रविवार, 7 अप्रैल 2024

Parvinchandra Goradia


                                                       प्रवीणचन्द्र गोराडिया 

                                बिछड़ा कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गयी 

                                एक शख्स सरे शहर को वीरान कर गया 

26 मार्च 2024 गोराडिया   साहब इस दुनिया से रुखसत हुए और हम सब को जीना सीखा कर गए | क्या शख्सियत थी |हफ्ते में 3 बार डायलिसिस करना पड़ता था जाने कितने सालो से ये सिलसिला चल रहा था ,उनोहने खुद बताया था शायद 1000 बार से ज़ियादा उनेह डयलिसिस करनी पड़ी तमाम जिस्म नोकदार सुइयों से छलनी होगया था लेकिन उनके चेहरे की मुस्कान मंद नहीं होई | कुछ साल पहले उनका बाईपास भी हुवा था लेकिन उनकी ज़िंदा दिली में कोई फ़र्क़ नहीं आया था |

शायद 25 साल से में उनको और उनकी मिसेस को जानता हु दोनों ने दिल जान से विघ्नहर सोसाइटी की देख भाल की है अपने खून दिल से इस सोसाइटी के चमन को सवारा है | मिसेस गोराडिया तो मीना ताई हॉस्पिटल में मरीज़ो की काउंसलिंग के लिए जाती रही है |

गोराडिया साहब से विघ्नहर के मैं गेट परअक्सर मुलाक़ात होजाती थी ,लकड़ी का सहारा तो उनोने आखरी आखरी में लिया था वरना वो हमेशा से फिट रहे हैं |रोज़ाना वाकिंग उनकी हैबिट रही है ा मुझसे कहा करते "शैख़ भाई में इतनी जल्दी नहीं जाने वाला अपनी मर्ज़ी से जाऊँगा |होली से 3 दिन पहले बिस्तर पकड़ लिया ,रिची बता रही थी उनकी ज़िद थी होली मना कर  ही जाऊँगा |ऊपर वाले ने भी उनकी बात मान ली , होली जला कर ही वह इस दुनिया  से रुखसत हुए |उनकी ज़िन्दगी फलसफा इस शेर में बयां किया गया है 

चला जाता हूँ हँसता खेलता मौजे हवादिस से 

अगर हो ज़िन्दगी आसान जीना दुश्वार होजाये 

जीस का मतलब है तूफ़ान से लड़ना ज़िन्दगी का नाम है ,ज़िन्दगी आसानी से गुज़रे में सोच ही नहीं सकता |

हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं |

ओम शांति 



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