सोमवार, 28 नवंबर 2022

 आज भी हो जो इब्राहिम सा इमांन पैदा 

मुकरमी 

१८ नवंबर २०२२ को सऊदी हकूमत की जानिब से बारिश के लिए नमाज़े इस्तसका का ऐलान किया गया था। इत्तेफ़ाक़न में भी उम्रे की अदायगी के लिए  हरम में मौजूद था। हरम में क़ाबा शरीफ के सामने नमाज़े फज्र के बाद इमाम साहेब ने नमाज़े इस्तसका पढ़ाने का ऐलान किया। जुमेरात की सऊदी में छूटी होने की वजह से एक बड़ी तादाद में लोग नमाज़े इस्तसका में शामिल हुए। मताफ़ के तमाम दरवाज़े बंद कर दिए गए और एक घंटे तक नमाज़े इस्तासका अदा की गयी। और सूरे नूह पढ़ कर रिक़्क़त आमेज़ दुआ की गयी। 

अल्हम्दोलीलाह २४ नवंबर २०२२ के रोज़ जिस दिन हम सुबह एयर इंडिया की फ्लाइट से वापिस हुए अल्लाह की रेहमत जोश में आयी और बारांने रेहमत नाज़िल हुयी। ये नमाज़ इस्तासका की बरकत और लोगों की दुवाओं का नतीजा रहा के एक हफ्ते के अंदर अंदर जेद्दाह में मुसला धार बारिश हुयी पूरा शहर जल थल होगया ,सड़कों पर पानी जमा होगया जिस की वजह से स्कूलों को बंद कर दिया गया ,कारें पानी में तैरने लगी परवाज़ों में भी ताख़ीर होगयी। अगर दिल से दुआ की जाये तो ज़रूर  क़बूल होती है। 

आज भी हो जो इब्राहिम सा ईमान पैदा 

आग कर सकती है अंदाज़े गुलिस्तां पैदा 

रागिब अहमद 

नेरुल(नवी मुंबई )




मंगलवार, 8 नवंबर 2022

UQABI RUH JAB BEDAR HOTI HAI JAWANO ME

उक़ाबि रूह जब बेदार होती है जवानों में 
नज़र आती है उनको अपनी मंज़िल आसमानों में 
रिश्तेदारों के बच्चे हमें चीख चीख कर बता रहे हैं। हमें  तालीम की राहें आसान कर दे। हम फ़रसूदा रसूम के के इन हलकों से आज़ादी चाहते हैं। कल्याण के कामयाब प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन फंक्शन के बाद एक बात रोज़े रोशन की तरह साबित होगयी है के ,रिश्तेदारों में तालीम के ताल्लुक़ से जो बेदारी पैदा हुयी है इंशाल्लाह ये एक इन्किलाब का पेश ख़ैमा साबित होंगी है। 
हम जनाब इरफ़ान मुंशी और मुजाहिद सर के भी शुक्र गुज़र हैं जिनो ने रिश्तेदारों  के संजीदा ,बावक़ार लोगों का ग्रुप तश्कील किया। फ़ुज़ूल डिस्कशन बहस मुबाहसे से गुरेज़ किया जाये सब के लिए बेहतर हैं। माशाल्लाह शादी के फ़रसूदा रुसुम को ख़त्म करने के लिए हाजी साल्हुद्दीन नूरी साहेब ने पहल की और नौजवानो ने इस आवाज़ पर लब्बैक कहा खुश आयंद मुस्तक़बिल के इशारे हैं। मज़हर जनाब के शुक्र गुज़र है दीनी सवालात का सिलसिला शुरू किया। 
ग्रुप में किसी के इंतेक़ाल पर हर मेंबर की ख्वाहिश होती है के दुआ शेयर करे। क्या ये नहीं हो सकता हम दिल में दुआ पढ़ ले और एक दरूद शरीफ मुर्दे को बख़श दे ?इंतेक़ाल करने वाले के अल्लाह इंशाल्लाह दरजात ज़रूर बुलंद करदेंगा 
मैं कुछ न कहु और ये चाहूँ के मेरी बात 
खुशबु की तरह उड़ के तेरे दिल में उत्तर जाये 
उमरे के लिए रवानगी है इंशाल्लाह तमाम उम्मत ,रिश्तेदारी ,इक़रा खानदेश फाउंडेशन के लिए खास दुआ करने का अज़्म रखता हूँ। आप सब से दरख्वास्त है नाचीज़ को अपनी दवाओं में शरीक करे। 

सोमवार, 7 नवंबर 2022

Qamar ahmed

                                                                  ای سعادت بزورے بازو نیست 

ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 

१९६८ से १९७१ वालिद मरहूम हाजी क़मरुद्दीन कटियाफाईल मोहल्ले में ट्यूशन लिया करते थे। में भी एंग्लो उर्दू  स्कूल में तालीम हासिल कर रहा था। कडु मियां दादाभाई को हमारे वालिद से इन्तेहाई अक़ीदत थी। जब भी जलगाव  एसटी पर ड्यूटी लगती अब्बा से मिलने ज़रूर घर आते। अब्बा घर के वरांडे में बैठ कर बच्चों को ट्यूशन दिया करते। कभी कभी थोड़े वक़्फ़े के लिए कहीं जाना होता ट्यूशन के बच्चों को  मेरे हवाले कर जाते। इस दौरान कडु मियां दादाभाई आ जाते मुझे बच्चों को पढ़ते देख कर बहुत खुश होते मेरी बहुत तारीफ करते कहते "भैया तुम बहुत तरक़्क़ी करोंगे   "  मुझे बहुत खुशी मिलती ,और encouragement भी मिलता।

ये भी इत्तेफ़ाक़ है ,शहदा में भी कडु मिया दादाभाई का ट्रांसफर रहा। उनकी फॅमिली और हमारे ससुर ज़ैनुल आबेदन की फॅमिली में काफी कुर्बत रही।  

तुम्हारे लहजे में जो गर्मी व हलावत है 

उसे भल सा कोई नाम दो वफ़ा  की जगह 

ग़नीमें नूर का हमला कहो अंधेरों में 

दयारे दर्द में आमद कहो कहो बहारों की 

वही लहजा ,वही सादगी ,वही खुलूस आपकी तीनो औलादों  कमर अहमद ,नियाज़ा अहमद और नूर अहमद में पाया जाता हैं। 

कमर अहमद से नज़दीकी ताल्लुक़ात ३ सालों में काफी बढे हैं। जब से उनेह इक़रा खानदेश फाउंडेशन का  स्पोक पर्सन तानियत किया गया है। इतनी कम उमरी में अपना ADEVERTISING का कारोबार Establish किया है बड़ा ताज्जुब होता है। रोटरी क्लब धुले डिस्ट्रक्ट का डिप्टी गवर्नर के उहदे तक पहुचना मानी रखता है। कमर अहमद को रिश्तेदारों की निस्बत बड़ा करब है । तालीम ,ग़ुरबत और शादी के मसायल किस तरह हल किये जाये हमेशा फिक्रमंद रहते है। धुले शहर में रिश्तेदारों की हर संस्था से आप जुड़े हुए है और अपना तआवुन देते रहते हैं। 

इक़रा खानदेश फाउंडेशन के लिए वो मज़बूत सतून की हैसियत रखते हैं। 

हम दोनों मिया बीवी से बहुत क़रीबी रिश्ता रखते हैं। मुझे अंकल कहते है और शगुफ्ता को बाजी। 

दुआ है वो इसी तरह  खिदमते ख़ल्क़ में लगे रहे। अल्लाह उनेह बेइंतेहा तर्रकी आता करे आमीन। 

जहा रहे वो खैरियत के साथ रहे 

उठाये हाथ तो एक दुआ याद आयी। 

शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

KALYAN PRIZE DISTRBUTION PROGAMME

 

मुझे आज भी अब्बा से गले मिलना याद है। भाइयों रिश्तेदारों से मुसाफा करना । नानी मुमानी खाला का सर पर हाथ रखना याद है। (अम्मा का बचपन में इंतेक़ाल हो गया था ) अजीब क़िस्म का सकूंन मिलता था इन बातों में।  दो साल लॉक डाउन (COVID ) में ऑनलाइन कॉन्टेक्ट्स ने वो लम्स वो अपनापन वह मोहबत्तें हम से दूर कर दी थी। कहा जाता है "Man is social animal " COVID की पाबंदिया ख़त्म होते ही लोग तेज़ी से हंगामो की तरफ लौटे। शादिया ,तेहवार ,मेले ठेले ,उर्स इस ज़ोर शोर जश्न के माहौल में मनाये जा रहे हैं लगता हे लोग दो साल के वक़्फ़े को अपनी ज़िन्दगी से अपनी यादों  से खुरछ देना चाहते हैं। बिजली की चमक थी जो आनन् फानन पल में गुज़र गयी। हर दम रवां है ज़िन्दगी। मानों  ब्रकिंग  न्यूज़ है जो २ मिनट में बासी होगयी 

३० अक्टूबर २०२२ का Prize distribution function जो इक़रा खानदेश फाउंडेशन कल्याण यूनिट द्वारा आयोजित  किया गया था संग मील की हैसियत रखता है। ३५० कुर्सियां भी लोगों  के लिए कम पड़ रही थी। मर्द और औरतें बराबर  तादाद में थे। और सब ने बच्चों की कामयाबी का जश्न दिल से मनाया। में समझता हु  पैसे थोड़े  खर्च करके हमारे अपने बच्चों के चेहरों पर मस्सरतें बिखेर देते है तो ये बड़ी कामयाबी है। हमारे बुज़र्ग शाफियोद्दीन जनाब,रशीद जनाब ,महेर अली जनाब ,विजियोद्दीन जनाब मेहफूज़ अली ,मोहतरम बशाश तवील उमरी और जिस्मानी परेशानियों के बावजूद नौजवानो के शाना ब शाना प्रोग्रॅम में अवल से आखिर तक अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाते रहें। 

बच्चों  को दिए गए इनामात और उनकी कामयाबी पर लगता है हम एक रौशन मुस्तकबिल की जानिब गामज़न है। कल्याण इक़रा खानदेश फोडेशन यूनिट को  कामयाब प्रोग्राम मुनअक़िद करने पर दिली मुबारकबाद। इक़रा खानदेश फाउंडेशन के हौसले बुलुंद होगये और मुस्तक़बिल में काम की रफ़्तार बढ़ाने के लिए इशारा मिला।