बाबर्कत शाबान अल मौजम की ६ तारिख ,रमज़ान अल मुकर्रम के बाद अल्लाह के रसूल का पसंदीदा महीना। काशीफ और शिफ़ा अल्लाह की सिफात हैं। काशिफ परेशानियों को दूर करने वाला ,रहमत के दरवाजें खोलने वाला। शिफ़ा बिमारियों और दुःख आलाम से नजात देने वाला अल्लाह ही तो है। आज सलाबत पूर यानि मज़बूत मुक़ाम पर दोनों एक पाक रिश्तें में बंधने जा रहें हैं। अल्लाह इस रिश्ते को कामयाब कामरान करे। इसकी रहमतें इस नए शादी शुदा जोड़े पर ता अबद कायम रहे आमीन सुम्मा आमीन।
काशिफ उस सय्यद खानदान से ताल्लुक़ रखता है जिस का सिलसिला शाह वजिहोद्दीन अहमदाबादी से जुड़ता है ,बड़ी अज़ीम व बाबर्कत शख्सियत थी। उन की दुआओं का फैज़ था के खानदान में अफ़ज़लोद्दीन सय्यद ,ग़ुलाम मोहियौद्दीन सय्यद और सईद अहमद सय्यद जैसी शख्सियतों ने जनम लिया। अफ़ज़लोद्दीन सय्यद जिनेह लोग लाला मियां के नाम से जानतें थे बड़ी बारसुख शख्सियत थी। रियासत गुजरात में उन का दबदबा था। भड़भूँजा उन का वतन था। में ने खुद अपनी आँखों से देखा है के जब उनेह सफर करना होता भड़भूँजा स्टेशन मास्टर से कह रखते उन के पहुचने तक ट्रैन भड़भूँजा स्टेशन पर रुकी रहती ,गार्ड ,टी सी उनेह फर्स्ट क्लास में बैठाते तब ट्रैन रवाना होती। आदिवासियों में उन का बड़ा अहतराम था ,गाँव के सरपंच थे ,गाँव में निकलना होता लोग बड़ी इज़्ज़त से उन से मिलते ,उन के पैरों पर गिरतें ,वह भी उन के दुःख सुख में बराबर शरीक होतें। खुदा झूट न बुलवाएं झाड फूँक कर लोगों का इलाज करते देखा हूँ। बिछउँ के काटने पर कईं बार दम किया पानी दिया लोगों को आराम होगया। अल्लाह उन की मग़फ़िरत करें।
ख़्वाब था जो कुछ के आँखों ने देखा था ,अफ़साना था जो कुछ के सुना था
ग़ुलाम मोहियौद्दीन सय्यद अल्हम्दोलीलाः हयात हैं। बड़ी ही संजीदा तबियत पाई है शाइर ने शायद उन के लिए कहा है
ढूंढ उजड़ें हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खज़ानें तुझे शायद के खरबों में मिलें
सईद अहमद उर्फ़ बना भाई ,हमारे गोर मामूँ ,काशिफ के वालिद मोहतरम B.A ,LLB थे। उस ज़माने में प्लेन से सफर करते थे ,जो के उस ज़माने में एक ख्वाब हुवा करता था। मैं ने उनेह दोधारी बन्दूक से शिकार करते देखा हूँ ,होल्स्टर में कारतूस भरी राइफल अपनी हिफाज़त के लिए चलते देखा हूँ। चालीस साल पहले उन के पास जापान की हौंडा मोटर साइकिल हुवा करती थी। जो भी किया बड़ी शान से किया ,चाहे बिस्निस्स हो ,दोस्ती हो ,मोहब्बत या दुश्मनी हो। आखरी उम्र तक ज़िन्दगी से जंग नहीं हारी। जदोजहद का सिलसिला कभी नहीं रुका। हाल ही में ख्वाजा के शहर में उनोह्न ने आखरी सांस ली। उन की ज़िन्दगी की दास्ताँ इस शेर से बयां की जा सकती है।
चला जाता हूँ हँसता खेलता मौजे हवादिस से
अगर हो ज़िन्दगी आसान जीना दुश्वार होजाएं
काशिफ को देखा हूँ अब्बा के साथ दूकान संभालता था ,और साथ साथ MBA भी कर रहा था। अब उस की ज़िन्दगी में ठहराव आगया है ,तालीम पूरी होगयी है अछा जॉब भी मिल गया है। उस में गोरे मामूँ की तमाम खूबियां पाई जाती हैं। अल्लाह से उम्मीद है वह उस मक़ाम को पा लेंगा जहां गोरे मामूँ पहुंचें थे। आमीन
मुहसिन लफ़्ज़ी माने अहसान करने वाला उस की मेहनत जदों जहद को देख कर इंशाल्लाह मुस्तकबिल की पेहनगोई कर रहा हूँ ,वह future के CM के साथ गुजरात का दौरा करेंगा।
आज में , और हमेशा से इस बात का एतराफ़ करता रहा हूँ क़े हमारे खानदान ,हमारे भाईयों पर हमारे मॉमू ,मुमनियां
,खाला ,नाना ,नानी और बहनों की खास नज़रे इनायत रही ,जिस की बिना पर हम अम्मा की कमी को महसूस न कर सके। इतनी तरक़्क़ी कर सके इस मुक़ाम तक पहुँच सके।
अल्लाह मरहूम अम्माँ ,गोरी मुमानी, मुमानी अम्मा ,नानि अम्मा ,नाना मियां ,गौरे मामूँ ,मामूँ मियां, खालूं जान,खालूं मियाँ ,अम्माँ बीबी को जन्नत नसीब करें। खाला जान ,दुलेह मामूँ ,दुल्हन मुमानी को सेहत और हयात अब्दी आता करे ,आमीन सुम्मा आमीन !!!!!
काशिफ उस सय्यद खानदान से ताल्लुक़ रखता है जिस का सिलसिला शाह वजिहोद्दीन अहमदाबादी से जुड़ता है ,बड़ी अज़ीम व बाबर्कत शख्सियत थी। उन की दुआओं का फैज़ था के खानदान में अफ़ज़लोद्दीन सय्यद ,ग़ुलाम मोहियौद्दीन सय्यद और सईद अहमद सय्यद जैसी शख्सियतों ने जनम लिया। अफ़ज़लोद्दीन सय्यद जिनेह लोग लाला मियां के नाम से जानतें थे बड़ी बारसुख शख्सियत थी। रियासत गुजरात में उन का दबदबा था। भड़भूँजा उन का वतन था। में ने खुद अपनी आँखों से देखा है के जब उनेह सफर करना होता भड़भूँजा स्टेशन मास्टर से कह रखते उन के पहुचने तक ट्रैन भड़भूँजा स्टेशन पर रुकी रहती ,गार्ड ,टी सी उनेह फर्स्ट क्लास में बैठाते तब ट्रैन रवाना होती। आदिवासियों में उन का बड़ा अहतराम था ,गाँव के सरपंच थे ,गाँव में निकलना होता लोग बड़ी इज़्ज़त से उन से मिलते ,उन के पैरों पर गिरतें ,वह भी उन के दुःख सुख में बराबर शरीक होतें। खुदा झूट न बुलवाएं झाड फूँक कर लोगों का इलाज करते देखा हूँ। बिछउँ के काटने पर कईं बार दम किया पानी दिया लोगों को आराम होगया। अल्लाह उन की मग़फ़िरत करें।
ख़्वाब था जो कुछ के आँखों ने देखा था ,अफ़साना था जो कुछ के सुना था
ग़ुलाम मोहियौद्दीन सय्यद अल्हम्दोलीलाः हयात हैं। बड़ी ही संजीदा तबियत पाई है शाइर ने शायद उन के लिए कहा है
ढूंढ उजड़ें हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खज़ानें तुझे शायद के खरबों में मिलें
सईद अहमद उर्फ़ बना भाई ,हमारे गोर मामूँ ,काशिफ के वालिद मोहतरम B.A ,LLB थे। उस ज़माने में प्लेन से सफर करते थे ,जो के उस ज़माने में एक ख्वाब हुवा करता था। मैं ने उनेह दोधारी बन्दूक से शिकार करते देखा हूँ ,होल्स्टर में कारतूस भरी राइफल अपनी हिफाज़त के लिए चलते देखा हूँ। चालीस साल पहले उन के पास जापान की हौंडा मोटर साइकिल हुवा करती थी। जो भी किया बड़ी शान से किया ,चाहे बिस्निस्स हो ,दोस्ती हो ,मोहब्बत या दुश्मनी हो। आखरी उम्र तक ज़िन्दगी से जंग नहीं हारी। जदोजहद का सिलसिला कभी नहीं रुका। हाल ही में ख्वाजा के शहर में उनोह्न ने आखरी सांस ली। उन की ज़िन्दगी की दास्ताँ इस शेर से बयां की जा सकती है।
चला जाता हूँ हँसता खेलता मौजे हवादिस से
अगर हो ज़िन्दगी आसान जीना दुश्वार होजाएं
काशिफ को देखा हूँ अब्बा के साथ दूकान संभालता था ,और साथ साथ MBA भी कर रहा था। अब उस की ज़िन्दगी में ठहराव आगया है ,तालीम पूरी होगयी है अछा जॉब भी मिल गया है। उस में गोरे मामूँ की तमाम खूबियां पाई जाती हैं। अल्लाह से उम्मीद है वह उस मक़ाम को पा लेंगा जहां गोरे मामूँ पहुंचें थे। आमीन
मुहसिन लफ़्ज़ी माने अहसान करने वाला उस की मेहनत जदों जहद को देख कर इंशाल्लाह मुस्तकबिल की पेहनगोई कर रहा हूँ ,वह future के CM के साथ गुजरात का दौरा करेंगा।
आज में , और हमेशा से इस बात का एतराफ़ करता रहा हूँ क़े हमारे खानदान ,हमारे भाईयों पर हमारे मॉमू ,मुमनियां
,खाला ,नाना ,नानी और बहनों की खास नज़रे इनायत रही ,जिस की बिना पर हम अम्मा की कमी को महसूस न कर सके। इतनी तरक़्क़ी कर सके इस मुक़ाम तक पहुँच सके।
अल्लाह मरहूम अम्माँ ,गोरी मुमानी, मुमानी अम्मा ,नानि अम्मा ,नाना मियां ,गौरे मामूँ ,मामूँ मियां, खालूं जान,खालूं मियाँ ,अम्माँ बीबी को जन्नत नसीब करें। खाला जान ,दुलेह मामूँ ,दुल्हन मुमानी को सेहत और हयात अब्दी आता करे ,आमीन सुम्मा आमीन !!!!!
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