सोमवार, 7 नवंबर 2022

Qamar ahmed

                                                                  ای سعادت بزورے بازو نیست 

ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 

१९६८ से १९७१ वालिद मरहूम हाजी क़मरुद्दीन कटियाफाईल मोहल्ले में ट्यूशन लिया करते थे। में भी एंग्लो उर्दू  स्कूल में तालीम हासिल कर रहा था। कडु मियां दादाभाई को हमारे वालिद से इन्तेहाई अक़ीदत थी। जब भी जलगाव  एसटी पर ड्यूटी लगती अब्बा से मिलने ज़रूर घर आते। अब्बा घर के वरांडे में बैठ कर बच्चों को ट्यूशन दिया करते। कभी कभी थोड़े वक़्फ़े के लिए कहीं जाना होता ट्यूशन के बच्चों को  मेरे हवाले कर जाते। इस दौरान कडु मियां दादाभाई आ जाते मुझे बच्चों को पढ़ते देख कर बहुत खुश होते मेरी बहुत तारीफ करते कहते "भैया तुम बहुत तरक़्क़ी करोंगे   "  मुझे बहुत खुशी मिलती ,और encouragement भी मिलता।

ये भी इत्तेफ़ाक़ है ,शहदा में भी कडु मिया दादाभाई का ट्रांसफर रहा। उनकी फॅमिली और हमारे ससुर ज़ैनुल आबेदन की फॅमिली में काफी कुर्बत रही।  

तुम्हारे लहजे में जो गर्मी व हलावत है 

उसे भल सा कोई नाम दो वफ़ा  की जगह 

ग़नीमें नूर का हमला कहो अंधेरों में 

दयारे दर्द में आमद कहो कहो बहारों की 

वही लहजा ,वही सादगी ,वही खुलूस आपकी तीनो औलादों  कमर अहमद ,नियाज़ा अहमद और नूर अहमद में पाया जाता हैं। 

कमर अहमद से नज़दीकी ताल्लुक़ात ३ सालों में काफी बढे हैं। जब से उनेह इक़रा खानदेश फाउंडेशन का  स्पोक पर्सन तानियत किया गया है। इतनी कम उमरी में अपना ADEVERTISING का कारोबार Establish किया है बड़ा ताज्जुब होता है। रोटरी क्लब धुले डिस्ट्रक्ट का डिप्टी गवर्नर के उहदे तक पहुचना मानी रखता है। कमर अहमद को रिश्तेदारों की निस्बत बड़ा करब है । तालीम ,ग़ुरबत और शादी के मसायल किस तरह हल किये जाये हमेशा फिक्रमंद रहते है। धुले शहर में रिश्तेदारों की हर संस्था से आप जुड़े हुए है और अपना तआवुन देते रहते हैं। 

इक़रा खानदेश फाउंडेशन के लिए वो मज़बूत सतून की हैसियत रखते हैं। 

हम दोनों मिया बीवी से बहुत क़रीबी रिश्ता रखते हैं। मुझे अंकल कहते है और शगुफ्ता को बाजी। 

दुआ है वो इसी तरह  खिदमते ख़ल्क़ में लगे रहे। अल्लाह उनेह बेइंतेहा तर्रकी आता करे आमीन। 

जहा रहे वो खैरियत के साथ रहे 

उठाये हाथ तो एक दुआ याद आयी। 

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