मंगलवार, 20 सितंबर 2022

ye phool mujhe koyi wirasat me mile hain

 ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं 

तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं मिलता 

इक़रा खानदेश फाउंडेशन के मारेफ़त जिन रिश्तेदरारों के स्टूडेंट्स को स्कालरशिप दी जा  रही हैं हक़दार तो है ही कुछ बच्चों की काविशें ,मेहनतें देख कर हमारे struggles के दिनों की यादें ताज़ा हो जाती हैं। ३ किलोमीटर दूर पैदल बगैर चप्पल जूतों के स्कूल जाना। कभी नाश्ता नहीं मिलता था ,और कभी खाना नहीं  मिलता था। फी गवर्नमेंट की EBC स्कीम से मिलती थी। डॉ वासिफ ,मखदूम ,सलाहुद्दीन मलिक ,ताजुद्दीन ,ज़ाकिर अहमदाबाद वाले  ,  मरहूम सादिक़ इंजीनियर ,  हाफिज जावेद ,(इन  साहेबान से मेरी क़ुरबत रही है इन के हालत जनता हु )हमारी जनरेशन ने जिस मुसीबत से तालीम हासिल की। नौकरी के लिए दर बी  दर ठोकरे खायी और आज इस मुक़ाम तक पहुंचे ,जी चाहता हर किसी के हालत ज़िन्दगी लिखूं बहुत लोगों  को मुतर्रीफ़ (introduction )दे चूका हु और इंशाल्लाह वक़्त मिलने पर सब के बारे में अपना ब्लॉग ज़रूर लिखूंगा। 

जान कर ख़ुशी हुयी  के कुछ बच्चे हम से भी ज़ियादा जदो  जहद रहे हैं 

इक़रा खानदेश फाउंडेशन की जानिब से जिन बच्चों को स्कालरशिप दी गयी उन में से कुछ सख़्त हालात का मुक़ाबला करके अपनी तालीम मुक़्क़मिल कर रहे हैं और  साथ साथ फॅमिली को भी  support कर रहे हैं bravo 

कुछ मिसालें 

इंजीनियरिंग करने वाले कुछ बच्चे शाम को कॉलेज के बाद पार्ट टाइम जॉब करके अपने कॉलेज का खर्च (ट्रवेलिंग्+नोटबुक+टेक्सटबुक्स ) खुद अपनी कमाई से  ख़रीदते हैं। और फॅमिली की भी मदद करते हैं 

ITI  करने वाले कुछ बच्चें सुबह रिक्शा चलाने के बाद कॉलेज अटेंड करते हैं। 

कुछ पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले बच्चें   पार्ट टाइम रिसेप्शनिस्ट का काम करते हैं कॉलेज के साथ साथ अपनी  फॅमिली को भी सपोर्ट कर रहे हैं 

बहुत से बच्चों का फी न भरने की  बिना पर रिजल्ट रोक लिया गया था IKF ने तुरंत स्कॉलरशिप मंज़ूर की रिजल्ट मिलाने के पश्चात् बच्चों ने अगले कोर्स में एडमिशन लिया। वरना साल बर्बाद होजाता शायद कुछ बच्चे तो  तालीम ही छोड़  बैठते। 

एक स्टूडेंट पैसों की कमी की बिना पर अपना ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट यूनिवर्सिटी से ले नहीं प् रहा था IKF ने  मदद की उसका सर्टिफिकट दिलवाया। 

खुलूस हो तो निकलती हैं ग़ैब से राहें 

मरहूम मिस्बाह अंजुम ने रहनुमाई की। इक़रा खानदेश फाउंडेशन की बुनियाद रखी गयी।  काम को एक साल से कम वक़्फ़े में रिश्तेदारों में पज़ीराई मिली। हमारी लब्बैक पर ११० लाइफ मेंबर्स ५०० रुपये दे कर IKF से जुड़े। मखदूम अली रिटायर्ड एकाउंट्स अफसर ,अल्हाज हिसामुद्दीन बैंक से रिटायर्ड केशियर ने IKF अकाउंटेंट के फ़रायज़ बिना salary के अंजाम देने का बेडा उठाया। न कोई IKF का  एम्प्लोयी  है ,न ऑफिस का  खर्च है न  लाइट पानी का बिल। चार लाख रूपये जमा हुए डायरेक्ट  ५० रिश्तेदारों के बच्चों के स्कूल /कॉलेज के अकाउंट में जमा होगये। हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा। रहबरी के लिए अल्हाज सलाहुद्दीन नूरी ,ज़ाहिद शैख़ { अबू धाबी },फैसल शैख़ (मैंचेस्टर ), रागिब अहमद शैख़  (नवी मुंबई ),हमीदुद्दीन (नासिक ) डॉ वासिफ अहमद (दुबई ) ,एडवोकेट रज़ीउद्दीन  बुज़र्ग और काबिल लोगों  की रहनुमाई ,कयादत  मिली। रिज़वान जहागिरदार ,कमर शैख़ जैसे नौजवान और जोश भरे लोगों का साथ। बच्चों की स्कॉलरशिप भी डोनेशन से अदा की जाती है ,ज़कात की रक़म बिलकुल इस्तेमाल में नहीं लायी जाती। 

आज वक़्त न फ़ुज़ूल बहस मुबाहसे का है का है , न दूसरों पर कीचड  उछलने का। दो साल के लॉक डाउन के दौर ने अच्छे अच्छों की हिम्मतें तोड़ दी है। हालात सख़्त हैं। इक़रा खानदेश फाउंडेशन के अकाउंट में सिर्फ ४० हज़ार रूपये बैलेंस है।  १० से ज़ियादा एप्लीकेशन आये हैं और IKF किसी को मायूस नहीं करना चाहता है। आप सभी IKF मेंबर्स से मौदेबाना गुज़ारिश है के IKF की मदद के लिए आगे बढे। रिश्तेदारों के बच्चों के मुस्तक़बिल के लिए दिल खोल कर IKF केअकाउंट में डोनेशन जमा कराये । 






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