शनिवार, 29 जून 2024

ये मुलाक़ात एक बहाना है


                                                   ये मुलाक़ात एक बहाना है 

                      पहले हक़ीक़तों ही से मतलब था और अब 

                       एक आध बात फ़र्ज़ भी करने लगा हूँ मैं 

इस शेर में फ़र्ज़ का मतलब (to assume ) होता है। 

           कल जुमा २८ जून २०२४ शाम ८ बजे हम सब को MEET APP पर  तमाम शेख़ ख़ानदान के मेंबर्स को  नवेद ज़ारा को हज की मुबारकबाद के लिए मिलना था। में और शगुफ्ता २ बार तैयार होकर , ०८२० तक इंतज़ार करते रहे। host समीरा को याद दहानी कराई गयी पता चला actual टाइम ०८३० बजे रखा गया था। हम सब मिल कर नावेद के पास बरोड़ा पहुंचे। हाजी नवेद हज्जन ज़ारा ने खजूर आबे ज़मज़म से हम सब की मेहमान नवाज़ी की। वहां से हम सब मिल कर नाएला के घर सऊदी (Riyadh )पहुंचे वहां भी वलीद  और  नाएला ने मेज़बानी के फ़राएज़ बा खूबी अनजाम दिए। हमारा अगला पड़ाव था UK (Manchester ) भाभी जान ,उज़्मा ,महक और ज़ैन ने हम सब को खुश आमदीद कहा भाभी जान ने अपने हाथों से बनाये खाने खिलाये। झींगे मछली का सालन ,पुराने दिनों की यादें ताज़ा कर दी। सना इलियास ने भी New Jersey में  हम सब का खैर मक़दम किया। वहां से इरम  के घर बाल्टीमोर पहुंचे माशाल्लाह इरम और शरीक ने भी दिलो जान से हमें खुश आमदीद कहा। लुबना और हैदर लसने California  में हम से मिल कर बहुत ख़ुश हुए  ,वही समीरा ज़ाहिद भी क़रीब में थे उनसे हम सब ने मुलाक़ात की। हमारे कारवां की अगली मंज़िल थी कनाडा (Calgary )। हिना ,मुज़फ्फर और सिदृरा हम सब से मिल कर बहुत खुश हुए। हम सब की आव भगत की। फिर सब नेरुल मेरे घर आकर शीर खुरमा पी कर सब अपने अपने घर लौट गए। 

ख्वाब था जो कुछ देखा था ,अफसाना था जो कुछ सुना था 

मॉडर्न टेक्नोलोग्य ने हर चीज़ पॉसिबल कर दी है। अल्लाह ने हमारे सातों दामाद और बेटियों, बेटा और बहु  को इतना नवाज़ा है सब से virtually मुलाक़ात करके इतनी दुरी होने के बावजूद इतनी क़ुरबत काअहसास हुवा। 

हम सब खुसूसी तौर पर शुक्र गुज़र है समीरा के जिस ने ये सब possible किया 

रविवार, 23 जून 2024

ग़रीबों का मसीहा डॉ अनवर शेख़


                                                             Dr late Anwar Shaikh
                                                  
                                                           ग़रीबों का मसीहा डॉ अनवर शेख़ 


                                                             लोग अच्छे हैं दिल में उतर जाते हैं 
                                                              बस एक खराबी है के मर जाते हैं 
डॉ अनवर शैख़ अपने वतन उत्तर प्रदेश से ९ जून २०२४ को फॅमिली के साथ लौटे। और दूसरे रोज़ १० जून २०२४ (३ ज़िल हज १४४५ ) को उस जगह पहुँच गए जहाँ से किसी को लौट कर नहीं आना। ज़िल हज के मुबारक महीने में वफ़ात पाना फिर असर की नमाज़ के बाद जामा मस्जिद नेरुल में कई सौ लोगों ने उनकी नमाज़े जनाज़ा में शिरकत की (खुश किस्मत रहे उनकी पांचों  औलादे जनाज़े में शरीक थी )और नेरुल सेक्टट-३ के क़ब्रस्तान में उनेह  सुपर्दे खाक (दफनाया )  किया गया ,
        डॉ अनवर क़द छोटा था मगर शख्सियत महान थी। आप के होंटों पर हमेशा मुस्करात सजी होती। सब से खुलूस से मिलते। में अपनी फॅमिली के साथ विघ्नहर सोसाइटी (बी-३ /१०३ ) में अप्रैल १९९७ में शिफ्ट हुवा था। और ऑगस्ट १९९७ में ( ए -५ )  विघ्नहर सोसाइटी में डॉ अनवर भी  अपने ख़ानदान के साथ शिफ्ट हुए थे। उस वक़्त बहुत काम लोग विघ्नहर सोसाइटी में रहते थे उन से बहुत जल्द पहचान हो गयी। तुर्भे में उनका क्लिनिक था ४० साल वह अपनी खिदमात वहां ग़रीबों में देते रहें। लोगों के पास पैसे नहीं होते,वो मुफ्त इलाज कर देते थे। मुझे भी अक्सर मरहम ,लेप और आयुर्वेदिक दवाएं ला कर देते पैसों का पूछता तो मुस्करा कर जवाब देते "आप भी क्या मज़ाक करते हो"  अफ़सोस ऐसे बा अख़लाक़ लोग दुनिया से रुखसत होते जा रहे हैं। 
       हमेशा सुबह वाकिंग के लिए निकलते अक्सर उन से मुलाक़ात सलाम दुआ हो जाती।  विघ्नहर की मस्जिद  (तक़वा )में किनारे पहली सफ में बैठते ,कभी किसी से ऊँचे लहजे में बात नहीं की। अपनी पांचों  औलादों असलम ,अख्तर ,अशरफ ,आसिफ और आरिफ को बेहतरीन अख़लाक़ सिखलाया । भाभी आयेशा भी (उनकी wife ) भी माशाल्लाह मुझे बड़े भाई का दर्जा /रुतबा अता करती है। जब भी मिलती है खुलूस से सलाम करती है बाल बच्चों की खैरियत दरयाफ्त करती है। 
        अल्लाह मरहूम डॉ अनवर शैख़ की मग़फ़िरत करे और खानदान वालों को सबरे जमील अता करे आमीन सुमा आमीन 

khud ke andar jhanken

                                                                               ااوڑھنی کالم کے لئے 

                                                    عنوان :ذہنی سکوں حاصل کرنے کے لئے کیا کرے ؟ 

                                                                              خود کے اندر جھانکیں 

جارج برناڈ شا کاقول  ہے "ہم کھیلنا اس لئے نہیں بند  کرتے کے ہم بوڑھے ہو رہے ہیں بلکی ہم پربڑھاپا اس لئے طاری ہوتا ہے کے ہم نے کھیلنا چھوڈ دیا ہے " زندگی کے ہر شعبے میں ہم نے یہی روییہ اپنایا ہے -ہم رات میں جلد سونا نہیں چاہتے وجہ ہمیں رات میں جلد نیند نہیں آتی -گھر کا بنا کھانا پسند نہیں آتا -دن بھر سوشل میڈیا میسیجز /ٹیلی ویژن دیکھنے سے فرصت نہیں -دوستوں سے ملناچھوڈ دیا ہے -ہلکی پھلکی ورزش نہیں کرنا چاہتے -مستقبل سے بڑی بڑی خواہشیں لگایں بیٹھیں ہیں -آج میں جینا چھوڈ دیا ہے -نماز ،زکرالہی ،دوسروں کی مدد کرنے کے جذبے سے عاری ہوتے جا رہے ہیں -یوروپین ممالک کی طرح ذہنی امراض کا شکار ہوتے جا رہے ہیں -زندگی بزرگوں کی طرح سادگی سے گزارے انشاللہ ذہنی سکوں حاصل ہو جاینگا 

شگفتہ راغب شیخ 

نیرول (نوی ممبئی )


शनिवार, 22 जून 2024

Happy Birth day Naved ,Walid and Muzaffar

                                                                       सालगुराह मुबारक 

 

सलामत रहो ,रब उम्र बढ़ाएं 

करो जो तमन्ना  ,पूरी होजाये 

वलीद - (New Born )

नवेद - खुश ख़बरी सुनाने वाला 

मुज़फ्फर  - जीता हुवा ,कामयाब 

        आज हमारे खानदान के तीन नौजवान अफ़राद की सालगिरह का दिन है। तीनो के नाम का मतलब होता  हैं (कामयाब ,खुश खबरी  ) हाजी नवेद तो हमारे खानदान का फरद है।  वलीद और मुज़फ्फर भी हमारे खानदान से ऐसे जुड़े जैसे शकर पानी में घुल जाती है। तीनो  self made ,ज़मीन से जुड़े अफ़राद है। अपनी मेहनत लगन से इस मुक़ाम पर पहुंचे है। तीनो अपने parents के खिदमत गुज़ार है। वलीद तो उमरा करते रहते है। अल्लाह से दुआ है हिना और मुज़्ज़फर को  जल्द हज की ख़ुशी नसीब हो। आमीन 

     अल्लाह से दुआ है वलीद,नवेद और मुज़फ्फर को ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मिले। अल्लाह उनका हर ख्वाब पूरा करे। उनकी औलाद बे इन्तहा तरक्की करे। आमीन सुम्मा आमीन। 

scool ke pahle din ki yaden

                                                                           اوڑھنی کالم کے لئے   

                                                                      اسکول کے پہلے دن کی یادیں 

اسکول کے پہلے دن کی شروعات بارش کے موسم سے ہوتی ہے -نی سکول کی کتابوںکی بو، زہن میں بسی ہوتی ہے ،  ساتھیوں پر کیچڈ اور پانی اچھالنا بھیگتے اسکول پہچنا -نے سکول  ٹیچرس سے ملاقات پھر بارش کے بعد گھنٹوں کلاسس روم میں ٹپکتے پانی سے اپنے آپ کو بچانا جس میں بھی ایک مزا تھا -اب تک ذھن میں یادیں بسی ہویی ہیں بھولنے سے نہیں بھولتی -

شگفتہ راغب شیخ 

نیرول (نیی ممبئی )


बुधवार, 19 जून 2024

जाने वाले कभी नहीं आते



                                                             जाने वाले कभी नहीं आते  

ग़लिब नेकहा था 

                     सब  नहीं कुछ लाला व गुल में नुमाया होगयी 

                      खाक में क्या सूरतें होंगी के पिन्हा हो गयी 

  इस शेर का मतलब है ,इंसान जो दुनिया से रुखसत होगये हैं फूलों की शक्ल में नमूदार होजाते हैं।   

  मोहतरमा क़मर क़ासिम चूनावाला १४ जून २०२४ (7th ज़ुलहाज ) को इस दारे फ़ानी (ख़तम होने वाली दुनिया ) से रुखसत हो गयी। मुबारक महीना ,जुमे का मुबारक दिन अपनी औलादों (वलीद ,क़ौसर  ,तनवीर ) ,बहुओं ,पोते ,पोतियों नवासा ,नवासी की मौजूदगी में मरहूमा ने आखरी साँस ली। तद्फीन (Burial ) अपने मौरूसी (Ancestral ) शृंगारतली के क़ब्रस्तान जो खबसूरत  पहाड़ों के दरमियान वाक़े हुवा है ,अमल में आयी। 

   आज 19th जून २०२४ को क़ासिम चुनावाला से कलीना (Diamond estate society ) ,मेंने  जा कर ताज़ियत की। कासिम भाई ज़िंदादिल तो है ,आज भी इतने बड़े हादसे को झेलने के बाद क़ासिम साहब ने बड़ी खुश दिली से मुझ से मुलाक़ात की। अपनी पुरानी ज़िन्दगी के खुशगवार लम्हात जो अपनी मरहूम अहलिया (wife ) के साथ गुज़ारे थे याद किये। दिल को ये बात छू गयी जब उनोहने कहा " ५० साला शादी शुदा दौर में शायद क़मर मुझ से एक दिन भी जुदा नहीं रही " अल्लाह उनेह और उनके तमाम खानदान को सबरे जमील आता करे। क़ासिम चूनावाला साहब अपनी औलादों की बड़ी तारीफें कर रहे थे के " आखरी वक़्त में मेरे बचों  ने मरहूमा की खिदमत का हक़ अदा कर दिया। दुआ है अल्लाह सब को ऐसी औलाद आता करे "। आमीन 

      मरहूमा कमर क़ासिम चुनावाला संजीदा मिज़ाज ,मोहज़्ज़ब,बावक़ार  तबियत की मालिक थी। शख्सियत में बड़ा रख रखाव था , उर्दू ज़बान से लगाव था। B.A तक उस दौर में जब औरतों  में तालीम इतनी आम नहीं थी ,महाराष्ट्र कॉलेज से तालीम हासिल की थी। किसी वजह सी M.A की तालीम मुक़्क़मिल नहीं हो पायी।  अल्लाह मरहूमा को जन्नते आला में जगह आता करे। आमीन सुम्मा आमीन 


                                (क़ासिम/कमर ) 50  Year marriage Anniversary की यादगार तस्वीर 


मंगलवार, 11 जून 2024

सुनी हिक़ायते हस्ती तो दरमियान से सुनी

.                                                               Nawapur felicitation

                                                      सुनी हिक़ायते हस्ती तो दरमियान से सुनी 

         10th जून २०२४ के इक़रा खानदेश फाउंडेशन तक़सीमे इनामात प्रोग्राम की रूदाद आप सब ने पढ़ ली थी। हर प्रोग्राम की कामयाबी के पीछे बे हद मेहनत और लगन की ज़रूरत होती है। इक़रा खानदेश फाउंडेशन के सदर (president ) सलाहुद्दीन नूरी साहब की रहनुमाई ,जिन की क़ायदाना (leading ) सलाहियतों (Qualities ) का   हमें ऐतराफ़ है  ,जनाब सेक्रेटरी रिज़वान जहागिरदार की अनथक कोशिश 10th और 12th के रिजल्ट डिक्लेअर होजाने के दो हफ़्तों के अंदर रिश्तेदारों के स्टूडेंट्स के रिजल्ट जमा करना toppers बच्चों का सिलेक्शन , इनाम की ट्रॉफी बनाना जुये शीर (दूध की नहर ) निकालने से कम नहीं। फिर इन सब बातों के लिए पैसों का इंतेज़ाम करना माशाल्लाह दिल से दुआ निकल पड़ती है। इक़रा खानदेश खानदेश फाउंडेशन की बाग़ डोर बेहतरीन  शख्सियात के हाथों में हैं।  

       ५ रिश्तेदारों के Toppers स्टूडेंट्स को 10th जून २०२४ इतवार के दिन कल्याण में ,हाजी आसिफ के घर प्रोग्राम के दौरान इनाम तक़सीम किये जा चुके थे। नवापुर की 10th क्लास की स्टूडेंट्स (92 %) क़ाज़ी ज़ेबा रिज़वान को नवापुर में उसके घर जा कर ट्रॉफी ,कॅश प्राइज ,शॉल और राजस्थानी हार दे कर इस बच्ची को नवाज़ा गया इज़्ज़त अफ़ज़ाई की गयी । इक़रा खानदेश के कमिटी मेंबर जनाब परवेज़ सैयद  ,नंदुरबार से तशरीफ़ लाये इसरार सैयद  (educationist ) अपनी बेइंतेहा मसरूफियत के बावजूद पप्रोग्राम  में शरीक हुए। जनाब तबरेज़ सैय्यद ,जनाब इरफ़ान सय्यद ने भी इस प्रोग्राम को रौनक़ बख्सी।क़ाज़ी ज़ेबा रिज़वान  को NEET इम्तेहान की तैयारी के लिए मुफीद मश्वरे से नवाज़ा गया। रिश्तेदारों में आयी तालीम के उन्वान पर बेदारी देख कर तबियत खुश होगयी। माशाल्लाह हमारे रिश्तेदारों में ज़हीन बच्चों की कमी नहीं और अब हर शहर हर क़स्बे में इन्हे मदद ,Guidance ,माली इमदाद के लिए इक़रा खानदेश जैसे इदारे मौजूद हैं। रिश्तेदारी में डॉ वासिफ अहमद,एडवोकेट रज़ीउद्दीन ,नियज़ मखदूम अली फॅमिली , जनाब कमर शैख़ ,रागिब अहमद जहागिरदार,प्रोफेसर सैयद वकील ,क़ाज़ी नवेद ,शकिलोद्दिन सर ,उजेर (MBA ) ,नाचीज़ रागिब अहमद शेख जैसे बाशऊर अफ़राद अपनी रहनुमाई के लिए मौजूद हैं। 

        तालीम के उन्वान पर बेदारी के बाद अब बच्चे ,बच्चियों के रिश्तों के ताल्लुक़ से भी बात आगे बढ़नी चाहिए,जो आज के के दौर का एक सुलगता मौज़ू /मसला है। जनाब ज़की सैयद (मुन्ना ) नवापुर जो इस वक़्त हज की मुकदस फ़रीज़े में मसरूफ है माशाल्लाह अपनी खिदमात देना चाहते हैं ,  इंशाल्लाह उनसे मदद ली जासकती है। 

           आप सब रिश्तेदारों से आजिज़ाना गुज़ारिश है आप भी अपने मुफीद मश्वरों से नवाज़े, किस तरह रिश्तेदारों में बेदारी के उन्वान पर काम बढ़ाया जा सकता हैं। 

दास्तानें ग़मे दुनिया तवील थी कह दी 

दास्तानें ग़मे दिल मुख़्तसर है क्या कहिये 

      


          

 


      


    

सोमवार, 10 जून 2024

Iqra khandesh Foundation kalyan unit Programe

                                                      मुझ को जाना है बहुत आगे हदे परवाज़ से  

With Felicitated students 
L To R Niyaz ,Makhdum ,Ragib ,Mubin ,Hisamoddin 


   9 जून २०२४ इतवार को इक़रा खानदेश फाउंडेशन कल्याण  यूनिट की जानिब से १०वी और १२ वी में नुमाया कामयाबी हासिल करने वाले रिश्तेदारों के स्टूडेंट्स का फेलीसिटशन प्रोग्राम जनाब हाजी आसिफ शैख़ के घर रखा गया था। मुझे (रागिब ) और अहलिया शगुफ्ता को भी दावत दी गयी थी। और हम दोनों ने प्रोग्राम में शिरकत की। 
   ०४:३० बजे शाम प्रोग्राम की शुरुवात क़ुरान की तिलावत जोअंजुम आसिफ ने की । रुखसार ने  निज़ामत (एंकरिंग) के फ़रायज़ बड़े खूबसूरती से अंजाम दिए। नुमाया कामयाबी हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को, गुलदस्ता ,छतरी ,पेन और जनाब मखदूम की तरफ से दी गयी नकदी रक़म से मेहमानों के हाथो नवाज़ा गया।       
    जिन स्टूडेंट्स की हिम्मत अफ़ज़ाई की गयी उनके नाम इस तरह है 
  10th Toppers 
१. नबील साजिद शैख़       कल्याण        ९७%
२. काज़ी ज़ेबा रिज़वान      नवापुर          ९२%           
३. शैख़ अयान इमरान       बदलापुर        ९१%
12th Toppers 
१. शैख़ निदा साजिद              कल्याण          ९४.%
२. क़ाज़ी ज़ारा काज़िम            मुम्ब्रा              ८९%में 
३. अज़ीज़ आफ़िया मोहमद     मलाड             ८६% 
 
  जनाब  हाजी नाज़िम (बदलापुर ) के ख़ानदान ने बाज़ी मर ली। उन के नवासा ,नवासी और पोते ने toppers  में अपना नाम दर्ज करवाया । ये बहुत बड़ा ऐज़ाज़ है। 
   जनाब मखदूम अली ने ऐलान करवाया इंशाल्लाह उन की मरहूमा अम्मी मोहतरमा इशरत बी की याद में हर साल रिश्तेदारों के 10th और 12th के  toppers  स्टूडेंट्स को कॅश प्राइज से नवाज़ा जायेंगा। प्रोग्राम में जनाब मखदूम अली  साहेब ने gathering को मुफीद मश्वरों से नवाज़। नाचीज़ ने भी कुछ नसीहतें  स्टूडेंट्स के गोश  गुज़ार की । 
  जनाब हसींन  शैख़ ने शुक्रिये की रस्म अदा की और सदर इक़रा खानदेश फाउंडेशन का पैग़ाम प्रोग्राम में शरीक लोगों तक पहुंचाया और इक़रा खानदेश फॉउण्डेशन के अगराज व मक़ासिद पर रौशनी डाली। जनाब मुबीन शैख़ ,डॉ मसीह ,एडवोकेट नियाज़  अहमद ,हिसामुद्दीन ने प्रोग्राम में चार चाँद लगाएं। हाजी आसिफ शैख़ ने मेज़बानी के फ़रायज़ बखूबी अंजाम दिए ,आप (हाजी आसिफ )बड़े नरम गुफ़्तार और मुख्लिस तबियत के मालिक है। 
  कल्याण के मुक़ामी हज़रात  नूरा भाई ,काज़िम भाई ,सय्यद कलीम साहब ,वक़ार ,इसरार ,अनीस सर मोहतरमा तर्रनुम के अलावा ,कसीर तादाद में  लोगों ने शिरकत की और मेज़बानी  के फ़राएज़  खुश असलूबी से अंजाम दिए। 
  हमेशा की तरह इमरान मखदूम अली ने  प्रोग्रम में तस्वीरें खेंची और अरहम शैख़ ने  Utube  पर प्रोग्राम live relay किया। 
अल्लाह से दुआ है रिश्तेदारी में इसी तरह इतिहाद क़ायम रहे ,और हमारे बच्चे कामयाबी की राह पर गामज़न होते रहें (आमीन )
                                                              प्रोग्राम की एक तस्वीर 

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शुक्रवार, 7 जून 2024

Inquilab article and its translation

 

                                                        

ज़हनी  कैसे हासिल होगा  

खुद के अंदर झांके 

बर्नाड श का क़ौल है  हम खेलना इस लिए नहीं बंद करते के हम बूढ़े हो रहे है बल्कि हम पर बुढ़ापा इस लिए छा जाता है हम ने खेलना छोड़ दिया। ज़िन्दगी के हर शोबे (department )हम ने यही रव्वैया अपनाया है। हम ने जीना छोड़ दिया है ,नमाज़ ,ज़िक्रे इलाही और दूसरों की मदद करने के जज़्बे से खाली होते जा रहे है। बुज़र्गों की तरह सादगी से ज़िन्दगी गुज़ारियें इंशाल्लाह ज़हनी सुकून हासिल होंगा। 

शगुफ्ता रागिब अहमद