दोस्ती की गोल्डन ज्युबिली
आज 15 June 2017 है. आज से ठीक 50 साल पहले रागीब अहमद और मेरी दोस्ती की शुरुवात हुई.
15 June 1967 को हम ने एक साथ एंग्लो उर्दू हाई स्कूल जलगाँव में दाखला लिया और पहले ही दिन से हम अच्छे दोस्त बन गये. दोनों के घरेलु हालात एक जैसे थे. दोनों की वलिदाओं का इन्तेकाल हो चूका था. लेकिन रागीब की बड़ी बेहेन “शरीफ आपा” ने रागीब को और मेरी मुमानी मुबा-उन-निस्सा ने मेरा पूरा ध्यान रख कर माँ की कमी को पूरा किया. रागीब के वालिद साहब रिश्तेदारों में "कमरोंद्दिन दादा" के नाम से मशहूर थे. उन्होने बड़ी मेहनत से रागीब और उनके भाइयोकि परवरिश की. इसी तरह मेरे मामूजान “मुराकीबुद्दीन शेख” ने मेरी परवरिश में कोई कमी नहीं रक्खी.
एंग्लो उर्दू हाई स्कूल में चार साल तक रागीब और मैं एक साथ एक ही क्लास में रहे और दोस्ती की बुनियादें दिन बा दिन मजबूत होती गयी. March 1971 का SSC exam (11th) हम दोनों ने अच्छे मार्क्स से कामयाब किया.
आगे की पढाई मुकम्मल करने के लिए रागीब अपने भाई के यहाँ मुंबई गये, मैंने जलगाँव में ही पढाई जारी रखी. इस दौरान एक दूसरे के contact में रहे. छुट्टियों के दौरान रागीब जलगांव आते थे. इस तरह हम मुलाकात का मौका कभी नहीं छोड़ते थे.
रागीब ने Graduation करने के बाद Petrochemical की फील्ड में महारत हासिल की और वो उस फील्ड से जुड़ गये. मैंने जलगांव में SSC के बेस पर टीचर की नौकरी हासिल की और सर्विस करते हुए M Com. तक की तालीम हासिल की.
M Com. कामयाब होने के बाद मेरा सिलेक्शन ऑडिटर की पोस्ट पर मुंबई में हुआ. मुंबई में आने के बाद रागीब ने मेरी हौसला अफ़ज़ाई की और कुछ दिन रहने का इंतजाम किया. बाद में मेरा दूसरे जगह इंतजाम हो गया.
दोनों मुंबई में होने की वजह से मुलाकाते होती रहती थी. अदबी प्रोग्राम और आर्ट फिल्मो मे हम दोनों को दिलचस्पी थी. इस तरह के प्रोग्राम्स में हम दोनों साथ जाते थे. इन प्रोग्रामो में हमे "फैज़ अहमद फैज़" और "ख्वाजा अहमद अब्बास" जैसी हस्तियों से मुलाकात करने का मौका मिला.
बाद में रागीब जॉब के लिए विदेश चले गये. एक महीना जॉब के बाद उन्हे एक महीना छुट्टी मिलती थी. इस छुट्टी के दौरान हमारी मुलाकाते होती रहती थी.
दोनों की शादिया भी रिश्तेदारी में हुई. दोनों की बीवियों में भी अच्छी दोस्ती है.
मैं अकाउंट ऑफिसर की पोस्ट से रिटायर हुआ और रागीब अहमद भी इंडिया में वापस आ कर सुकून भरी जिंदगी गुजार रहे है.
दोनों के बच्चो ने आला तालीम हासिल की और कामयाब ज़िन्दगी गुज़ार रहे है.
हम दोनों के पास अब भरपूर वक़्त होने की वजह से हम एक दूसरे से मिलते है और फ़ोन से बी कांटेक्ट करते है.
इस तरह आज १५ जून २०१७ को हमारी दोस्ती के ५० साल मुकम्मल हो गये.
अल्लाह से दुआ है की हम दोनों की दोस्ती ता ' हयात कायम रहे. आमीन.
आज 15 June 2017 है. आज से ठीक 50 साल पहले रागीब अहमद और मेरी दोस्ती की शुरुवात हुई.
15 June 1967 को हम ने एक साथ एंग्लो उर्दू हाई स्कूल जलगाँव में दाखला लिया और पहले ही दिन से हम अच्छे दोस्त बन गये. दोनों के घरेलु हालात एक जैसे थे. दोनों की वलिदाओं का इन्तेकाल हो चूका था. लेकिन रागीब की बड़ी बेहेन “शरीफ आपा” ने रागीब को और मेरी मुमानी मुबा-उन-निस्सा ने मेरा पूरा ध्यान रख कर माँ की कमी को पूरा किया. रागीब के वालिद साहब रिश्तेदारों में "कमरोंद्दिन दादा" के नाम से मशहूर थे. उन्होने बड़ी मेहनत से रागीब और उनके भाइयोकि परवरिश की. इसी तरह मेरे मामूजान “मुराकीबुद्दीन शेख” ने मेरी परवरिश में कोई कमी नहीं रक्खी.
एंग्लो उर्दू हाई स्कूल में चार साल तक रागीब और मैं एक साथ एक ही क्लास में रहे और दोस्ती की बुनियादें दिन बा दिन मजबूत होती गयी. March 1971 का SSC exam (11th) हम दोनों ने अच्छे मार्क्स से कामयाब किया.
आगे की पढाई मुकम्मल करने के लिए रागीब अपने भाई के यहाँ मुंबई गये, मैंने जलगाँव में ही पढाई जारी रखी. इस दौरान एक दूसरे के contact में रहे. छुट्टियों के दौरान रागीब जलगांव आते थे. इस तरह हम मुलाकात का मौका कभी नहीं छोड़ते थे.
रागीब ने Graduation करने के बाद Petrochemical की फील्ड में महारत हासिल की और वो उस फील्ड से जुड़ गये. मैंने जलगांव में SSC के बेस पर टीचर की नौकरी हासिल की और सर्विस करते हुए M Com. तक की तालीम हासिल की.
M Com. कामयाब होने के बाद मेरा सिलेक्शन ऑडिटर की पोस्ट पर मुंबई में हुआ. मुंबई में आने के बाद रागीब ने मेरी हौसला अफ़ज़ाई की और कुछ दिन रहने का इंतजाम किया. बाद में मेरा दूसरे जगह इंतजाम हो गया.
दोनों मुंबई में होने की वजह से मुलाकाते होती रहती थी. अदबी प्रोग्राम और आर्ट फिल्मो मे हम दोनों को दिलचस्पी थी. इस तरह के प्रोग्राम्स में हम दोनों साथ जाते थे. इन प्रोग्रामो में हमे "फैज़ अहमद फैज़" और "ख्वाजा अहमद अब्बास" जैसी हस्तियों से मुलाकात करने का मौका मिला.
बाद में रागीब जॉब के लिए विदेश चले गये. एक महीना जॉब के बाद उन्हे एक महीना छुट्टी मिलती थी. इस छुट्टी के दौरान हमारी मुलाकाते होती रहती थी.
दोनों की शादिया भी रिश्तेदारी में हुई. दोनों की बीवियों में भी अच्छी दोस्ती है.
मैं अकाउंट ऑफिसर की पोस्ट से रिटायर हुआ और रागीब अहमद भी इंडिया में वापस आ कर सुकून भरी जिंदगी गुजार रहे है.
दोनों के बच्चो ने आला तालीम हासिल की और कामयाब ज़िन्दगी गुज़ार रहे है.
हम दोनों के पास अब भरपूर वक़्त होने की वजह से हम एक दूसरे से मिलते है और फ़ोन से बी कांटेक्ट करते है.
इस तरह आज १५ जून २०१७ को हमारी दोस्ती के ५० साल मुकम्मल हो गये.
अल्लाह से दुआ है की हम दोनों की दोस्ती ता ' हयात कायम रहे. आमीन.
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