे बड़े अब्बा करीमुद्दीन के पोते और हमारे दादाभाई अलीमुद्दीन के बेटे।
मेहनत से वो तक़दीर बना लेते हैं अपनी
वर्से में जिन्हे कोई ख़ज़ाना नहीं मिलता
दादाभाई अलीमुद्दीन (मरहूम )दुनिया से जल्द रुखसत होगये थे। नईमुद्दीन को अपने दो भाइयों हमीदुद्दिन और जमिलाद्दीन की तालीम और तरबियत और ख़ानदान की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ी ,उनोहने बखुशी सर आँखों पर इस ज़िम्मेदादारी को क़बूल किया । माशाल्लाह हमीदुद्दीन इंजीनियर बने और जमीलोद्दिन ने भी अच्छी तालीम हासिल की
मैट्रिक के बाद अल्हाज नईमुद्दीन ने जलगाव कोर्ट में स्टेनोग्राफर के पेशे से शुरुवात की। शायद जजों के लम्बे लम्बे फैसले लिखना पसंद नहीं आया, ६ महीने में ऊब गए । बन्दे में दम था , अपनी क़ाबिलियत पर पूरा यक़ीन था। हिंदसों (figure ) से बे इन्तहा इश्क़ था। अपनी कोशिशों जफिशनी से income tax शोबे का इम्तेहान पास किया न कोई सिफारिश थी ,न रहनुमाई ,बल्कि सब कुछ अल्हाज नईमुद्दीन ने अपने बल बुते पर किया।
मुझको जाना है बहुत आगे हदे परवाज़ से
फिर अल्हाज नईमुद्दीन अपने Department के इम्तेहानात पास करते रहे और तरक़्की की सीढ़ियां चढ़ते रहे। २००२ में Assistant Commissioner of Income Tax Nasik के ओहदे से पेंशन याब हुए।
हमीदुद्दीन अल्हाज नईमुद्दीन के छोटे भाई ने मुझे बताया के मीट्रिक के बाद दादा ने मुझसे पूछा "क्या करने का इरादा है। अगर ITI करना हो तो नासिक में अवेलेबल है " हमीदुद्दीन ने जवाब दिया उसे Diploma in Mechanical Engineering करना है "। unfortunately नासिक में इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं था। हमीदुद्दीन ने बताया , मेरी तालीम की दादा को इतनी फिक्र थी कमिशनर के PA से मिल कर उस से धूलिया ट्रांसफर करने की request की। PA ने पूछा "नासिक तो बड़ी अच्छी जगह है आप धूलिया क्यों ट्रांसफर चाहते हो " दादा ने कहा मेरे भाई की आला तालीम के लिए, जो नासिक में अवेलेबल नहीं "। और immediate उन्हें धूलिया ट्रांसफर मिल गया। हमीदुद्दीन को धुलिया इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिला और वही से उनोहने अपनी तालीम मुक़्क़मिल की। क्या आज के दौर में ये क़िस्से कहानियों की बातें मालूम नहीं होती ?
उनकी ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए
नासिक की विजिट में नईम नईमुद्दीन दादा से पूछा आपकी शादी कब हुयी थी फ़ौरन कहा "६ मार्च १९६६ "। हमारी भाभी ( naseem bano )भी खुश मिज़ाज ,बुर्दबार हैं। माशाल्लाह २००४ में मिया बीवी को हज की सआदत (opportunity ) भी नसीब हुयी। अल्लाह ने ५ औलादों से नवाज़ा है । मतीन ,तनवीर ,नवेद ,शगूफा और सीमा। अल्हाज नईमुद्दीन ,अपने अलकरम आशियाने (नासिक ) में तमाम औलादों के साथ पुरसुकून ज़िन्दगी गुज़ार रहे है।
मौत क्या है थकन ख्यालों की
ज़िन्दगी क्या है दम ब दम चलना
शायद नईमुद्दीन दादा के लिए ये शेर कहा गया हो। आपने अपनी पीराने साली ( old age )के बावजूद। एक मिशन शुरू किया है। ज़ियादा से ज़ियादा ख़ानदान ,क़ौम के बच्चों को Chartered Accountancy के कोर्स से मुतर्रीफ़ (introduce ) कराना । माशाल्लाह दादा नईमुद्दीन की बातें , हवाई किले नहीं होती। दादा का एक नवासा (ज़ैद ) उनकी Guidance और counselling (रहनुमाई ) से CA बन चूका है। दादा का एक और पोता (इमाद )और नवासा भी इन कोशिशों में मसरूफ हैं ,इंशाल्लाह कामयाबी उनके क़दम चूमेंगी और वो दोनों ज़रूर CA बनेंगें।
नासिक उनके घर जा कर मुलाक़ात की थी। मुझ से भी इस सलीस अंदाज़ में CA बनने का तरीक़ा समझाया , मुझे लगा काश ! में भी अपनी तालीम के दौरान दादा से मिला होता तो आज CA होता।
अल्हाज नईमुद्दीन की दराज़िये उमर के लिए दूआ है।
No doubt you are gifted with writing skill, Allah has bestowed the beautiful skill..... It's really a sacrifice for a brother which is not even thinkable as of now which Naimuddin Sahab did for his brother, and his passion for young generation to lead and guide in CA profession is examplary , it's a sign of जन्नती शख्सियत .....
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