सोमवार, 24 अगस्त 2020

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मरहूम अल्हाज क़मरुद्दीन की जवानी की तस्वीर 
नाम :क़मरुद्दीन    उर्फियत :दादा    तारीख पैदाइश :०२/०१ /१९०८  (एरंडोल ) तारीखे वफ़ात :१३/१२/१९८७ (वाशी)
३० /०५/१९८२ 
वालिद का नाम :मासूम साहेब
वालिदा का नाम :मुमताज़ बी
बीवियों के नाम :अम्बिया /बिस्मिला
औलादों के नाम : अदीबुनिस्सा ,शरीफुन्निसा ,सादिक़ अहमद ,वासिफ अहमद ,वाक़िफ़ अहमद ,राग़िब अहमद  ,जावेद अहमद
तालीम /Education :पांचवीं जमात तक एरंडोल मराठी स्कूल ,१९२७ में इंग्लिश मध्यम से मैट्रिक पास किया।
Service :
मरहूम हाजी क़मरुद्दीन ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में क्लर्क के अहदे से शुरुवात की  ,भुसावल ,यावल ,चोपड़ा कोर्ट में ड्यूटी निभायी और १९६४ में चोपड़ा से अपर  डिवीज़न क्लर्क की पोस्ट से रिटायर हुए।  कुछ रोज़ चोपड़े की चुनार अली मस्जिद में बग़ैर किसी salary लिए इमामत भी की।  अपने बच्चों की तालीम के लिए जलगाव शहर  में रिहाइश इख़्तियार की। काटिया  फ़ैल जलगाव  में १९६४ से १९७२ तक मुस्लिम बच्चों को Nominal फी लेकर इंग्लिश और Mathematics की ट्यूशन पढ़ाई। जो बच्चे हिसाब (Mathematics) या इंग्लिश में कमज़ोर होते थे और मेट्रिक में नाकाम होजाते थे ,गॅरेंटी से उनसे ट्यूशन पढ़ कर कामयाब होजाते थे। ५ रुए महीना ट्यूशन फीस रखी थी ,होनहार ,काबिल, ग़रीब बच्चों से फीस नहीं लेते थे। उनकी औलाद में सादिक़ अहमद ने VGTI  कॉलेज मुंबई से इंजीनियरिंग किया ,वासिफ अहमद ने सेवाग्राम मेडिकल कॉलेज से M.B.B.S किया और गुजरात में Medical Officer से शुरवात कर D.HO होकर रिटायर हुवे। रागिब अहमद ने Bachelor of science ,मुंबई यूनिवर्सिटी से पास किया ,१९ साल सीरिया और सूडान आयल फील्ड में जॉब किया अब नवी  मुंबई में रहते है। जावेद अहमद ने भी मुंबई यूनिवर्सिटी से B.A की डिग्री प्राप्त कर कुवैत ,UAE में जॉब करने के बाद नवी मुंबई में रिहाइश इख़्तियार कर रखी है। उनकी बड़ी बेटी अदीबुन्निसा अयाजोद्दीन शैख़ से बियाही गयी थी पूना में २००० में इंतेक़ाल किया। दूसरी बेटी शरीफुन्निसा यसुफ अली अमीर अली सय्यद से बियाही गयी थी और जलगांव में  २०११ में इंतेक़ाल किया।
  मरहूम हाजी क़मरुद्दीन क़ौम की तालीम के लिए हमेशा फिक्रमंद रहते थे। आख़री उम्र  तक तहजुद्द गुज़र रहे मरहूम वली सिफ़्त थे , आपकी बहुत सी पेशन गोवियाँ सही साबित होती थी। अदबी ,मज़हबी किताबे पड़ने का बहुत शौक़ था। तक़रीर के फन में महारत रखते थे। १९७४ में  कुवैत का सफर किया और वहीँ से कार से  अपने बड़े फ़रज़न्द सादिक़ अहमद के साथ हज भी किया था । अपनी कोर्ट  की सर्विस ईमानदारी से की। १९६४ जब मरहूम अपनी नौकरी से रिटायर हुवे ५२ रूपये पेंशन थी ,बड़ा बेटे सादिक़ अहमद VGTI  कॉलेज में इंजीनियरिंग कर रहे थे और वासिफ अहमद को सेवाग्राम में MBBS में  दाखला मिला था ,मरहूम ने कभी हिम्मत नहीं हारी। उनका सपना था उनके सब बेटे graduate बने ,अल्हम्दोलीलाह उनका सपना उनकी ज़िन्दगी में पूरा हुवा।
   १९७२ -१९८७ तक  मरहूम हाजी क़मरुद्दीन का वाशी,नवी मुंबई में क़याम  रहा और वही इंतेक़ाल हुवा और तद्फीन कोपरखैरने के क़ब्रस्तान में हुवी। अल्लाह मरहूम को जन्नत नसीब करे।


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