अस्सलामालिकुम
मरकज़-इ-फलाह और नवी मुंबई पुलिस द्वारा आयोजित इस प्रोग्राम में आप सब को खुश आमदीद welcome
मरकज़-इ-फलाह नेरुल कीअठरा सालोँ की दास्ताँन इन चंद लफ़्ज़ों में बयान कर रहा हूँ
कुछ इस तरह से तै की है हम ने अपनी मंज़िलें
गिर पड़े, गिर के उठे, उठ के चले
अल्लाह ने क़ुरआन में दो जगह फ़रमाया है
kataba ala nafsi hir rahma
मतलब में ने (अल्लाह ने ) रहम करना अपने ऊपर वाजिब कर लिया है
प्यारे रसूल (SA ) की हदीस है के दुनिया बनाने से ५०००० साल पहले अल्लाह ने अपने अर्श पर लिखवा दिया था
Inna rahmati taghlabu ghazabi
मतलब मेरी रहमत मेरे ग़ुस्से पर हावी (भारी) है
किसी शायर ने भी क्या खूब कहा है
करो मेहरबानी तुम अहले ज़मीं पर
खुदा महेरबां होंगे अर्शे बरी पर
मतलब अगर तुम दुनिया वालों पर रहम करोंगे अल्लाह तुम से खुश होगा।
हाज़रीन मरकज़ इ फलाह का मतलब होता है सेंटर ऑफ़ गुडनेस (भलाई) मरकज़ इ फलाह establish करने का मक़सद ही यही था के नेरुल में बसे ग़रीब और मुफ़लिसों की मदद की जाये। उन के आंसू पोंछे जाएँ। मरकज़ के volunteers ने ग़रीबों के घर घर जा कर identified families की लिस्ट तैयार की। आज मरकज़ इ फलाह नेरुल की तरफ से २०० families (१००० individuals ) को रामजान और बकरीद के अवसर पर ३ ता ४ महीने का राशन (grocery ) provide की जाती है। उन के २०० बच्चों की school ,college की फीस (post graduation ) तक भरी जाती है। हर साल मरकज़ इ फलाह की मदद से ७ से ९ बचें graduate ,post graduate हो रहे हैं। पिछले अठरा सालों में ६० से ज़ियादा बच्चें मरकज़ इ फलाह नेरुल से मदद मिला कर graduate ,post graduate होकर अपनी family को support कर रहें हैं। समाज में अपना मक़ाम बनाया है। इतना ही नहीं मरकज़ इ फलाह की मदद भी कर रहें हैं। हम ने एक बुकलेट बनायी है जिस में इन बच्चों की लिस्ट प्रोवाइड की गयी हैं। मरकज़ इ फलाह रमज़ान और बकरीद की नमाज़ का इन्तेज़ान खुले मैदान में करता है जो हमारे नबी (SA ) की practice तरीक़ा था। समाज में लोगों को जोड़ना और ग़लत फहमिया दूर करना मरकज़ इ फलाह का मकसद है , इफ्तार प्रोग्राम इसी मक़सद से हर साल आयोजित किया जाता रहा है। आप सब प्रोग्राम में शामिल हुए, आप सब का धन्यवाद।
मरकज़-इ-फलाह और नवी मुंबई पुलिस द्वारा आयोजित इस प्रोग्राम में आप सब को खुश आमदीद welcome
मरकज़-इ-फलाह नेरुल कीअठरा सालोँ की दास्ताँन इन चंद लफ़्ज़ों में बयान कर रहा हूँ
कुछ इस तरह से तै की है हम ने अपनी मंज़िलें
गिर पड़े, गिर के उठे, उठ के चले
अल्लाह ने क़ुरआन में दो जगह फ़रमाया है
kataba ala nafsi hir rahma
मतलब में ने (अल्लाह ने ) रहम करना अपने ऊपर वाजिब कर लिया है
प्यारे रसूल (SA ) की हदीस है के दुनिया बनाने से ५०००० साल पहले अल्लाह ने अपने अर्श पर लिखवा दिया था
Inna rahmati taghlabu ghazabi
मतलब मेरी रहमत मेरे ग़ुस्से पर हावी (भारी) है
किसी शायर ने भी क्या खूब कहा है
करो मेहरबानी तुम अहले ज़मीं पर
खुदा महेरबां होंगे अर्शे बरी पर
मतलब अगर तुम दुनिया वालों पर रहम करोंगे अल्लाह तुम से खुश होगा।
हाज़रीन मरकज़ इ फलाह का मतलब होता है सेंटर ऑफ़ गुडनेस (भलाई) मरकज़ इ फलाह establish करने का मक़सद ही यही था के नेरुल में बसे ग़रीब और मुफ़लिसों की मदद की जाये। उन के आंसू पोंछे जाएँ। मरकज़ के volunteers ने ग़रीबों के घर घर जा कर identified families की लिस्ट तैयार की। आज मरकज़ इ फलाह नेरुल की तरफ से २०० families (१००० individuals ) को रामजान और बकरीद के अवसर पर ३ ता ४ महीने का राशन (grocery ) provide की जाती है। उन के २०० बच्चों की school ,college की फीस (post graduation ) तक भरी जाती है। हर साल मरकज़ इ फलाह की मदद से ७ से ९ बचें graduate ,post graduate हो रहे हैं। पिछले अठरा सालों में ६० से ज़ियादा बच्चें मरकज़ इ फलाह नेरुल से मदद मिला कर graduate ,post graduate होकर अपनी family को support कर रहें हैं। समाज में अपना मक़ाम बनाया है। इतना ही नहीं मरकज़ इ फलाह की मदद भी कर रहें हैं। हम ने एक बुकलेट बनायी है जिस में इन बच्चों की लिस्ट प्रोवाइड की गयी हैं। मरकज़ इ फलाह रमज़ान और बकरीद की नमाज़ का इन्तेज़ान खुले मैदान में करता है जो हमारे नबी (SA ) की practice तरीक़ा था। समाज में लोगों को जोड़ना और ग़लत फहमिया दूर करना मरकज़ इ फलाह का मकसद है , इफ्तार प्रोग्राम इसी मक़सद से हर साल आयोजित किया जाता रहा है। आप सब प्रोग्राम में शामिल हुए, आप सब का धन्यवाद।
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