सोमवार, 3 अक्टूबर 2022

NAZIM BLOG UPDATED

 


                                              
नाज़िमोद्दीन अयाजोद्दीन शैख़ 
कभी कभी ये होता है इंसान का नाम उसकी शख्सियत से बिलकुल मेल नहीं खाता । नाम है हसीना इतनी खौफनाक के बच्चे  डर जाये। 
नाज़िम मेरा भांजा ,उसके नाम के लफ़्ज़ी मानि होते है organizer, आपा और दुलेह भाई ने क्या सोच कर नाम रखा था।  दाद देनी पड़ती है। नाज़िम के नाम से उस की शख्सियत मेल खाति है।मेहनती ,ईमानदार ,जिस महफ़िल में बैठ जाये गुल व गुलज़ार होजाती है। मज़ाक भी ऐसा के तहज़ीब के दायरे से बाहर नहीं होता। मेरी बेटी हिना ने अपनी शादी का दावत नाम Whatsup  पे रवाना किया "nazim & fly "पढ़ कर अपनी अहलिया से मज़ाकन कहने लगा "जल्दी तैयार होजाओ मॉमू ने फ्लाइट  का टिकेट भेजा है। वोह हमारे बहनवायी यानि अपने वालिद  अयाजोद्दीन से मिलता जुलता है। निकलता कद , दूध की तरह शफाफ रंग, नीली ऑंखें। अल्लाह नज़र बाद से बचाये।
   ये फूल मुझे कोई विरवसत में मिले हैं
   तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
  वालिद की सैलरी कम थी तीन भाइयों और एक बहन का साथ था। उन दिनों नाज़िम अपनी अम्मा अदीबुन्निसा  का हाथ बटाता दोनों मिलकर पापड़ अचार बनाते । स्कूल के बाहेर बैठ कर पेरू भी इनकम बढ़ने के लिए बेचे नाज़िम ने साइकिल पंक्चर की दुकान भी खोली ,,कार्टन फैक्ट्री ,छोटी वर्कशॉप में काम भी किया साथ साथ मोलेदिना स्कूल से पढ़ाई भी जारी रखी। साबु सिद्दिक् कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की तालीम मुक़म्मिल की। 
          तालीम पूरी करने के बाद उस की ज़िन्दगी का रुख बदल गया। १९९५ में  नाज़िम को दुबई  में जॉब मिल गया और पिछले २८ सालों से वो अपनी फॅमिली के साथ दुबई ही में मुक़ीम है।  २ साल पहले बच्चों के higher education के लिए उसे फॅमिली को पुणे भेजना पड़ा। नीचे बैठना उस ने सीखा ही नहीं। 
           बचपन में वह सीरत तुन नब्बी के  जलसों में जोश ख़रोश से हिस्सा लेता और बड़ी बड़ी ट्राफियां जीत कर लाता।  में पूना छुट्टियों में आपा से मिलने आया था। नाज़िम ऐसे ही किसी जलसे में शिरकत के लिए गया था।  हमारी बड़ी आपा (अद्दिबुन्निसा ) हयात थी।  रात २ बजे के क़रीब  आँख खटके से खुल गयी ,आपा को बेचैनी से टहलते देखा। पूछने पर पता चला  नाज़िम सीरत के जलसे से अभी तक नहीं  लौटा।हम दोनों नाज़िम का इंतज़ार करते रहे।  नाज़िम के लोटने पर में ने उसे बहुत डांट पिलाई वह चुप चाप सुनता रहा। मुझे क्या पता था उनिह महफ़िलों की बरकत और मौलाना यूनुस (पूना  वाले ) मरहूम की  सोहबत ,तरबियत और दुवाओं और रहबरी उस के रोशन मुस्तकबिल के लिए मश अले रह बन जाएगी।
     अलाह ने उसे निकहत के रूप में एक ख़ूबसूरत हमसफ़र और ३ प्यारे प्यारे बच्चों से नवाज़ दिया। अल्लाह के रसूल का क़ौल है जिसे खूबसूरत घर ,अच्छी सवारी और बेहतर बीवी नसीब होगयी उस की दुनयावी ज़िन्दगी कामयाब होगयी। 
नाज़िम की औलादों में  सिद्ऱाह ,साराह डॉक्टर  बन रही हैं और अफ्फान भी डॉक्टर बनना चाहता है। अल्लाह उनके ख्वाब पुरे करे। आमीन 
     शगुफ्ता के साथ में ने दो मर्तबा दुबई का सफर किया और नाज़िम की मेहमान नवाज़ी का लुत्फ़ उठाया। मेहमान की राह में पलकें बिछा देना इस मुहावरें को उस ने सच कर दिखया। उसकी कार से UAE की सैर ,महफ़िलें,दावतें खूब लुत्फ़ उठाया । दुबई में वह मिक़नातीस की मिसाल है के रिश्तेदार दोस्त व अहबाब उस के खलूस से फ़ैज़याब होते रहतें हैं।
    
    
     अल्लाह से दुआगो हूँ ,नाज़िम का  हर ख्वाब पूरा हो आमीन।
ख़ानदान  ,रिश्तेदारी के बच्चों के लिए उसकी ज़िन्दगी एक मश अले राह साबित हो। 

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