Lubna ,Naved,Sameera,Sana,Nayela |
Mere Jahez ke sang |
Sameera Do deviyon ke sath |
Badlapur ki Yaden |
Bevde ko to photographer ne hat diya hota (Haji malang Dargah) Naved,Fahim,Nazim,Nayela,Lubna,Sameera |
Bachpan ki Yaden |
Apne bachpan ki writing pehchan sakti ho Sameers |
Mahve Hairat hoon ke duniya kya se kya hojayenngi |
समीरा का मतलब होता है कहानी सुनाने वालि। तीन साल की थी जब वोह छुट्टियों में हिंदुस्तान आयी थी। उस दौरान मेरी शादी भी थी। परी के लिबास में जहेज़ के सामान के साथ आज भी उस कि तसववीर हमारें पास महफूज़ है। ज़यादा वक़्त उसका कुवैत में गुज़रा। स्कूल कि पढ़ाई वहीँ से पूरी हुयी। लेकिन वहाँ से ईद कार्ड और खूबसूरत तस्वीरें हमेशा भेजती रहती,अपनी शगुफ्ता अंटी से बे हद उन्स था । बचपन में छुट्टियों के दौरान जब भी वोह हिंदुस्तान आती हमारी ईद होजाती। साथ साथ जुहू,हैंगिंग गार्डन ,गेट वैय ऑफ़ इंडिया ,म्यूजियम ,घूमतें।गेम्स खेले जाते। हम लोगों ने छोटा चेतन (3D ) और MR .India फ़िल्म साथ साथ देखि थी। मुझे आज भी वोह बात याद है बहुत छोटी थी खूबसूरत नया फ्रिल का फ्रॉक पहन कर उसे हैंगिंग गार्डन लेजाया गया था। स्लाइड पर उतरते हुए उस का फ्रॉक फट गया था। तब मम्मी ने उस कि खूब पिटाई कि थी। दूसरा वाक़या मई के महीने में वोह छुट्टी के दौरान रात भर दर्द से तड़पती रही। मुझे याद है वोह चिल्लाती थी "मम्मी हमारा पेट " हम सब को लगा शायद आम ज़यादा खाने से दर्द है। सुबह डाक्टर को बताने पर पता चला उसे अलसर का दर्द था। emergency में ऑपरेशन कारवन पड़ा था।
फिर कुवैत से लौटने के बाद FR Agnel में higher secondary में एडमिशन मिला। ज़हानत तो अपनी जगह थी। तेज़ी से तरक्की करने लगी। यहाँ भी छुट्टियों में घूमने निकल जाते दादाभाई कि छोटी फियट हुवा करती खचा खच भर जाती तो में और समीरा स्कूटर पर पीछे पीछे चलते। मुझे आज भी वोह बात याद है जब समीरा मेरी स्कूटर पर उलटे रुख किये बैठी थी और हम लोग माथेरान गए थे। रास्ते भर तमाम लोग हमें देख कर लुत्फ़ लेते रहे (दादाभाई के इंतेक़ाल से कुछ रोज़ पहले में ने यह वाक़या उन्हें सुनाया तो सुन कर मुस्करा पड़े थे )। बदला पूर कि नदी कि वोह ट्रिप भूलते नहीं भूलती। सब ने जम का नहाया था। वोह तस्वीरें आज भी उस वाक़ये कि याद ताज़ा कर देती है।
वक़्त तेज़ी से गुज़रता रहा उस ने अपने वालिद के नक़्श कदम पर engineering में दाखला लिया। मुझे एक वाक़िया याद आ रहा है जब वोह बहुत खौफ ज़दा हो गयी थी। कोलेज कि ट्रिप किसी झरने पर गयी थी तो वहाँ दो साथियों कि हादसे में मौत होगयी थी। उस वक़्त में ने उसे बहुत अपसेट देखा।
इंजीनियरिंग के बाद उस ने कुछ वक़्त BSE में जॉब किया उस से में ,वहाँ मिला भी था। उस कि शादी में मैं शामिल न हो पाया था चूंके सूडान का नया नया जॉब था और शेडूल adjust करना मुश्किल था। लेकिन शादी से पहले उस ने मेरे घर पहला कंप्यूटर ज़रूर लगवा दिया था।
बचपन से संजीदा मतीन थी। उम्र के साथ साथ उस कि संजीदगी में इज़ाफ़ा होता गया। शायद ही उस ने किसी के साथ बाद तमीजी या तल्ख़ कलामी कि हो। अमेरिका में उस ने अपनी ज़हानत के झंडे गाड़ दिए। दादाभाई (अपने वालिद ) के ख्वाब में उस ने रंग भर दिया। हिबा कि पैदाईश के बाद बड़ी महन्तों से MS किया।समीरा की स्ट्रगल पर ये शेर सादिक़ आता है।
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा
अपने वालिद की मौत से ८ महीने पहले एक महीना साथ रह कर जिस खलुस से उस ने उन की खिदमत की में समझता हूँ उस ने बेटी होने का हक़ बहुत हद तक अदा कर दिया और एक बड़े अजर की मुस्तहक़ हो गयी।
आज जब वोह अपने दो बच्चों और शोहर के साथ, american शहरियत मिलने के बाद भी वोही सादगी और शराफत के साथ ज़िन्दगी गुज़ार रही है शायद इसी को down to earth कहा जाता हो।
अल्लाह से फिर एक बार दुआ गो हूँ उसे सहत के साथ लम्बी उम्र मिले ,ज़िन्दगी कि तमाम खुशियां नसीब हो और औलाद का सुख देखने को मिले। और वोह तमाम उम्र खुशहाल रहे, आमीन सुमा आमीन।
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