शनिवार, 20 मई 2017

दुआ बहार की मांगी तो इतने फूल खिले

फैज़ान - (meaning)तोहफ़ा ,पानी का ज़ोर
सदफ़ - (meaning) सीपी (she'll) ,हर बुलंद चीज़
आज फैज़ान का तोहफ़ा हमारे शैख़ खानदान को मिल रहा है। और सच्चे मोती से भरी सदफ़ आप के पटेल ख़ानदान को तोहफे में दी जा रही है। पॉकीज़ा रिश्ता बनने पर शैख़ पटेल ख़ान्दान को दिली मुबारकबाद। फैज़ान और सदफ़ को भी हम सब की जानिब से नेक ख़्वाहिशात ,लम्बी उम्र की दुवाएँ।
   हम चार भाईयों की ११ अवलादें हैं उन में दस लडकियां और एक लड़का। माशाअल्लाह १० post graduates हैं और ईशा ने १२ का exam दिया है ,इंशाअल्लाह उस से भी उम्मीदें वाबिस्ता है। ६ बच्चों ने Master Of Business  Administration किया है उन में से सदफ़ भी है। सदफ़ self made personality है। अपनी राह आप निकालने वाली। pillai college से उस ने post graduation किया admission अपने बल बुते पर मिलाया और service भी। २ साल पहले अपनी बहन रूही की शादी में अपने dady जावेद की ग़ैर हाज़री में  तमाम इन्तेज़ामात   जिस खुश उस्लूबी से उस ने अंजाम दिए दाद दिए बिना नहीं रह सकता।
  जावेद और में ने महाराष्ट्र college से graduattin किया वह मुझ से ४ साल junior था। कुछ साल syrian oil field (Alfurat Petrolium Company ) में हम ने साथ साथ गुज़ारे । लेकिन एक बात में वोह मुझ से सबक़त (बढ़ना ) ले गया। ३ लड़कियों की परवरिश यास्मीन और जावेद ने मिल कर जिस खूबसूरती से की इंशाल्लाह वे जन्नत के हक़दार हो गये हैं। मुस्लिम क़ौम का अल्मिया (Trajedy ) ये है के लड़किया तअलीम हासिल कर रही है लड़के इस दौड़ में पीछे हैं। अल्हम्दोलीलाह फैज़ान के वालिदैन मुबारकबाद के मुस्तहक़ है के उनोह ने परवरिश का हक़ अदा  कर दिया।  फैज़ान ने post graduation तो कर ली अब बहुत जल्द DR. फैज़ान कहलाने लगेगें ।  अल्लाह उनेह दिन दुगनी रात चौगनी तर्रकी अता करें ,उनके  ख्वाबों में हक़ीक़त का रंग भर दे।
  आप सब हाज़रीन को इस programme में शरीक होने पर शुक्रिया दिली मुबारकबाद।

बुधवार, 17 मई 2017

Uthaon hath ke daste dua buland karen

                                               
TED Talk platefarm से  शाह रुख खान ने दिलों में घर कर जाने वाली गुफ्तगू की। उनोह ने कहा "आप अपनी ताक़त का इस्तेमाल दीवारें खड़ी करने और लोगों को बाहर रखने के लिए कर सकते हैं या आप इस का इस्तेमाल रुकावटों को दूर करने और लोगों को well come (खुश आमदीद ) कहने के लिए भी कर सकते हैं। आप अपने अक़ीदे का इस्तेमाल लोगों को डराने और दहशत दिलाने के लिए कर सकते हैं , या फिर इस का इस्तेमाल लोगों को हौसला दिलाने और उनेह रोशन ख़याली के उरूज  (pinnacle )  तक ले जाने के लिए कर सकते हैं। 
नफरतों की दीवार खड़ी करना ,लोगों को आपस में लड़ाना आसान है। आप की वाह  वह होंगी सर पर बिठाया जायेगा।  शायद आप को अच्छा ओहदा मिल जाये ,दौलत मिल जाये लेकिन आप दिल के सुकून से महरूम होजायेंगे , रातों की नींदें उजड जाएँगी। लोगों के ग़म में शरीक हो कर देंखें ,किसी की दुखी आँख से आँसूं पोंछ कर देंखें रूह शाद (खुश) होजायेंगी
    महावीर, गौतम बौद्ध , राम ,नानक ,कबीर ,ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ,निज़ामुद्दीन औलिया इसी हिन्दुस्तांन की मिटटी में पैदा हुवे थे।उनका पैग़ाम था लोगों को जोड़ना ,ग़रीबों ,दुख्यारियों के आंसूं पोछना। उनके लंगर से क़ोई  भूका नहीं जा सकता था। क्यूं  सदियां गुज़रने बाद भी लोग उनेह भूल नहीं सके।
   आज का दौर Materialistic चीज़ों को हासिल करने लगा है। सब कुछ होने के बाद खालीपन का अहसास है। दुनिया की हर चीज़ हासिल सुकून नदारद। हम खुद इन चीज़ों के ज़िम्मेदार है। हज़ारों किसान थोड़े से क़र्ज़ के लिए आत्मा हत्या कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो justin Bieber के ठुमके देखने के लिए ६५००० रुपये बर्बाद करने को तैयार हैं। कहा जात्ता है उस ने तो खुद गाया भी नहीं सिर्फ lip synchronize किया।press / media  उन्हीँ बातों की highlight करती जहाँ से पैसा और publicity मिलती हैं।आज दुनिया एक मसीह की इंतज़ार में है। जो लोगों के रिस्तें ज़ख्मों पर मरहम रख सके। भले बुरे की तमीज बता सके। भटके हुवूं को रास्ता बता सके। वरना दहशत गर्दी ,क़त्ल खून से दुनिया तबाही के दहाने तक पहुँच जाएँगी।
 
    

गुरुवार, 4 मई 2017

कोई लौटादे मेरे बीते हुवे दिन

जब भी चाहा है उसे शिद्दत से चाहा है फ़राज़
सिलसिला टूटा नहीं है दर्द की ज़ंजीर का
कल प्रदीप खूबचंदानी  को ३० साल बाद सालगिरह की मुबारकबाद  पेश की। जवाब में उस ने कहा "thank you शेख जी "  आदमी का दिमाग़ (brain ) ९५% प्रतिशद liquid से बना है। कितनी यादों का खज़ाना छुपाये हुवे हैं। एक trigger की ज़रुरत होती है यादें हकीकत बन आँखों के सामने रक़्स करने लगती है। प्रदीप के एक जुमले ने मुझे १९८०/१९८७ के ज़माने में धकेल दिया। रात करवटें बदलते गुज़री।
 लोग हमराह लिए फिरते हैं यादों के हुजूम
ढूंढने पर भी कोई शख्स न तन्हा निकला
 ज़िन्दगी के १८ साल बंजारों की तरह सूडान ,सीरिया में गुज़ारे लेकिन वह अपनापन ,वह मोहब्बत , वह अपनाययात ,वह खुलूस सिर्फ और सिर्फ UNITED CARBON के साथियों से मिला नहीं भूल सकता। शाह ,पटेल ने मुझे share market की ऊंच नीच सिखाई। मल्होत्रा ने सिंगापुर की सैर कराई। सुधाकर पाटिल ने मुझ से उर्दू सीखी ,मराठी नाटक की समझ दी। अशोक जुरिआनी ने पापर दही से दावत की। प्रदीप खूबचंदानी ने जिंदिगी जीने का फ़न सिखाया। Joscelin Almeria के जैसा यार ढूंढने पर न मिला। दांगट ,अरुण ,पागड़ ,कुलकर्णी ,खंबायते ,होशमत,मोहन  हर एक के साथ कुछ न कुछ खट्टी मिठ्ठी यादें जुडी हैं।
दोस्तों की महेरबानी चाहिए
  हम सब Graduation करने के बाद practicle life की शुरवात कर रहे थे। सब कुवारें ,बेफिक्रे थे। factory में हम सब का खाना पीना CARBON BLACK था। हम सब boiler suit, helmet ,safety shoe पहन कर उड़ते हुवे कार्बन पाउडर के बीच सख्त ड्यूटी करते। mixture की ड्यूटी क़यामत से काम न थी।फिर भी खुश रहते कहकहे लगाते। ड्यूटी के बाद सब हमाम में १ घंटा मल मल कर life buoy से नहाते। लेकिन  आँखों से काजल छूट न पाता। लोग पूछते "आप औरतों की तरह काजल क्यूँ पहनते हो। "में क्या जवाब देता।साथियों में  कोई सिंधी था ,कोई पंजाबी ,कोई महाराष्ट्रियन ,कोई catholic और में मुस्लिम, लेकिन हम सब के सुख दुःख एक थे। मज़हब की दीवार अब हमारे बीच नहीं आयी। सुधाकर के घर गणपति ,मेरे घर ईद ,Almeria के घर Christmas,  लेकिन होली हम कंपनी में carbon  black से ही खेलते।एक एक करके हम घर बसाया ,जश्न भी मनाया।
   मुझे  उस ज़माने का एक इंसिडेंट याद आरहा है। अरुण के डैडी की डेथ पर अशोक ,प्रदीप ,अल्मेडा ,सुधाकर और में मिल  कर बांद्रा उसके घर शोक प्रस्तुत करने जा रहे थे। में उन दिनों बात बात पर कहकहे लगाया करता था ,अरुण के घर entry से पहले प्रदीप मेरे सामने हाथ जोड़ कर खड़ा होगया "शैख़ जी मौक़ा भी देखा करो  यार ,घर में दाखिल होने के बाद  प्लीज मत हसना  कचरा हो जाएगा "  ,में ने आते हुवे कहकहे पर ब्र्रेक लगा दिया।
 १९८६/१९८७ में कंपनी में स्ट्राइक ने हम सब को तोड़ कर रख दिया बिखेर दिया। वरना कौन इतनी अच्छी कंपनी और  प्यारे दोस्तों को छोड़ता।
कल वक़्त से
लम्हा गिरा कहीं
वहां दास्ताँ थी लम्हा कही नहीं
united carbon बिक गयी है। मशीने निकाल ली गयी है। थाना बेलापुर रोड से गुज़रता हूँ तो हसरत भरी निगाह से उस मुक़ाम पर नज़र दाल लेता हूँ ,जहाँ कंपनी हुवा करती थी  और अब चटियल मैदान है। आहें भर कर अशोक जुरिआनी को याद कर लेता हूँ जो हम सब को छोड़ क्षितिज के उस पार चला गया, कुछ खूबसूरत यादें ,कुछ तस्वीरें जिनेह देख कर उदासी के लम्हों में जिंदिगी जीने का हौसला मिलता रहेगा।
ख्वाब तो कांच से भी नाज़ुक है टूटने से इन्हे  बचाना है








सोमवार, 1 मई 2017

star is born

महात्मा गाँधी ,रतन टाटा ,अमिताभ बच्चन ,सचिन तेंदुलकर ,नरेंद्र मोदी ,oprah Winfrey ,Bill Gates ,Emmma Thompson इन सभी नाम चिन्ह महारथियों को एक common चीज़ ने आपस में जोड़ा है। किसी ने फिल्म में,  किसी ने आर्ट्स में अपनी शोहरत का झंडा गाड़ा है ,किसी ने business में ,किसी ने खेल में ,किसी ने पॉलिटिक्स में। इन सब मशहुर हस्तियों को जोड़ने वाली चीज़ है  सब का lefty होना। हमारी नवासी आलिया भी लेफ्टी ही है। शायद यही कारण है के वह बहुत छोटी उमर से पेंसिल ,paint और ब्रश का इस्तेमाल professional के जैसे करने लगी  है। हर painting के पीछे एक कहानी होती है और शायद ओरिजिनल painter ही उसे अच्छी तरह बता सकता है।

तस्वीर की कहानी आलिया की ज़बानी
५ साल की नन्ही उम्र में उस की ऊपर  download गयी  अपनी पेटिंग का background मुझे उसने कुछ इस तरह बयांन किया। " नानू जुम्मे का दिन है बेटा म्यूजिक का शौक़ीन है, और वह रेडियो पर गाने सुन रहा है। बाप ग़ुस्से से उसे कह रहा है , "आप को नमाज़ आती है , रेडियो बंद  करो ,जुम्मे की नमाज़ को जाओ।

ऊपर वाली तस्वीर  भी उसकी कारीगरी है जिस में उस ने समुन्दर के नीचे की  तेह की तस्वीर sand painting से की है ।
आने वाला दौर original thinkers का होंगा । artificial intelligence इंसानो को jobless करके छोड़ देगा। driver less car,offices  ,factories ,banks ,hotels में इंसानों की जगह robot काम करने लगेंगें। अगले दस सालों में  अनुमान हैं ,१० करोड़ हिंदुस्तानी jobless होजाएंगें। मुस्तकबिल की कड़वी सच्चाई का सामना करने के लिए हमारी कितनी तैयारी है।