गुरुवार, 9 जनवरी 2025

Khushbu jaise log mile-2


Fareeda (Tena khala ) with shagufta



                                           शादी की तक़रीब में रागिब अहमद ,ग़यासोददीन शैख़ साहब 
                                                     सुनी हिकायतें हस्ती तो दरमियान से सुनी 
जनाब ग़यासोददीन शैख़ साहब अपनी उम्र के ८० बहार व ख़िज़ाँ देख चुके हैं। और अब भी माशाल्लाह सेहतमंद और चाक व चौबंद हैं। वालिद सदरुद्दीन शैख़ नसीराबाद से बिलोंग करते थे। पुलिस में जॉब था। आप की ११ औलादें थी ६ बेटे ५ बेटियां। ग़यासुद्दीन साहब जब २ साल के थे वालिद का  इंतेक़ाल हो गया था। चाचाओं ने उनेह अपने पास बॉम्बे बुला लिया। 
                                                      मेहनत से वो तक़दीर बना लेते हैं अपनी 
                                                      विरसे में जिन्हे कोई खज़ाना नहीं मिलता 
   ग़यासोददीन खालू ज़ियादा तालीम हासिल न करने का उनेह हमेशा अफ़सोस रहा है। रिश्ते में वो हमारे खालू और हमारी मिसेस के फूफा लगते है। हमारी खाला फरीदा उर्फ़ टेना और खालू   ने ८ साल जब १९७७ से १९८४ तक ठाणे बेलापुर रोड पर यूनाइटेड कार्बन कंपनी में जॉब करता था मेरा बहुत ख्याल रखा। अक्सर छुट्टी के दिन थाना धोबी आड़ी चला जाता था। कभी कभी तो दोस्तों की एक फ़ौज के साथ उनके घर पहुँच जाता और वो खंदा पेशानी से हमारा इस्तक़बाल करते।  १९८२ में पहली बार कलर टेलीविज़न उन्ही के घर हम दोनों मियां बीवी ने देखा था। 
   जनाब ग़यासुद्दीन ने टेक्सन कंपनी ठाणे से  शुरुआत की जो  ब्रास अल्लुमिनिम रेडिएटर्स और आयल कूलर्स बनाने वाली मशहूर कंपनी है ।
                                                     इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने 
 वो एक बेहतरीन वेल्डर /फैब्रिकेटर्स रहे हैं। जब पासपोर्ट बनाना जुए शीर (दूध की नहर ) निकलने जैसा था किस मेहनत जान फिशनी से अपना और अपनी फॅमिली का पासपोर्ट बनाया होंगा  ग़यासोददीन शैख़ ने 2.5 साल (1971 -1973) अपनी फॅमिली के साथ  रह कर सिंगापुर में काम किया। 
   मुल्क मुल्क की visit  करके उनोहने अपनी skill दुनिया को दिखाई । दुबई ,जॉर्डन ,यमन ,सऊदी अरबिया में जद्दा एयरपोर्ट के इलावा जनाब ने थाई लैंड में भी काम किया। अपनी ज़हानत ,हार्ड वर्क से ग़यासुद्दीन साहब ने प्रोडक्शन इंजीनियर पोस्ट तक तर्रकी की। 
                                                      अदब से देखना लोगों ये मेरा हलाल रिज़्क़ 
                                                      ये कम लगे भी तो तासीर में ज़ियाद है 
   हलाल रिज़्क़ हासिल करके तीनो औलादों की तरबियत भी ग़यासोददीन शैख़ साहब और उनकी अहलिया फरीदा ने खुश असलोबी से की। माशाल्लाह ज़हीर शैख़  (मुकंद ) में जॉब तो करते ही है कराटे में ब्लैक बेल्ट याफ्ता है। लोगो को कराटे  सिखाते हैं दीन से भी जुड़े है। ज़ाहिद शैख़ अबुधाबी में आयल इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। आरिफ शैख़ का खुद का कारोबार है। इनकी औलादों में भी अल्लाह  ने माँ बाप की दुवाओं की बदौलत ज़हानत ,तरक़्की अता की है। 
    अपनी मेंहनत ,ईमानदारी से इंसान कितनी तरक़्की कर सकता है ग़यासोददीन शैख़ साहब इस की ज़िंदा मिसाल है। अल्लाह मौसूफ़ को सेहत के साथ तवील उम्र आता करे आमीन। 


 

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