शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

aijaz abdul ghafur

                                                    सालगिरह मुबारक 

ऐजाज़ मोजज़े (Miracle ) से बना है ऐजाज़ शैख़ की शख्सियत भी जादुई है। चेहरे पे हमेशा मंद मंद मुस्कराहट सजी रहती है  ,बात बहुत कम करते है। 

जब तक ऐजाज़ भाई के वालिद मरहूम हाजी ग़फ़ूर शैख़ हयात थे ,उनसे हमारे बड़े अच्छे ताल्लुक़ात थे। ऐजाज़ ने हमें बुज़ुर्ग का दर्जा अता कर रखा था। हम से दूर दूर रहते थे। मुझे याद है मरकज़े फलाह identified families को पहली बार रमजान में मरहूम हाजी अब्दुल ग़फ़ूर की दुकान से ग्रोसरी तक़सीम की गयी थी। मरहूम हाजी ग़फ़ूर को लोग हिंदुस्तान मसालेवाले की उर्फियत से जानते थे।  मरहूम मरकज़े फलाह के हाजियो और AGM के प्रोग्राम में ,खाना अपनी तरफ से स्पॉंसर किया करते थे। माशाल्लाह मरहूम ग़फ़ूर साहेब अक्सर व बेश्तर अपने खानदान के साथ रमजान में उमरे पर जाया करते थे । अल्लाह  मरहूम को करवट करवट जन्नत नसीब करे। 

 पिछले मरकज़े फलाह के इलेक्शन में ऐजाज़ भाई को मैनेजमेंट कमिटी में शामिल किया गया। फिर तो वो हमारे ग्रुप से ऐसे घुल मिल गए जैसे शक्कर पानी में घुल जाती है। उनकी शराफत को देखते हुए उन्हें Atrangee टपोरी ग्रुप में नहीं शामिल किया गया बल्कि उन के  लिए whatsup पर नया  Nerul Friends ग्रुप बनाया गया। मशाल्लाह जनाब ऐजाज़ में अपने वालिद के तमाम गुण आये है। वही दरयादिली ,वही मुस्लिम समाज के ताल्लुक़ से तालीम की फ़िक्र। हिंदुस्तान मसाला ब्रांड को अपनी फॅमिली को सौंप कर अपना एक नया ब्रांड EKSA की बुनियाद डाली। उनके फ़रज़न्द अब्दुल ने अपना जॉब छोड़ कर अपने Daddy के साथ मिल कर इस ब्रांड के एस्टब्लिश करने में अनथक कोशिश की और माशाल्लाह क़ामयाब भी हुए। खालिस pure मसलों में EKSA ब्रांड एक पहचान बन गया है। 

ऐजाज़ भाई पर एक शेर सादिक़ आता है 

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे 

तू बहुत देर से मिला है मुझे 

बम्बई के कोने कोने से ऐजाज़ भाई ,हाथ की लकीरों की तरह पहचानते है। बोरी मोहल्ला ,कोलसा गल्ली ,केडी कंपनी और उन गलियों से जुड़े वाक़ियात उन्हे ज़ुबानी  याद है। पुराने होटल ,चटखारे खाने के outlet की सैर  दोस्तों को कराने, और वहां के खाने खिलने में उन्हे दिली ख़ुशी होती है। अपने वालिद की तरह समाजी कामों में ख़ामोशी से पेश पेश रहते है। 

    उनकी सालगिरह २५ अप्रैल के रोज़ थी। अल्लाह उनेह सेहत के साथ लम्बी उम्र आता करे। भगवती रेजीडेंसी में वह अपनी छोटी खशहाल फॅमिली के साथ रहते हैं। 

    मैं अक्सर उनसे उनकी EKSA मसलों की दुकान पर मुलाक़ात कर लेता हूँ ,मसाले खरीद लेता हु साथ साथ मसाले वाली चाय नोश करने को मिल जाती है। 

सालगिरह मुबारक ऐजाज़ 

तमाम उम्र तुझे ज़िंदगी का प्यार मिले 

खुदा करे के ख़ुशी तुम को बार बार मिले 

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

great loss

                                                                             عظیم نقصان  

سابق پرنسپل مہاراشٹرا کالج کوکشی والا سر کی انقلاب میں انتقال کی خبر پڑھ کر افسوس ہوا --١٩٧٤ سے ١٩٧٧ کے درمیان میں مہاراشٹرا کالج سے بی ایس سی کا  کورس کرتے ہوے ،مجھے  کوکشی والا سر سے فزکس مضمون سمجھنے کا شرف حاصل ہوا -سر پاے کے استا دتھے اپنے مضمون پر انتہایی کمال حاصل تھا اور ڈسپلن کے انتہایی پابند تھے  -اس دور میں مہاراشٹرا کالج میں اردو میڈیم سے تعلیم حاصل کئے طلبا کی تعداد زیادہ تھی اور ہم سب ہی مالی حالات سے کمزور تھے -پرنسپل عبدل قدوس منشی ،پروفیسر مالوستے ،پروفیسر زویری ،پروفیسر حوالدار،پروفیسر جاوید خان  اور کوکشی والا جیسے ماہر تعلیم دان ٹیم نے ہم سٹوڈنٹس کی جس طرح  زہن سازی کی ہمیں اس بات کا ہمیشہ فخر رہا -١٩ سال سوڈان اور سیریا  آئل فیلڈ میں ملٹی نیشنل اسٹاف کے ساتھ کام کرکے کبھی بھی  احساس کمتری کا احساس نہیں ہوا -الله سے دعا گو ہوں سب کو ان جیسے استادوں کی رہنمایی حاصل ہو -کوشی والا سر کے لئے رب العزت سے دعا ہے کے انہے جنّت الفردوس میں بلند درجات عطا ہو آمین 

راغب احمد شیخ 

نیرول (نیی ممبئی )


vighnahar open Gym mubarak

                                                  विघ्नहर सोसाइटी ओपन gym मुबारक 




तंग दस्ती अगरचे हो ग़ालिब 
तंदुरस्ती हज़ार नेमत है 
ग़ालिब कहता है ग़रीब रह कर आदमी जी सकता है ,बीमार रह  कर जीना मुश्किल होजाता है। 
कल २२ अप्रैल 2024 शाम ६ बजे Futado Sir के शुभ हस्ते विघ्नहर सोसाइटी के ओपन जिम का उद्धघाटन अमल में आया। जश्न का माहौल था चेयरमैन हनीफ अब्दुल लतीफ़ क़ाज़ी ,सेक्रेटरी अफ़ज़ल काज़ी ,डॉ खन्ना ,ज़ुबैर हैदरी ,शौकत जमादार ,मुकादम साहेब ,हमीद भाई ,जनाब क़ादरी साहेब (कमिटी मेंबर विघ्नहर सोसाइटी ),Bidhen रॉय साहेब ,टाय शेट्टे,अब्दुल लतीफ़ क़ाज़ी , हिशामसुर्वे ,रागिब अहमद  सबने प्रोग्राम में शिरकत करके ,प्रोग्राम को चार चाँद लगाए। 
    थैंक्स विघ्नहर सोसाइटी कमिटी आप  लोगो ने ओपन जिम की फैसिलिटी प्रोवाइड की। साल के ९००० से १०००० हमारे जिम ज्वाइन करने के बच गए। हम सीनियर मेंबर्स की सेहत बनेगी बीमारियों से दूर रहेंगे और बेकार की बातों से बचे रहेंगे। स्पेशल थैंक्स to  अफ़ज़ल क़ाज़ी और राजकुमार। 
    नयी विघ्नहर मैनेजिंग कमिटी ने काम्प्लेक्स में नयी रूह फूँक दी है। 
१) सोसाइटी में सफाई और स्वछता बढ़ गयी है। 
२) ड्रिप इरीगेशन लगाने से हरयाली बढ़ गयी है। गार्डन की सफाई हो गयी है।  पेड़ पौदों में नयी जान आगयी है। 
३) बच्चों के सब खेल एक जगह करने  बैठने के बेंच बढ़ गए। 
४) वाटर टैंक को पेंट करने से खूबसूरती बढ़ गयी है। 
५) अब ओपन जिम की की फैसिलिटी भी मिल गयी है। 
६) sufficient लाइट्स लगाने से सोसाइटी जगमगाने लगी है। 
    हम ने हर गाम पे सजदों के जलाये हैं चराग़ 
    अब तेरी रह गुज़र रह गुज़र लगती हैं 
 सोसाइटी की खूबसूरति में दिन बी दिन इज़ाफ़ा तो हो रहा है।  सोसाइटी मेंबर्स की भी कुछ रेस्पॉन्सिबिलिटीज़ हैं। दिन में दो बार सफाई के बावजूद लोग अपने फ्लैट्स से सिगरेट पैकेट्स ,रोटी के टुकड़े ,बासी चावल फ़ेंक देते है। चूहों ,बिल्ली और परिदों के लिए खाना देना ही है तो घर में पाले। बिल्लियां दिन बी दिन बढ़ रही है। 
      वेहिकल पार्किंग मेंबर्स अलॉटेड जगह पर करे तो बेहतर होंगा। फायर हाईड्रेन्ट के सामने तो बिलकुल न पार्क करे। 
      पानी की फ़ुज़ूल खर्ची सोसाइटी में बहुत ज़ियादा है। दिन में २८०,००० लिटर्स पानी यूज़  होता है। ११०० लोग सोसाइटी में रहते हैं। २६० लिटर्स हर सोसाइटी का मेंबर पानी यूज़ कर रहा है जो बहुत ज़ियादा है। हम सब को इस बात पर ध्यान देना है। 
       शायद के तेरे दिल में उतर जाये मेरी बात। 
     

      


 

रविवार, 7 अप्रैल 2024

Parvinchandra Goradia


                                                       प्रवीणचन्द्र गोराडिया 

                                बिछड़ा कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गयी 

                                एक शख्स सरे शहर को वीरान कर गया 

26 मार्च 2024 गोराडिया   साहब इस दुनिया से रुखसत हुए और हम सब को जीना सीखा कर गए | क्या शख्सियत थी |हफ्ते में 3 बार डायलिसिस करना पड़ता था जाने कितने सालो से ये सिलसिला चल रहा था ,उनोहने खुद बताया था शायद 1000 बार से ज़ियादा उनेह डयलिसिस करनी पड़ी तमाम जिस्म नोकदार सुइयों से छलनी होगया था लेकिन उनके चेहरे की मुस्कान मंद नहीं होई | कुछ साल पहले उनका बाईपास भी हुवा था लेकिन उनकी ज़िंदा दिली में कोई फ़र्क़ नहीं आया था |

शायद 25 साल से में उनको और उनकी मिसेस को जानता हु दोनों ने दिल जान से विघ्नहर सोसाइटी की देख भाल की है अपने खून दिल से इस सोसाइटी के चमन को सवारा है | मिसेस गोराडिया तो मीना ताई हॉस्पिटल में मरीज़ो की काउंसलिंग के लिए जाती रही है |

गोराडिया साहब से विघ्नहर के मैं गेट परअक्सर मुलाक़ात होजाती थी ,लकड़ी का सहारा तो उनोने आखरी आखरी में लिया था वरना वो हमेशा से फिट रहे हैं |रोज़ाना वाकिंग उनकी हैबिट रही है ा मुझसे कहा करते "शैख़ भाई में इतनी जल्दी नहीं जाने वाला अपनी मर्ज़ी से जाऊँगा |होली से 3 दिन पहले बिस्तर पकड़ लिया ,रिची बता रही थी उनकी ज़िद थी होली मना कर  ही जाऊँगा |ऊपर वाले ने भी उनकी बात मान ली , होली जला कर ही वह इस दुनिया  से रुखसत हुए |उनकी ज़िन्दगी फलसफा इस शेर में बयां किया गया है 

चला जाता हूँ हँसता खेलता मौजे हवादिस से 

अगर हो ज़िन्दगी आसान जीना दुश्वार होजाये 

जीस का मतलब है तूफ़ान से लड़ना ज़िन्दगी का नाम है ,ज़िन्दगी आसानी से गुज़रे में सोच ही नहीं सकता |

हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं |

ओम शांति