हिना की दावते वलीमा में पड़ी गयी तहरीर
अस्सलामलैकुम हाज़रीन
आप लोगों ने मेरी दावत में नेरुल, हिना मुज़फ्फर के निकाह में शरीक होकर इसे कामियाब बनाया आप सब अहले राजोरी का बहुत बहुत शुक्रिया।
आज तारीख २९ दिसंबर २०१४ को आप लोगों ने हम सब को मुज़फ्फर और हिना के दावते वलीमा में राजुरी बुला कर जो इज़्ज़त बख्शी ,जो एहतेमाम किया तबियत बाग़ बाग़ होगयी। खेतों के बीचों बीच ये खूबसूरत हॉल ये सजावट ,ठंडी ठंडी चलती सुबक रव हवा ,बेहतरीन खाने पीने का इंतेज़ाम। आप लोगों के करीने ,सलीके का कायल हो गया हूँ। उर्दू शायरी के बारे में कहा जाता है के सौ जुमलों पर उर्दू का एक शेर भारी होता है। आप लोगों की तहज़ीब ,करीने ,खुश सलीके ,खुश अख़लाक़ी को देख कर एक शेर नज़र है।
उन से ज़रूर मिलना सलीके के लोग है
सर भी कलम करेंगे बड़े एहतेमाम से
मेरी लखत जिगर नूरे नज़र हिना को हम ने पूरी कोशिश करके बेहतरीन तालीम एम बी ए करवाया। घरेलू जिम्मेदारियों में हमारी अहलिया शगुफ्ता की कोशिशों से वो माहिर हो गयी है। ख़ुशी इस बात की है के इतनी पड़ी लिखी होने के बावजूद वो खाना पकाने में मशक्क है।
हिना बचपन ही से बड़ी खुश मिज़ाज है। उस के मज़ाक भी शायस्ता होते हैं। अख़लाक़ के दायरे से बाहर नहीं होती। अल्लाह का खौफ और उसकी ज़ात में यक़ीन उस में कूट कूट कस्र भरा है।
मुज़फ्फर की सादगी और सचाई ने मुज़हे बे हद मुतास्सिर किया। मुज़्ज़फर ने जो बायो डेटा शादी के लिए बनाया था उस में उस ने सारे ख़ानदान के बुज़र्गों की मालूमात दे डाली थी। इस चीज़ ने मुझ पर बड़ा असर डाला। मुज़फ्फर उस ख़ानदान का चश्म चराग़ है जिस ने अपने ख़ानदान के एक बच्चे की क़ुरबानी दे कर शिवजी महाराज को बचपन में मुग़लों की फौजों से बचाया था। पाटिल पदवी इस ख़ानदान को इसी क़ुरबानी की बदौलत मिली थी वक़्त गुज़रने के साथ वह पटेल हो गए हैं । दर असल वोः लोग हमारी तरह शेख हैं।
मुज़फ्फर के चाचा जनाब अब्दुल मजीद ने अपने किरदार को बड़ी खूबसूरती से निभाया। इस रिश्ते और शेख पटेल ख़ानदान को मिलाने में उनोह ने पुल का काम किया और माशा अल्लाह वह कामयाब भी हुए। उन का शुक्र गुज़ार हूँ। हमारे बड़े दामाद इलयास सिद्दीक़ी और हमारी प्यारी बेटी सना ने भी इस रिश्ते को जोड़ने में अपनी पूरी कोशीश की उनका भी ममनून हूँ।
यक़ीन मोहकम अमल पैहम मोहबत फातेह आलम
जहादे ज़िंदगानी में हैं यह मर्दो की शम्शीरें
डॉ इक़बाल ने इस शेर में ज़िन्दगी को जंग से ताबीर किया है और इस जंग को जीतने के लिए तीन नुस्खें बताएं हैं। अल्लाह की ज़ात पर यक़ीन ,लगातार जद्दोजहद ,और मोहब्बत। मुज़फ्फर मियां मोहबत की तलवार से आप ने हमारा और हिना का दिल जीता है। आप ने ज़िन्दगी में ये मक़ाम मसलसल जद्दोजहद से हासिल किया है। आप को नसीहत करता हूँ की नमाज़ रोज़े का पाबंद होजाये इंशाल्लाह ज़िन्दगी में और बरकत आ जाएगी।
अल्लाह से दुआ गो हूँ के नया रिश्ता बरकत का सबब बने। दोनों खानदानों में मोहब्बत बढे। अल्लाह नज़र बाद से बचाये ,अपनी रहमतों का नज़्ज़ोल हम सब पर होता रहे। आमीन सुम्मा आमीन।
अस्सलामलैकुम हाज़रीन
आप लोगों ने मेरी दावत में नेरुल, हिना मुज़फ्फर के निकाह में शरीक होकर इसे कामियाब बनाया आप सब अहले राजोरी का बहुत बहुत शुक्रिया।
आज तारीख २९ दिसंबर २०१४ को आप लोगों ने हम सब को मुज़फ्फर और हिना के दावते वलीमा में राजुरी बुला कर जो इज़्ज़त बख्शी ,जो एहतेमाम किया तबियत बाग़ बाग़ होगयी। खेतों के बीचों बीच ये खूबसूरत हॉल ये सजावट ,ठंडी ठंडी चलती सुबक रव हवा ,बेहतरीन खाने पीने का इंतेज़ाम। आप लोगों के करीने ,सलीके का कायल हो गया हूँ। उर्दू शायरी के बारे में कहा जाता है के सौ जुमलों पर उर्दू का एक शेर भारी होता है। आप लोगों की तहज़ीब ,करीने ,खुश सलीके ,खुश अख़लाक़ी को देख कर एक शेर नज़र है।
उन से ज़रूर मिलना सलीके के लोग है
सर भी कलम करेंगे बड़े एहतेमाम से
मेरी लखत जिगर नूरे नज़र हिना को हम ने पूरी कोशिश करके बेहतरीन तालीम एम बी ए करवाया। घरेलू जिम्मेदारियों में हमारी अहलिया शगुफ्ता की कोशिशों से वो माहिर हो गयी है। ख़ुशी इस बात की है के इतनी पड़ी लिखी होने के बावजूद वो खाना पकाने में मशक्क है।
हिना बचपन ही से बड़ी खुश मिज़ाज है। उस के मज़ाक भी शायस्ता होते हैं। अख़लाक़ के दायरे से बाहर नहीं होती। अल्लाह का खौफ और उसकी ज़ात में यक़ीन उस में कूट कूट कस्र भरा है।
मुज़फ्फर की सादगी और सचाई ने मुज़हे बे हद मुतास्सिर किया। मुज़्ज़फर ने जो बायो डेटा शादी के लिए बनाया था उस में उस ने सारे ख़ानदान के बुज़र्गों की मालूमात दे डाली थी। इस चीज़ ने मुझ पर बड़ा असर डाला। मुज़फ्फर उस ख़ानदान का चश्म चराग़ है जिस ने अपने ख़ानदान के एक बच्चे की क़ुरबानी दे कर शिवजी महाराज को बचपन में मुग़लों की फौजों से बचाया था। पाटिल पदवी इस ख़ानदान को इसी क़ुरबानी की बदौलत मिली थी वक़्त गुज़रने के साथ वह पटेल हो गए हैं । दर असल वोः लोग हमारी तरह शेख हैं।
मुज़फ्फर के चाचा जनाब अब्दुल मजीद ने अपने किरदार को बड़ी खूबसूरती से निभाया। इस रिश्ते और शेख पटेल ख़ानदान को मिलाने में उनोह ने पुल का काम किया और माशा अल्लाह वह कामयाब भी हुए। उन का शुक्र गुज़ार हूँ। हमारे बड़े दामाद इलयास सिद्दीक़ी और हमारी प्यारी बेटी सना ने भी इस रिश्ते को जोड़ने में अपनी पूरी कोशीश की उनका भी ममनून हूँ।
यक़ीन मोहकम अमल पैहम मोहबत फातेह आलम
जहादे ज़िंदगानी में हैं यह मर्दो की शम्शीरें
डॉ इक़बाल ने इस शेर में ज़िन्दगी को जंग से ताबीर किया है और इस जंग को जीतने के लिए तीन नुस्खें बताएं हैं। अल्लाह की ज़ात पर यक़ीन ,लगातार जद्दोजहद ,और मोहब्बत। मुज़फ्फर मियां मोहबत की तलवार से आप ने हमारा और हिना का दिल जीता है। आप ने ज़िन्दगी में ये मक़ाम मसलसल जद्दोजहद से हासिल किया है। आप को नसीहत करता हूँ की नमाज़ रोज़े का पाबंद होजाये इंशाल्लाह ज़िन्दगी में और बरकत आ जाएगी।
अल्लाह से दुआ गो हूँ के नया रिश्ता बरकत का सबब बने। दोनों खानदानों में मोहब्बत बढे। अल्लाह नज़र बाद से बचाये ,अपनी रहमतों का नज़्ज़ोल हम सब पर होता रहे। आमीन सुम्मा आमीन।
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