शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

KALYAN PRIZE DISTRBUTION PROGAMME

 

मुझे आज भी अब्बा से गले मिलना याद है। भाइयों रिश्तेदारों से मुसाफा करना । नानी मुमानी खाला का सर पर हाथ रखना याद है। (अम्मा का बचपन में इंतेक़ाल हो गया था ) अजीब क़िस्म का सकूंन मिलता था इन बातों में।  दो साल लॉक डाउन (COVID ) में ऑनलाइन कॉन्टेक्ट्स ने वो लम्स वो अपनापन वह मोहबत्तें हम से दूर कर दी थी। कहा जाता है "Man is social animal " COVID की पाबंदिया ख़त्म होते ही लोग तेज़ी से हंगामो की तरफ लौटे। शादिया ,तेहवार ,मेले ठेले ,उर्स इस ज़ोर शोर जश्न के माहौल में मनाये जा रहे हैं लगता हे लोग दो साल के वक़्फ़े को अपनी ज़िन्दगी से अपनी यादों  से खुरछ देना चाहते हैं। बिजली की चमक थी जो आनन् फानन पल में गुज़र गयी। हर दम रवां है ज़िन्दगी। मानों  ब्रकिंग  न्यूज़ है जो २ मिनट में बासी होगयी 

३० अक्टूबर २०२२ का Prize distribution function जो इक़रा खानदेश फाउंडेशन कल्याण यूनिट द्वारा आयोजित  किया गया था संग मील की हैसियत रखता है। ३५० कुर्सियां भी लोगों  के लिए कम पड़ रही थी। मर्द और औरतें बराबर  तादाद में थे। और सब ने बच्चों की कामयाबी का जश्न दिल से मनाया। में समझता हु  पैसे थोड़े  खर्च करके हमारे अपने बच्चों के चेहरों पर मस्सरतें बिखेर देते है तो ये बड़ी कामयाबी है। हमारे बुज़र्ग शाफियोद्दीन जनाब,रशीद जनाब ,महेर अली जनाब ,विजियोद्दीन जनाब मेहफूज़ अली ,मोहतरम बशाश तवील उमरी और जिस्मानी परेशानियों के बावजूद नौजवानो के शाना ब शाना प्रोग्रॅम में अवल से आखिर तक अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाते रहें। 

बच्चों  को दिए गए इनामात और उनकी कामयाबी पर लगता है हम एक रौशन मुस्तकबिल की जानिब गामज़न है। कल्याण इक़रा खानदेश फोडेशन यूनिट को  कामयाब प्रोग्राम मुनअक़िद करने पर दिली मुबारकबाद। इक़रा खानदेश फाउंडेशन के हौसले बुलुंद होगये और मुस्तक़बिल में काम की रफ़्तार बढ़ाने के लिए इशारा मिला। 

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