बुधवार, 2 सितंबर 2020

गुरुजी


Occasion:: Mansoor Bhai birthday
Dated :03/09/2019
Place: Wonder park
Mansoor Bhai at farm house

                                                                         मंसूर  मलँग
वो भले हो के बुरे हम को बहुत प्यारे हैं
अब तो हम नए दोस्त बनाने से रहे 
अगर ऊपरवाला  मुझे पुनर जन्म ,नयी ज़िंदगी देता और पूछता ,तुम अपने दोस्तों की लिस्ट अपनी मर्ज़ी से बनावों ,तो पहले नम्बर पर किसे रखोगे ,मैं बेसाख़्ता जवाब देता मंसूर ,दूसरे नम्बर पर कौन मैं यही जवाब देता मंसूर जेठाम  ,तीसरे नम्बर पर भी में  ने उन्ही का नाम लिया होता ।मंसूर का meaning होता है मदद किया गया ,शायद इसी लिए हमारे मंसूर भाई दूसरों के ग़म को अपना ग़म समझते है ,दूसरों की ख़ुशी में माशाल्लाह ऐसे शामिल होते है ,जैसे अपनी ख़ुशी हो ।

तुम आगये हो नूर आगया है।
उत्तम कुमार ,शक्ति कपूर ,जग्गी वासुदेव  जैसे नामवर लोग ३ सितम्बर को पैदा हुवे थे एक और  जानी  मानी शख्सियत  ने भी ५० साल पहले ३ सितम्बर को  कोकन के छोटे से गांव वहूर तालुका महाड ,जिला राय गड में  जेठाम खानदान में जी. ऍम नारंग के घर जनम लिया , जशन का का माहौल था। क्यों न होता सालों पहले लगाए गए बिजली के खंबो में उसी दिन गांव में रौशनी दौड़ी थी। गांव जगमगा उठा था। जिसके क़दमों की बरकत से गाँव रोशन हुआ था ,मंसूर के नाम से पुकारा जाने लगा।
 अजीब इत्तेफ़ाक़ है नारंग खानदान के मंसूर को अतरंगी ग्रूप में  गुरुजी के नाम से जाना जाता है, कुछ लोग उनको बंगाली भी कहते हैं  ,क्यों कहते है औसफ उसमनी ही बता पायेंगे । हमारे गुरु मंसूर हमेशा चेलों से घिरे रहते हैं।    मुज़फ़्फ़र और सोनावने गुरु के दाँये बायें उन के लिए जान निछावर करने के लिये हमेशा तय्यार रहते है ।गुरु की तारीफ़ में आसमान ज़मीन एक कर देते है, गुरुजी के और एक भक्त श्री हरीशजी भी है जो उनकी हर बात पर बरोबर बरोबर कहते रहते है  कुछ लोग गुरूजी की बुराई भी करते हैं । गुरुजी आपकी बुराई करने से आपकी अज़मत आपकी बढ़ायीं में कोयी कमी नहीं आएँगी ,आप को पता होना चाहिए आसमान की ओर थूकने वाले का क्या अंजाम होता है ।आपके चाहने वालों की संख्या का अंदाज़ा कोयी क्या करे l गुरुजी  की बेनियादी  खूबी ,दूसरों की ख़िदमत , खुलूस और दुनिया से बेराग़बती  की बिना पर उनमें मुझे मलँग की झलकियाँ नज़र आती है। 
कहानी मेरी रुदादे जहाँ मालूम होती है 
जो सुनता है उसीकी दास्तान मालूम होती है 
फंजिंदर उर्दू स्कूल  वहुर से मेट्रिक करने के बाद गुरूजी ने मुंबई का रुख किया ,जहाँ  उनेह अपने मामू मुमानी अब्दुल रहीम कोकाटे की रहनुमाई मिली। गुरूजी ने पोलिटिकल सायेंस में मीठीबाई कॉलेज से  Distinction में ग्रैजूएशन पूरी करने के बाद कोकन मर्केंटाइल बैंक से की थी अपने career की शुरूवात ,जनाब अली एम  शम्सी की रहबरी मिली जो बैंक के चेयरमैन थे। सूद (interest) का कारोबार इस्लाम में जाएज नहीं ।ऊपर वाले पर इतना भरोसा था बैंक की भली नौकरी छोड़ दी ,बिल्डर बन गए ,एक कामयाब बिल्डर बन कर बताया ।
दुआ देती हैं राहें आज तक मुझ अबला पॉ को 
मेरे पैरों की गुलकारी बियाबाँ से चमन तक है 
२० साल पहले मुम्ब्रा छोड़ कर नेरुल बसाया ।बियाँबान सुनसान सेक्टर-१९ को आबाद किया ।  Ruby बिल्डिंग बनायी ,बिल्डिंग कोअपने रिश्तेदारों से आबाद किया और हर वक़्त उनकी ख़िदमत में लगे रहते है।मुम्ब्रा के होटलों की याद आने लगी तो अपने दोस्त औसफ के मारेफत होटेल Ahmed bhai  नेरुल में शुरू करवायी कूछः तसकीन् हुयी ।२० सालों से नेरुल को मुम्ब्रा बनाने की कोशिश में लगे है ,लेकिन  ना कैसर उल जाफ़री जैसे शायर आपने नेरुल में पाया ,ना मुम्ब्रा के मुशायरे , ना अदबी महफ़िलों का नेमूल बदल ।अब जाफ़री साहेब का दीवान याद कर लिया है ,दोस्तों को उनके शेर सुना कर तस्कीन पा लेते है ।
 दोस्तों की फ़रमाइश पर कोकन के ओर्गानिक आमों का कारोबार सुनील कुडेकर के साथ मिल कर किया । गाँव में अपनी  ancestor (आबायी) उजड़ी ज़मीन को गुलों गुलज़ार किया ।इस साल महामारी के कारन क़ुरबानी में problem हुवा तो अपने farm house को goat farm में तब्दील कर दिया ।
  पिक्निक  हो या पार्टी गुरुजी महफ़िल को अपनी आवाज़ के फ़न से महका देते है ,लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि उनकी आवाज़ फटे बाँस के जैसी बेसुरि है ।अपनी अपनी राय है कौन किसी को रोक सकता है ।गुरुजी Program कम्पेरिंग में महारत रखते है ,इस से किसी को इख़्तेलफ नहीं हैं
  वो जैसे ही सुबह सुबह  Wonder park  में वाकिंग के लिए दाखिल होते है , शोर मच जाता है गुरुजी आगये , उनके साथ चलने के लिए एक भीड़ इकठ्ठा होजाती है ,गुरूजी अपने अनमोल ख़यालात  (पर्वचन) से ,साथ वालों को नवाजते रहते है ।फिर गुरुजी सब को हल्की फुलकि वरज़िश (व्यावयम) भी  कराते  है ।
जब भी चाहा है उसे शिद्दत से चाहा है मंसूर 
गुरुजी को कुछ समय पहले NCP की पोस्ट पर nominate किया गया ,फिर तो जैसे भूकंप आगया गुरुजी पूरे तन मन धन से पार्टी के कामों में जुड़ गए । खाना पीना सोना उनके लिए पार्टी होगाया ।गुरुजी की यही एक अदा हम सब को भाती है किसी भी काम को चाहे छोटा हो या बड़ा बड़े खुलुस  dedication से करते है ,अपनी जेब से पैसे लगाते है ,अपना क़ीमती वक़्त ,एनर्जी इस काम में  लगा देते है ।  गुरुजी की बातें अजीब दिल्फ़रेब होती है ।कुर्ला Spare part मार्केट से अपनी कार के लिए ६०० रुपए का spare ख़रीदने जाते है ,२००० रुपये का होटेल का बिल बनता है ।इसे कहते है क़लंदरी ।
माना के इस ज़मीन को न गुलज़ार कर सके 
कूच ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम 
 मेडिकल रीसर्च ने prove कर दिया है कि  अच्छे दोस्तों की महफ़िल में बैठने से इंसान की उम्र में कयी सालों की बढ़ोतरी होजाती है ,हमारा ग्रूप है ही शानदार (सुनील होनराव ,सुनील कुडेकर ,औसाफ़ ,हामिद भाई ,इश्तियाक़ ,मुज़फ्फर ,चिनार (half ) ,सोनवणे ,इनामदार ,हरीश जैसे दोस्त खुशनसीब लोगों को ही मिलते हैं। )सोने पे सुहागा मंसूर जैसा  प्यारा मुखलिस दोस्त भी इस में शामिल है ,हम सब ख़ुश रहते हैं ,ज़िंदगी का लुत्फ़ लेते हैं । मंसूर भाई इस नफरत भरे माहौल में इसी तरह मोहब्बत के दिये  रोशन करते रहे |
    सालगिरह के इस अवसर पर मंसूर भाई को हम सब की जानिब से दिली मुबारकबाद  और दुआ  ऊनहे सेहत ,तंदुरुस्ती और उँचा मुक़ाम हासिल हो ।आमीन सुमा आमीन ।





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