27 February 2015 के रोज़ मुंबई से जेदा होते हुए मेक्का सुबह १० बजे में और शगुफ्ता पहुंचे जुम्मे का दिन था हज़ारों लोगों के साथ नमाज़ जुमाँ अदा की। ख़ुत्बे में इमाम हरम ने अमन का पैग़ाम दिया। रात तमाम अमीरात से सफर किया था जिस्म थकन से चूर था अल्हम्दोलिलाह बाद नमाज़ हम दोनों मियां बीवी ने उमरा अदा किया। खुदा का शुक्र अदा किया चौथी मर्तबा उमरा अदा करने का शरफ हासिल हुआ।
हरम मक्का में तौसी का काम जारी है। बड़ी परेशानी होती है उमरा करने वालों को ,सिर्फ दो गेट खुलते है किंग फहद गेट और किंग अब्दुल अज़ीज़ गेट हज़ारों लोगों का हुजूम एक साथ तवाफ़ के लिए घुसने की कोशिश करते है। कुछ रोज़ की परेशानी है फिर हरम की तौसी के बाद शायद कुछ आराम होजाये ,लगता तो नहीं ,क्यूंकि उमरा करने वालों की तादाद दिन पर दिन बढ़ती जारही है। लेकिन तौसी के काम को देख कर तारीफ किये बिना नहीं रहा जा सकता। ताज महल फ़तेह पूर सिकरी हरम के मुकाबले में miniature नज़र आते हैं। चार साल पहले जब में ने उमरा किया था हराम की तौसी के काम की शुरुवात हुई थी और अब काम पूरा होने जा रहा है।
दींने इस्लाम ही वह मज़हब है जो मसावात (equality) की तालीम देता है। और practical life में भी इसे देखा जा सकता है। उमरा करने के लिए कोई भी मुस्लिम काबे का तवाफ़ कर सकता है किसी भी जगह हरम में नमाज़ अदा कर सकता है। कोई उसे रोक नहीं सकता। साईं बाबा का मंदिर हो के बालाजी का मंदिर दिन भर खड़े होने के बाद भगवन के दर्शन होते हैं। लाखों रूपये का चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है तब भगवन खुश होते हैं। vip के लिए दर्शन की अलग लाइन लगती है।
हज उमरे के अरकान जो रसूल स.अ.स १४०० साल बता गए हैं आज भी उसी तरह पाबंदगी से अदा किये जाते हैं। अहराम बांध कर दुनिया से ग़ाफ़िल हो कर काबे का तवाफ़ ईस दौरान अल्लाह की अज़मत व बुज़ुर्गी बयांन की जाती है अल्लाह से गुनाहों की माफ़ी और दुआएं मांगी जाती हैं। उसके बाद सफा मरवा के दरमियान सई , हजरत हाजरा के उस अमल को दौडतें दुहराते हैं जब वह हज़रात इस्माईल अ.स के लिए पानी हासिल करने के लिए आप दौड़ी थी और आबे ज़म ज़म का चश्मा फूट पड़ा था। फिर आबे ज़म ज़म का सैर होकर पीना और बालों का कसर।
हरम मक्का में तौसी का काम जारी है। बड़ी परेशानी होती है उमरा करने वालों को ,सिर्फ दो गेट खुलते है किंग फहद गेट और किंग अब्दुल अज़ीज़ गेट हज़ारों लोगों का हुजूम एक साथ तवाफ़ के लिए घुसने की कोशिश करते है। कुछ रोज़ की परेशानी है फिर हरम की तौसी के बाद शायद कुछ आराम होजाये ,लगता तो नहीं ,क्यूंकि उमरा करने वालों की तादाद दिन पर दिन बढ़ती जारही है। लेकिन तौसी के काम को देख कर तारीफ किये बिना नहीं रहा जा सकता। ताज महल फ़तेह पूर सिकरी हरम के मुकाबले में miniature नज़र आते हैं। चार साल पहले जब में ने उमरा किया था हराम की तौसी के काम की शुरुवात हुई थी और अब काम पूरा होने जा रहा है।
दींने इस्लाम ही वह मज़हब है जो मसावात (equality) की तालीम देता है। और practical life में भी इसे देखा जा सकता है। उमरा करने के लिए कोई भी मुस्लिम काबे का तवाफ़ कर सकता है किसी भी जगह हरम में नमाज़ अदा कर सकता है। कोई उसे रोक नहीं सकता। साईं बाबा का मंदिर हो के बालाजी का मंदिर दिन भर खड़े होने के बाद भगवन के दर्शन होते हैं। लाखों रूपये का चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है तब भगवन खुश होते हैं। vip के लिए दर्शन की अलग लाइन लगती है।
हज उमरे के अरकान जो रसूल स.अ.स १४०० साल बता गए हैं आज भी उसी तरह पाबंदगी से अदा किये जाते हैं। अहराम बांध कर दुनिया से ग़ाफ़िल हो कर काबे का तवाफ़ ईस दौरान अल्लाह की अज़मत व बुज़ुर्गी बयांन की जाती है अल्लाह से गुनाहों की माफ़ी और दुआएं मांगी जाती हैं। उसके बाद सफा मरवा के दरमियान सई , हजरत हाजरा के उस अमल को दौडतें दुहराते हैं जब वह हज़रात इस्माईल अ.स के लिए पानी हासिल करने के लिए आप दौड़ी थी और आबे ज़म ज़म का चश्मा फूट पड़ा था। फिर आबे ज़म ज़म का सैर होकर पीना और बालों का कसर।
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