शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2013

Hare bhi to bazi jeet gaye

                                                         हारे  भी तो बाज़ी जीत गए 

 ना ही मे चेहरा शानास हूँ, ना माहिरे नफ्सियात, क्लिंट मार्टिन की शख्सियत थी ही इतनी पेचीदा उसके किरदार की गिरह खोलते खोलते सात साल का तवील अर्सा बीत गया हम दोनों  ने साथ साथ मुलके शाम (सीरिया ) में आयल फील्ड में तेल के कुवों पर काम शुरू किया, एक ही derparntment ,दोनों एक ही कमरे में रहते लेकिन इतने सालों बाद अब भी लगता हैं के में उसके बारे में कुछ भी नहीं जानता हर बार गिर्गिट की तरह रंग बदलता सांप की तरह केच्ली छोड़ जाता जब  हम कमरें में  अकेले होतें तो वोह  ,२० साल  पुराने वक़्त की पुरानी तस्वीरें ,अख़बार की cutting, पुराने अल्बम , जिस में वोह दुबला पतला छारेरें जिस्म का मालिक ,victory stand पर जीत का cup उठाए मुस्कुराता ,देखता रहता। 

           वोह एक Athelet था मुंबई यूनिवर्सिटी में कई इनामत भी उसने जीतें थे और अब वोह १५० किलो जिस्म का मालिक कैसे बन गया क्या वजेह थी इस तब्दीली की में उस से पूछता ,झंज्ला के जवाब देता "यार मेरी माँ एक बिच (कुतिया) हैं मारिया का husband उसे बहुत मरता है " में कुछ नहीं समझ पाता मारिया से इश्क़ में नाकामी के बाद उसने आशिके नामुराद देवदास की तरह शराब पी कर अपनी सेहत तबाह तो न की, लेकिन इस के बरक्स बे इन्तहा  खा खा कर अपनी  सेहत तबाह कर ली 

                दो महीने बाद ड्यूटी के बाद हम घर से  लौततें, वापसी में हर बार नए नए किस्से लिए लौटता, हमेशा की तरह कल्लाश दोस्तों पर सारी कमाई पार्टियों में बर्बाद कर देता, कई बार advertising फिल्मों में, telivision पर उसे मौका भी मिला, video भी मुझे दिखाई, फिर एक दिन मारिया से महुब्बत की कहानी सुनाई वोह पड़ोस में रहती थी उस से प्यार था, एक दिन में १५ दिन रिग पर ड्यूटी पर गया मेरी माँने उसकी शादी कही और करा दी मारिया से जुदाई का ज़िम्मेदार वोह उसे अपनी माँ को ठहरता , दुनिया की तमाम ओरतें उस की नज़रों में बिच कुतिया होगई उसने कैनाडा की citizenship ले ली हिन्दुस्तान में तलाक शुदा ४२ साला  औरत से शादी कर ली ,जो दहेज़ में दो जवान लड़कियों को साथ लायी और उसकी ज़िन्दगी में तीन बिचेस कुत्तियों का इजाफा हो गया, जब कोई उस से  पूछता , तुम कैनाडा,  में तुम्हारी वाइफ इंडिया में वोह गुस्सा हो कर हाती की तरह चिंघाड़ने लगता ऐसा था मेरा यार क्लिंट मार्टिन 

                क्लिंट जापानी सूमो की तरह मोटा ताज़ा, भरा भरा चेहरा, गोरा रंग ( चूँकि उस की माँ एंग्लो इंडियन थी ),घुन्ग्रालू बाल ,६ फिट का निकलता क़द बिस्तर पर सोता कम कुश्ती ज़ियादा खेल्ता ,कमरा उसके खरान्तों की आवाज़ से गूंजता रहता कमरे में हमेशा एक बेतरतीबी छायी रहती ,लिबास कुर्सी पर बदबूदार  जुराबें फर्श  पर, अंडरवियर टेबल लैंप पर. बाथ रूम  में किसी अस्दहे की मानिंद साँस लेता, खुद से बातें करते छोटे छोटे कदम डालते बतख़ की चाल चलता , खुराक भी १५० किलो के  भारी जिस्म के मुतनासिब ,खाने बैठता तो राक्षस की याद दिलाता ,मुझे लगता खाने के लिए जी रहा हों, लेकिन उसकी खूबी थी खुशदिली, उसे कभी मायूस नहीं देखा ,हस्ते खेलते रहता ,लोगों के दुःख सुख में शरीक होता , हम २०० हिन्दुस्तानियों में बेहद मकबूल था ,१२ घंटों की ड्यूटी, कभी आग बरसाती गर्मी, तो कभी बर्फ़बारी ,इस पर घर से दूरी , चारों  तरफ बियाँबान रेगिस्तान ,लेकिन क्लिंट के होते हर महफ़िल कहकह ज़ार   ,शाम में ड्यटी से लौटने पर लोग थकावट से अपने अपने  कमरों में बंद होजाते लेकिन ये नए नए तरीकों से लोगों को जमा करता ,चिल्ला चिल्ला कर लोगों को रूम से बाहर निकलवाता ,साल में चार बार धूम धाम से अपनी सालगिरह का जश्न मनाता ,लज़ीज़ खाने बनाने में माहिर क्लिंट तंदूर पर मूर्घ कबाब बनाता ,कभी बिरयानी ,कभी cricket तो कभी football के match ,खुद कभी umpire बनता तो कभी जोकरों की तरह निकर पहने फील्डिंग करता ,और कभी मजेदार अंदाज़ में कमेन्ट्री करता, की लोगों के पेट में हँसतें हँसतें बल पड  जातें। मैइनेजमेंट से लड़ झगड़ कर लोगों के प्रॉब्लम solve करवाता। 

                  क्लिंट से पहली मुलाक़ात भी बड़े दिलचस्प अंदाज़ में हुई थी। हिंदुस्तान से परे यह मेरी पहला जॉब था। मेरा पहला हवाई सफ़र। शाम(Syria ) में दमिश्क से ६०० किलो मीटर दूर इराक की सरहद जे करीब तेल (crude ) के कुवों पर काम क रने के लिए मुझे शेल कंपनी  ने  बुलाया था। में अपने ख्यालों में घरक मलूल सा बैठा था। फ्लाइट की पिछली सीट पर एक बार बारूआब  लहीम शहीम शख्स को देखा सूट में मलबूस धुवें के मर्घोलें छोड़े जा रहा है,हाथ में शराब का जाम । अंग्रेजी बोलने के अंदाज़ से सभी उस्ससे मरऊब दिखाई दिए। तमाम एयर होस्टेस ,stewards उसकी खिदमत में दौड़े दोड़े फिर रहे थे। फ्लाइट की इकनोमिक सीट में वोह फंसा फंसा झुंजला रहा था। किसी तरह उस ने अपनी सीट तब्दील करवाली, फर्स्ट क्लास में शिफ्ट हो गया । बहरीन एअरपोर्ट पर ट्रांजिट था और वही से दमिश्क़ की फ्लाइट पकडनी थी। एयर पोर्ट पर क्लिंट ने मुलाक़ात में पहल की। में ने अपना introduction करवाया चौंक पड़ा "भडवा अपुन भी दमिश्क़ जाने मांगता ,फ्लाइट में अपना नाटक कैसा था।  हिंदी अछी नहीं बोल पता। फिर हम अछे दोस्त बन गए। बहरीन से दमिश्क़  ३ घंटों का ,और दमिश्क से फील्ड तक ८ घंटों का सफ़र उसकी सुहबत में आनन फानन खतम होगया। 

                    फील्ड पर लोग घर से जुदाई का ग़म शराब में दुबू कर कम कर लिया करते। लेकिन यह आदत कई लोगों की जान ले कर रहती। लोग शराब के आदि होगये। भट की मौत इसी आदत का नतीजा थी। सभी लोग चोकन्ना  होगये ,पीना कम होगया शुगर  ब्लड प्रेशर पर control ,बरसात के मेंडको की तरह जिम में और स्विमिंग के लिए हिन्दुस्तानियों की भीड़ लग गयि। सुबह सुबह लोग जॉगिंग पर जाने लगे। इस दौरान में ने क्लिंट आँखों में खौफ के साये देंखें। वरना कहाँ क्लिंट और खुराक में कमी।

                        एक ब्रिटिश सुपर्वैसेर peter  क्लिंट की मौजूदगी में  हिन्दुस्तानियों पर तंज़ कर बैठा "you all dirty Indian peoples will die of drinking ", पीटर से ५०० dollar  शर्त लगा बैठा ,"में दो महीने फील्ड पर शराब को हाथ नहीं लागओंगा"। रूम में आकर में उस से कहा किस तरह शर्त पूरी करोंगे, तुम तो शराब की मछली हो  ? बोल पता नहीं। 

                          सभी Indians क्लिंट के लिए दुआएं करने लगे के वोह शर्त जीत जाये।  शर्त की तारिख में दो दिनों का टाइम बचा था। उस रोज़ Christ-mas का दिन था सुबह से क्लिंट पार्टी की तय्यारियों में मसरूफ था ,दोपहर लंच के बाद रूम में उस से मुलाक़ात हुई हमेशा की तरह मजाक करने लगा। बात करते करते उस के सीने में दर्द उठा एम्बुलेंस पहुंचते पहुंचतें उस ने खून की उलटी की और दम तोड़ दिया।

                          फील्ड पर मातम था। हिन्दुस्तान में तुम्हरी wife तुम्हारा इन्तिज़ार कर रही होंगी । कनाडा में लोग याद कररहे हैं। लेकिन मुझे यकीन है ऊपर वाले से भी तुम ने उस खुस दिली से कहा होंगा " God उपुन को मरने का ग़म नहीं ,लेकिन उस भडवे पीटर से शर्त जीत जाता तो तेरा क्या बिगड़ता"



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