नायेला का घर दुबई शहर के सेंटर में हैं। ३८ फ्लोर की बिल्डिंग छत पर खूबसूरत साफ़ शफ्फाफ़ पानी से भरा स्विमिंग पूल ,जीम जकोज़ी। उस की बालकनी से दुबई शहर का दिल फरेब मंज़र देखा जा सकता है। करीब से मेट्रो गुज़रती है। गोल्फ का मैदान भी साफ़ तौर से देखा जा सकता है।वलीद , खालिद ,ज़ैद ,मुकम्मल खानदान। जिस रोज़ उसने हमारी दावत का इंतज़ाम किया था ,वह खुद शगुफ्ता और मुझे लेने नवेद के घर पहुंची। उसकी नयी खरीदी parado का दीदार भी हम ने कर लिया।इत्तिफ़ाक़ से उस के सास ससुर भी मौजूद थे उन से भी मुलाक़ात का शर्फ़ हासिल होगया। क़ासिम भाई के मज़ाहिया जुमलों का मज़ा हम ने खूब उठाया।
नायेला /वलीद ने घर की सजावट बड़े प्यारे अंदाज़ में की है। खूबसूरत परदे ,फर्नीचर सोने पे सुहागा उस की गैलरी लगी ,जहाँ उस ने हाथों से बनी पेंटिंग की नुमाइश कर रखी है। पुराने खुतूत ,बच्चों के हाथ से लिखी तहरीरें ,पेंटिंग याद्दों को महफूज़ करने का खूबसूरत अंदाज़ बहुत पसंद आया। जैसे नायेला कहना चाहती हो। ………।
ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना है गर
तो पहले आके मांग ले तेरी नज़र मेरी नज़र
आफ़रीन नायेला ! ख़्वाब हर कोई देखता है ख्वाबों में हकीकत का रंग भरने का सलीका तुम से सीखा जा सकता है।
अल्लाह से दुआ गो हूँ के तुमहरा घर हरा भरा रहे। नायेला ,वलीद के कहकहों से ,खालिद और ज़ैद की किलकारियों से महकता रहे। आमीन सुम्मा आमीन
आखिर में सलाम दादा भाई की रूह को और हमारी नेक भाभी सहबा को जिन की काविशों ने ,अपनी औलाद को तालीम की रोशन मशाल से आरास्ता कर मुस्तकबिल कि रौशन राह पर गामज़न कर दिया।