मंगलवार, 27 सितंबर 2016

yaar zinda sohbat baqi

किसी फिलॉसफर का कहना है की "तुम मुझे अपने दोस्तों से मिला दो में तुम्हारे कैरेक्टर को जान लूँगा " में खुश नसीब हूँ के मुझे बेहतरीन दोस्त नसीब हुवे हैं।  और ऐसे दोस्तों की गिनती बढ़ती ही जा रही है।  अब तो कोई भी मेरे कैरेक्टर पर शक नहीं कर सकता सब जानते हैं में आप जैसे प्यारे दोस्तों से घिरा होता हूँ।
     फिल्म इंडस्ट्री में  गिरीश कर्नाड हुवा करते थे और में उनकी एक्टिंग का में दीवाना हुवा करता  था।  कुछ सालों से पारसिक हिल पर में सवेरे वाकिंग के लिए जाया करता था।  सब से हाई हेल्लो हुवा करती। प्रमोद कर्नाड साहब भी रेगुलरली आया  करते थे। उन की मीठी मीठी मुस्कान ने मुझे अपना दीवाना कर लिया। गोल गोल चहरें पर मुस्कराती आँखें ,दरमियानी काठी का कद ,और बात करते तो मुँ से फूल झड़ते महसूस होते। उन्ही से पता चला के वह गिरीश कर्नाड के करीबी रिश्तेदार है। फिर वह वॉकर्स एसोसिएशन नेरुल के प्रेसिडेंड बना दिए गये। मेरी उन से गहरी दोस्ती होगयी। वह हीरे की कदर करना जानतें हैं। महाराष्ट्र कॉ ऑपरेटिव बैंक स्टॉफ के सिलेक्शन  में ज़रूर उन का योगदान रहा होंगे। मुझे उनोह नें ही लिखने के लिए बहुत encourage किया।
     प्रमोद साहब की एक शख्सियत में कई कैरेक्टर छुपे हैं।  और वो हर कैरेक्टर में हकीकत का रंग भर देते हैं। में उन्हें बहरूपिया नहीं कह सकता। प्याज़ के छिल्कों की तरह एक परत उतारिये वह शायर (कवि ) की भूमिका धार लेते हैं।  दूसरी परत उतारिये बेहतरीन ड्रामा लिखने वाले ,तीसरी परत उतारिये वह उम्दा गायक या पंडित का रूप धार लेते हैं। चौथी परत उतारिये कामयाब  महारष्ट्र कॉ  बैंक के MD, जो बैंक की डूबति नैया को अपनीं कोशिशों से किनारे पहुँचाने की कोशिशों में लगे रहतें हैं और बैंक को ४५० करोड रूपये का प्रॉफिट दिखा कर दो बार इंडिया के बेस्ट MD होने का मैडल भी जीत है । बेहतरीन anchor ,अपनी बीवी से प्यार करने वाले  पति ,बच्चों ,पोते  पर प्यार निछावर करने वाले । में तो उनकी शख्सियत की परतें खोलतें खोलतें हैराँ हूँ। कभी आखिर परत तक पहुँच पौऊंग या नहीं। लेकिन में जानता हूँ की उन के अंदर एक मासूम सा छोटा  बच्चा भी छुपा बैठा है जो सब को खुश रख कर ,किसी को उदास नहीं देख सकता। यही  उनकीं अदा ,मुझे बहुत पसंद है।
  Legends Are Born in SEPTEMBER
लाता मंगेशकर,देव आनंद ,मनमोन सिंग ,भगत सिंह  जैसी  महान personalities ने इसी महीने में जनम लिया था। मंसूर जथाम ने भी इसी महीने में जनम लिया था। वह रोज़ सुबह walk पर आतें हैं सब से  मिलते हैं और अपनी मुस्कराहटें बाँट कर वंडर पार्क को गुलो गुलज़ार कर देते है। और हर दिन whatsup पर ख़ूबसूरत messages भेज कर दिल खुश कर देते हैं। कुछ दिन पहले wonder park में पहली बार उन का जनम दिन बड़ी धूम धाम से मनाया गया था। Mrs. कमल मल्होत्रा का जनम दिन भी इसी महीने में था उन्हें भी जनम दिन मुबारक ढेरों नेक ख़्वाहिशात।
प्रमोद कर्नाड साहब का आज जनम दिन है , उम्र के किस साल में वह enter हो रहे हैं मैं कह नहीं सकता  वह हमेशा जवान दिखयी देतें हैं। सालगिरह मुबारक़।
      तुम जियों हज़ारों बरस
  सर इसी तरह हमेशा हँसतें मुस्कुरातें रहें। ग़म बांटने से कम होतें हैं और खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। ख़ुशी लुटातें रहें। 

सोमवार, 19 सितंबर 2016

VRSCCL kal aur Aaj

२० साल पहले जब में ने अपनी ऑफिस इ-२०९ वाशी स्टेशन का possession लिया था लोग मुझे दीवाना कहते थे। वाशी स्टेशन की ईमारत खंडर सी नज़र आती थी। ईमारत पर वीरानी छायी रहती। काम्प्लेक्स का मेंटेनन्स  सिड़को के पास था।  भूल से सफाई होजाती थी। जगह जगह सिगरेट  के  टुकड़े ,शराब की खाली बोतलें ,कंडोम के पैकेट ,पान की पीक नज़र आती। सिक्योरिटी ग़ायब।  टॉयलेट गन्दी ,यहाँ तक वहां से शीशे और नल तक चुरा लिए जाते थे। किरायेदर का मिलना नामुमकिन। उन दिनों में अपनी ओफ़ीस किराये पर देना चाहता था मुश्किल से एक आदमी २००० हज़ार रुपए महीना देने पर राज़ी हुवा। बिल्ली जब छछुंदर निगल लेती है न निगल सकती है न उगल सकती है। कई साल ऑफिस खाली रखी,  मैंटेनैंस पावर बिल जेब से अदा करता रहा।
   पिछले तीन सालों में वाशी स्टेशन काम्प्लेक्स की काया पलट गयी है। VRSCCL की कमांड मेरे प्रिय मित्र राजेंद्र पवार ,कर्नल अनवर उमर सर  ,मनोज शाह,राज ठाकुर , ऍम आर सिद्दीकी अपने हाथों में ले ली है। पुरानी हिंदी फ़िल्में देखि थी किस तरह अलाउद्दीन का जादुई जिन चिराग़ घसते ही हुक्म की तामील करता था।  वो ज़माने बीत गए चर हमारे VRSCCL के  chairmam / Directors  ने दिन रात महनत की ,रातोँ की नींद हराम की ,लोगों की गालियां खायी। anauthorised occupation हटाना नामुमकिन है उनोह ने कर दिखाया। maitenance dues निकलना हलक़ में ऊँगली डालने जैसा है ,आप मुबारकबाद के क़ाबिल है आप ने कर दिखाया।
में अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
लोग आते गए और कारवाँ बनता गया
    Aaj vashi station complex की ईमारत पर लहलहाते गार्डन है।,चमकती फर्श ,टॉप सिक्योरिटी ,video cameres , wi fi facility ,और future के लिए solar power ,rain water harwesting ,fountains की दूरसरती। हम सब की तरफ से best wishes . शहंशाह अकबर फ़तह पुर सिकरी को छोड़ कर चला गया था। chairman /Directors मुबारकबाद के काबिल है आप लोगों ने वाशी स्टेशन काम्प्लेक्स में नयी जान दाल दी। VRSCCL के ख़ज़ाने भर दिए। आप  की टीम आगे बढे हम सब आप के साथ हैं। 

गुरुवार, 15 सितंबर 2016

Khak men kya suraten hogi ki pinha hogayi (Dulhan Mumani shakila )

शोर बरपा है ख़ानए दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी
28 ऑगस्ट  २०१६ ,२४ ज़िलक़द  १४३७  इतवार के दिन दुल्हन मुमानी इस दारे फानी से कूच कर गयी।
मनो मिटटी के निचे दब  गया वह
हमारे दिल से लेकिन कब गया वह
    छोटा कद ,दूध की तरह  सफ़ेद रंग ,गोल चेहरा ,चेहरे पर सब से ज़ियादा नुमाया उनकी खूबसूरत आँखें थीं ,छुइ मुई सी ,रहन सहन में उनके एक रख रखाव था ,उनकी एक नयी खूबी मोहतरमा भाभी नीलोफर से सुनी ,क़ुरान बड़ी तेज़ी से ख़त्म कर लिया करती थी।  सुना था दूल्हे मॉमू ने बहुत काम उम्र में उनसे निकाह किया था। पचास साल से ज़ियादा ,दोनों ने साथ बिताया ,दूल्हे मॉमू के दिल  का दर्द में महसूस कर सकता हूँ।
जाने वाले कभी नहीं आते
जाने वालों की याद आती है
    आँखों से ५४ साल पुरानी मोटी सी धुंध की चादर हट रही है। अपने आप को परियों के महल में बैठा महसूस कर रहा हूँ। करीब से गुज़रती ट्रैन की सीटी को सुन सकता हूँ। सफ़ीद बुर्राक़ लिबास में बैठी नानी अम्मा पान कुटती नज़र आ रही है।दूल्हे मामूं दूकान में गिराहकों से निपट रहे हैं। दजिया ,रेवा ,जमादार जिन्नों की तरह हुक्म की तामील में लगे हैं। मुमानी अम्मा ,दुल्हन मुमानी ,गोरी मुमानी किचेन में खाना बनानेँ में मसरूफ हैं। में ९ साल का छोटा राग़िब दौड़ते हुवे किचन कि झुकीं छत से टकरा कर चिल्लाने लगता हूँ।  तीनों मुमनियां बेकल हो उठती है। कोई मरहम लेने दौड़ पङती है ,कोई सर को मालिश कर मुझे आराम देने कोशिश कर रही  है। में नींद से जाग पड़ता हूँ।
कभी किसी ने कहीं रंग व बू को पकड़ा है
शफ़क़ को क़ैद में रख्खा हवा को बंद किया
     सगीर जनाब और मेरी परवरिश में दुल्हन मुमानी का बड़ा मक़ाम रहा है। माशाअल्लाह अज़हर/अतहर /रईस /सबीना/
रुबीना/राफेआ ,बहुवें ,नवासे , नवासियां ,पोते,पोतियां खानदान की गिनती ४० तक ,लेकिन दूल्हे  मॉमू,दुल्हन मुमानी ने
वोह तालीम दी है के ,मैं ने सख्त मुश्किल दौर में भी उन लोगों को ईमानदारी ,दयानत मे उसूलों से समझौता करते नहीं देखा। अल्हम्दोलिलाह अल्लाह ने फिर उनेह नवाज़ा है। दुल्हन मुमानी ने आखरी वक़्त में औलाद को खुश हाली में देख
कर अपनी आँखें ठंडी कर ली. उनकी तमाम औलाद और बहुओं ,पोतों ,पोतियों , नवासे , नवासियों ने किस हद बेलौस खिदमत
कर उनका कुछ क़र्ज़ अदा कर दिया। अल्लाह सब को जज़ाए खैर दें। दुल्हन मुमानी को कर्वट कर्वट जन्नत नसीब करें। आमीन सुम्मा आमीन !