मंगलवार, 26 सितंबर 2017

AGM at VRSCCL

जनाब राजेंद्र पवार Chairman VRSCCL ,Directors COL . अनवर उमर ,राज ठक्कर ,एम.आऱ सिद्दीकी ,मनोज शाह , फ़य्याज़ खान और मीटिंग में आये तमाम शेयर होल्डर्स का में स्वागत करता हूँ। 
   आप को पता है वाशी स्टेशन काम्प्लेक्स कुछ साल पहले तक Bed ridden patient के जैसे दम तोड्ने की स्थिति में आ गया था। में ने अपनी आँखों से देखा है , जगे जगे कचरे के ढेर पड़े होते। शराब की खाली बोतलें ,सिगरेट के टुकड़े ,यहाँ तक के used condoms जगे जगे फैले होते। दीवारें उखड रही थी। सिक्योरिटी का कोई नाम निशाँन नहीं था। टायलेट्स गंदे टूटे फूटे हो गए थे।  काम्प्लेक्स खंडर होता जा रहा था।४ साल पहले VRSCCL Maitenance कंपनी बनायीं गयी पवार साहब चेयरमैन बने और उनके साथ COL .उमर ,राज ठकर ,सिद्दीकी ,मनोज शाह डायरेक्टर्स बनाये गये। सब ने दिन रात मेहनत की। maitenance recovery पर ध्यान दिया गया। सिक्योरिटी बढ़ा दी गयी। security cameras लगाए गए। साफ़ सफाई पर ध्यान दिया गया। repairing पर काफी पैसा खर्च किया गया। illegal vendors निकाले गए। parking area साफ़ सुथरा किया गया। कई बार इन लोगों को जान से मारने की धमकी मिली। लेकिन ये आगे बढ़ते रहे।  hats off  टू  पवार ऍन्ड हिज टीम। keep it up . किसी शायर ने शायद इन्ही के लिए कहा है। 
में अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर 
लोग आते गए और कारवां बनता गया 
   खुशी इस बात की है फैय्याज खान का CIDCO की जानिब से director nominate किया जाना। इन की काबिलियत ,अहलियत और administration के बारे  में बहुत कुछ सुन रखां हैं। फ़ैयाज़ खान साहेब इंसान को दूसरे के ज़ख्म का अहसास इतना नहीं होता जितना अपने जिस्म पर ज़ख्म लगने से होता है। अब आप  VRSCCL से जुड़ गए हैं आप को खुश आमदीद Welcome करते हैं। मुझे यक़ीन हैं अब तक हम चूंटी या हाती की रफ्तरार से चल रहे थे आप के जुड़ने से VRSCCL में चार चाँद लग जायेंगे। एक शेर पवार और टीम  की जानिब से आप की खिदमत में पेश करता हूँ। 
मुझे सहल होगयीं मंज़िलें ,वो हवा के रुख भी बदल गये 
तेरा हाथ हाथ में आगया के चिराग़ रह में जल उठे 

मंगलवार, 19 सितंबर 2017

Atrangi doston ki yaad me

रात की झील में कंकर सा कोई फ़ेंक गया
दायरे दर्द के बनने लगे तन्हाई में
रोज़ की तरह आज भी सुबह ५ बजे उठ बैठा । करोना viros ने घर बिठा दिया है  ,मैं क्या पूरी दुनिया में लोगों ने अपने आप को दुनिया से जुदा कर लिया। ज़िंदा दिल दोस्तों की महफ़िल बहुत याद आयी। दिल मसूस कर रह गया।
किसी शायर की अपनी सोच है।
वह अच्छे के बुरे हम को बहुत प्यारे हैं
अब तो हम नए दोस्त बनाने से रहे
पुराने दोस्तों का क्या कहना। लेकिन अब तो कई पुराने दोस्त इस दुनिया से जा चुके हैं (कमल मल्होत्रा की याद ताज़ा होगयी )की यादें बाकी हैं। कुछ ऐसे ग़ायब हुए जैसे गधे के सर से सींग। न कोई अता पता छोड़ा न कोई सुराग़।
    इंसान का मिज़ाज भी मिकनातीस (मैगनेट ) के जैसा होता है। किसी ढेर में भी वह लोहे के टुकड़ों को ढूंढ लेगा।  इंसान भी जब दोस्ती करता है तो अपने हम खायाल ,हम मिज़ाज ,लोगों से ही करता है। सलाम नमस्ते तो हर दिन कई लोगों से कर लेते हैं ,लेकिन दिल से दिल बहुत काम मिल पाता है। उम्र के इस मुक़ाम पर में खुश किस्मत हूँ के रिटायरमेंट के बाद हम ख्याल ,हम मिज़ाज लोगों का एक अच्खा खासा crowd मिल गया है।  सोनवणे , मुज़्ज़फर , इश्तियाक़  ,सुनील कूडेकर ,सुनील होंनराव ,हमीद  ख़ानज़ादा ,फ़ारूक़  अल ज़मा ,औसाफ  उस्मानी ,मंसूर जेठाम ,इमरान ,प्रकाश राने  साहेब ,हरीश,अब्दुल , अतुल पांडेय ,माथुर साहब ,कर्नाड ,किशोर इत्यादि। हामिद ख़ानज़ादा ,माथुर साहेब छोड़ सब मुझ से उम्र में छोटे हैं। लेकिन जो खुलूस ,मोहब्बत ,उन्सियत ,अपनाइयत  इन सब से मिलती हैँ  सर फखर से ऊँचा होजाता है। हर कोई दूसरों की ख़ुशी से खुश होता है और अपने दोस्तों के ग़म सेः परेशानी से उदास । छोटी छोटी खुशीयां जैसे दोस्तों के बर्थ डे भी हम लोग इस जोश खरोश से celebrate  करतें हैं, यक़ीन नहीं आता। तहवरों की खुशियां भी हम लोग मिल बाट कर तक़सीम कर लेते हैं।
शायद ऐसे दोस्तों के लिए किसी शायर ने क्या खूब कहा है।
ज़िंदगी से बस यही गिला है मुझे
तू, बहुत देर से मिला है मुझे
किसी शायर ने क्या खूब कहा है
वक़्त रुकता नहीं कही थक कर
ये समय भी जल्द गुज़र जायेगा ,फिर वही महफिले होगी ,वही जश्न होगा।


सोमवार, 4 सितंबर 2017

Yaari hai imaan mera


वो भले हो के बुरे हम को बहुत प्यारे हैं
अब  तो हम नए दोस्त बनाने से रहे
अगर ऊपर वाला मुझे पुनर  जनम एक नयी  ज़िन्दगी देता है और वह मुझ से पूछे तुम अपने दोस्तों की लिस्ट अपनी मर्ज़ी से बनाओ तो पहले नंबर पर कौन रहेगा ? में कौन रहेगा ,में कहूंगा मंसूर जठाम ,दूसरे नंबर पर पर कौन में कहूंगा मंसूर झठाम ,तीसरे नंबर पर भी मैं उनिह का नाम लूंगा। मंसूर का मतलब(मीनिंग )होता है मदद किया गया। लेकिन हमारे मंसूर भाई दूसरों के ग़म को अपना ग़म समझते है और दूसरों की ख़ुशी में ऐसे शामिल होते हैं जैसे उनकी अपनी ख़ुशी हो।
    मेडिकल रीसर्च से साबित होगया है के जिन लोगों के अच्छे दोस्त होते हैं उन की उम्र में दस साल की बढ़ोतरी होजाती है। 
हम सब को मंसूर जैसा प्यारा दोस्त मिला है। हम सब की उम्र में यकीनन दस साल की बढ़ोतरी हगयी है। सालग्रह के इस मौके
 पर दिल से दुआ है उनेह सेहत ,तंदुरस्ती मिले और ज़िन्दगी में ऊँचा मक़ाम हासिल हो।