आज भी हो जो इब्राहिम सा इमांन पैदा
मुकरमी
१८ नवंबर २०२२ को सऊदी हकूमत की जानिब से बारिश के लिए नमाज़े इस्तसका का ऐलान किया गया था। इत्तेफ़ाक़न में भी उम्रे की अदायगी के लिए हरम में मौजूद था। हरम में क़ाबा शरीफ के सामने नमाज़े फज्र के बाद इमाम साहेब ने नमाज़े इस्तसका पढ़ाने का ऐलान किया। जुमेरात की सऊदी में छूटी होने की वजह से एक बड़ी तादाद में लोग नमाज़े इस्तसका में शामिल हुए। मताफ़ के तमाम दरवाज़े बंद कर दिए गए और एक घंटे तक नमाज़े इस्तासका अदा की गयी। और सूरे नूह पढ़ कर रिक़्क़त आमेज़ दुआ की गयी।
अल्हम्दोलीलाह २४ नवंबर २०२२ के रोज़ जिस दिन हम सुबह एयर इंडिया की फ्लाइट से वापिस हुए अल्लाह की रेहमत जोश में आयी और बारांने रेहमत नाज़िल हुयी। ये नमाज़ इस्तासका की बरकत और लोगों की दुवाओं का नतीजा रहा के एक हफ्ते के अंदर अंदर जेद्दाह में मुसला धार बारिश हुयी पूरा शहर जल थल होगया ,सड़कों पर पानी जमा होगया जिस की वजह से स्कूलों को बंद कर दिया गया ,कारें पानी में तैरने लगी परवाज़ों में भी ताख़ीर होगयी। अगर दिल से दुआ की जाये तो ज़रूर क़बूल होती है।
आज भी हो जो इब्राहिम सा ईमान पैदा
आग कर सकती है अंदाज़े गुलिस्तां पैदा
रागिब अहमद
नेरुल(नवी मुंबई )