सोमवार, 31 अगस्त 2020

AANKH HAIRAN HAI KYA SHAKHS ZAMANE SE UTHA

                                               


                                                         
Marhum wajoohoddin aur Marhuma Shameem akhtar ki yadgaar tasweer

Marhum wajihoddin Munshi (Shaikh)

                                                      एक सूरज था सितारों के घराने से उठा                                          
                                                   आँख हैरान है क्या शख्स ज़माने से उठा
नाम : वजीहुद्दीन मुंशी (शैख़)  तारीख़े पैदाइश : ०१/०६/१९१७ (ब्यावल ) वफात : १६/०४/१९९५ (चोपड़ा )
वालिद का नाम :  मोजोद्दिन , वालिदा  का नाम : बादशाह बी ,  बीवी का नाम :शमीम अख्तर
भाई : कमरूदीन ,हसिनोददीन ,शफीउद्दीन ,मोइनुद्दीन (गामा )
बहने :ख़ुर्शीद (पाकिस्तान), इफरा (मुलुंड मुंबई ), नज्मा (मुंबई), शाकिरा  (मुंबई),मेहरुन्निसा (नवापुर )
औलाद : खालिदा अदीब कमर अली सैयद (धुले),अनीस खातून ज़ैनुलआबेदीन सैयद (नवापुर ),शाइस्ता बेगम युसूफ अली (चोपड़ा ),शहनाज़ बेगम मुशिरोद्दीन (नंदुरबार)
तालीम (Education ):
१. सातवीं (१९३३ ) जिल्ला परिषद् उर्दू स्कूल (ब्यावल )
२. मेट्रिक (१९३६ ) धुले
शादी : १९३९ शमीम अख्तर से
  नौकरी /Service :
१. १९४२ : दहानू :सब इंस्पेक्टर (Prohibition and excise )
२. तिलक नगर : इंस्पेक्टर (P & E )
३.पालघर : इंस्पेक्टर (P &E )
४. मुंबई : सर्किल इंस्पेक्टर (P & E )
५. परभणी : डिप्टी सुप्रिंटेंडेंट (P & E )
६. नांदेड़ : सुप्रिंटेंडेंट (P & E )
७.रिटायरमेंट : 6th मई १९७६।  रिटायरमेंट के बाद इंतेक़ाल तक मरहूम का क़याम चोपड़े में रहा।
मरहूम वाजिहुद्दीन मुंशी ,नाम की तरह उनकी शख्सियत (personality ) भी वजीह (impressive )थी। ६ फ़ीट से निकलता कद ,उनकी आवाज़ सुन कर  लोग मरऊब ( impress )होजाते थे।  क़े इन सिंघ  ,उस ज़माने के मशहूर फिल्म स्टार से किसी कदर उनकी मुशाबिहत  (similarity ) थी। अंग्रेज़ों के साथ काम कर चुके थे इसलिए उनकी drafting माशाल्लाह नमूने की हैसियत रखती थी।  मरहूम ने जिंदिगी के भरपुर लुत्फ़ उठाये ,उस ज़माने में ऊनके पास Ambassador  कार थी खुद का ड्राइवर था। घर में type writer था। तानपुरा ,तबला , Projector , Record player ,और फोन भी था। उस दौर में ये तमाम सामान जो ख्वाब में भी देखे नहीं जा सकते थे ,उनके खुद की मिलकियत के थे। कई अंग्रेजी रोज़नामा का मुतालेआ (Reading ) मरहूम रोज़ किया करते थे। उस ज़माने में उनके घर चपरासियों का एक हुजूम घर के कामों में लगा रहता था। रोज़ सुबह अपने ऑफिस।,जो घर से करीब था मरहूम अपने स्टाफ की parade लिया करते थे।  मरहूम ने अपनी मेहनत , ईमानदारी से अपने रिटायरमेंट तक सुप्रिंटेंडेंट पोस्ट तक तरक़्क़ी की जो बहुत काम लोगों को नसीब होता है। उनसे सुना है के बॉम्बे में मीनाकुमारी, कई ५ स्टार होटल्स के मैनेजर ,बड़े बड़े मैनेजर ,उद्योग पति उनसे contact में रहा करते थे।
    मुंबई की रिहाइश के दौरान हमेशा अपने दामादों ,बेटियों ,नवासे और निवासियों को कार से बॉम्बे की सैर कराते और ५ स्टार होटल में दावत करते थे।
   मरहूम वाजिहुद्दीन साहेब ने जो काम ज़रीन लफ़्ज़ों से लिखने का किया, वो था करीबी रिश्तेदारों और जान पहचान वालों को Multi natioal कम्पनीज और गवर्नमेंट में  अपने रुसूख़ से जॉब दिलवाया। ब्रूक बांड ,लिप्टन और hoechst Pharma में  कुछ लोगों को नौकरी दिलवाई और उनोह ने बेहद तरक़्क़ी की।  मुबीन दादा बरोडे वाले जब यादों की गठरी खोलते है तो ये बात ज़रूर बताते हैं के किस तरह मरहूम वाजिहुद्दीन ने उनेह बॉम्बे बुलवाकर Navy में radio operator का जॉब दिलवाया था। बदकिस्मती से उनके वालिदैन की इजाज़त न मिलने पर वो जॉब ज्वाइन नहीं कर सके। इंशाल्लाह इन लोगों की दुवाओं की बदौलत अल्लाह ज़रूर उनेह जन्नत में ऊँचा मक़ाम अता करेंगा आखरी उम्र में  मरहूम ने अपनी अहलिया के साथ, १९९० में अपनी बड़ी बहन से मुलाक़ात के लिए पाकिस्तान का सफर भी किया था।
क्या लोग थे ,जो राहे वफ़ा से गुज़र गए
दिल चाहता है नक़्शे क़दम चूमते चले
  चोपड़े में रिटायरमेंट के बाद भी उनके फलाह (भलाई ) के कामों का सिलसिला जारी रहा। मरहूम हर साल ग़रीब बच्चों में स्कूल यूनिफार्म तक़सीम किया करते थे। उनके नवासे परवेज़ (नवापुर ) और नवासी शगुफ्ता रागिब ने आँखों से देखा है और यूनिफार्म की तक़सीम में हिस्सा भी लिया है। दोनों ईद पर उनके घर बेवाओं ,यतीमों और फ़क़ीरों की भीड़ जमा होजाती थी और वो अपने हातों से इन ज़रुरत मंदों में अतियत तक़सीम करके खुश होते थे।
अल्लाह से उम्मीद है उनके नेक कामों के बदले उनेह जन्नत फिरदोस में आला मुक़ाम हासिल होगा (इंशाल्लाह )
अल्लाह मरहूम वाजिहुद्दीन की मग़फ़िरत करे दरजात बुलंद करें।



 

सोमवार, 24 अगस्त 2020

dhund ujde huwe logon me wafa ke moti

मरहूम अल्हाज क़मरुद्दीन की जवानी की तस्वीर 
नाम :क़मरुद्दीन    उर्फियत :दादा    तारीख पैदाइश :०२/०१ /१९०८  (एरंडोल ) तारीखे वफ़ात :१३/१२/१९८७ (वाशी)
३० /०५/१९८२ 
वालिद का नाम :मासूम साहेब
वालिदा का नाम :मुमताज़ बी
बीवियों के नाम :अम्बिया /बिस्मिला
औलादों के नाम : अदीबुनिस्सा ,शरीफुन्निसा ,सादिक़ अहमद ,वासिफ अहमद ,वाक़िफ़ अहमद ,राग़िब अहमद  ,जावेद अहमद
तालीम /Education :पांचवीं जमात तक एरंडोल मराठी स्कूल ,१९२७ में इंग्लिश मध्यम से मैट्रिक पास किया।
Service :
मरहूम हाजी क़मरुद्दीन ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में क्लर्क के अहदे से शुरुवात की  ,भुसावल ,यावल ,चोपड़ा कोर्ट में ड्यूटी निभायी और १९६४ में चोपड़ा से अपर  डिवीज़न क्लर्क की पोस्ट से रिटायर हुए।  कुछ रोज़ चोपड़े की चुनार अली मस्जिद में बग़ैर किसी salary लिए इमामत भी की।  अपने बच्चों की तालीम के लिए जलगाव शहर  में रिहाइश इख़्तियार की। काटिया  फ़ैल जलगाव  में १९६४ से १९७२ तक मुस्लिम बच्चों को Nominal फी लेकर इंग्लिश और Mathematics की ट्यूशन पढ़ाई। जो बच्चे हिसाब (Mathematics) या इंग्लिश में कमज़ोर होते थे और मेट्रिक में नाकाम होजाते थे ,गॅरेंटी से उनसे ट्यूशन पढ़ कर कामयाब होजाते थे। ५ रुए महीना ट्यूशन फीस रखी थी ,होनहार ,काबिल, ग़रीब बच्चों से फीस नहीं लेते थे। उनकी औलाद में सादिक़ अहमद ने VGTI  कॉलेज मुंबई से इंजीनियरिंग किया ,वासिफ अहमद ने सेवाग्राम मेडिकल कॉलेज से M.B.B.S किया और गुजरात में Medical Officer से शुरवात कर D.HO होकर रिटायर हुवे। रागिब अहमद ने Bachelor of science ,मुंबई यूनिवर्सिटी से पास किया ,१९ साल सीरिया और सूडान आयल फील्ड में जॉब किया अब नवी  मुंबई में रहते है। जावेद अहमद ने भी मुंबई यूनिवर्सिटी से B.A की डिग्री प्राप्त कर कुवैत ,UAE में जॉब करने के बाद नवी मुंबई में रिहाइश इख़्तियार कर रखी है। उनकी बड़ी बेटी अदीबुन्निसा अयाजोद्दीन शैख़ से बियाही गयी थी पूना में २००० में इंतेक़ाल किया। दूसरी बेटी शरीफुन्निसा यसुफ अली अमीर अली सय्यद से बियाही गयी थी और जलगांव में  २०११ में इंतेक़ाल किया।
  मरहूम हाजी क़मरुद्दीन क़ौम की तालीम के लिए हमेशा फिक्रमंद रहते थे। आख़री उम्र  तक तहजुद्द गुज़र रहे मरहूम वली सिफ़्त थे , आपकी बहुत सी पेशन गोवियाँ सही साबित होती थी। अदबी ,मज़हबी किताबे पड़ने का बहुत शौक़ था। तक़रीर के फन में महारत रखते थे। १९७४ में  कुवैत का सफर किया और वहीँ से कार से  अपने बड़े फ़रज़न्द सादिक़ अहमद के साथ हज भी किया था । अपनी कोर्ट  की सर्विस ईमानदारी से की। १९६४ जब मरहूम अपनी नौकरी से रिटायर हुवे ५२ रूपये पेंशन थी ,बड़ा बेटे सादिक़ अहमद VGTI  कॉलेज में इंजीनियरिंग कर रहे थे और वासिफ अहमद को सेवाग्राम में MBBS में  दाखला मिला था ,मरहूम ने कभी हिम्मत नहीं हारी। उनका सपना था उनके सब बेटे graduate बने ,अल्हम्दोलीलाह उनका सपना उनकी ज़िन्दगी में पूरा हुवा।
   १९७२ -१९८७ तक  मरहूम हाजी क़मरुद्दीन का वाशी,नवी मुंबई में क़याम  रहा और वही इंतेक़ाल हुवा और तद्फीन कोपरखैरने के क़ब्रस्तान में हुवी। अल्लाह मरहूम को जन्नत नसीब करे।


शनिवार, 22 अगस्त 2020

ek shaks sare shaher ko weeran kar gaya

                                                   श्रधांजलि /Obituary /खिराजे अक़ीदत
उदास छोड़ गया वो हर एक मौसम को
गुलाब खिलते थे कल जिस के मुस्कराने से 
नाम : सैयद अतहर जमाल    उर्फियत :टग्या
तारीख़ पैदाइश (date of  birth): 23rd  जून १९७१ (नवापुर) तारीखे )वफ़ात (death): 22nd ऑगस्ट २०२० 2nd मोहर्रम १४४२ (Saturday ) नवापुर 
तालीम (Education ): Diploma In Electronic Engineering 
अहलिया : नवीद बिन्ते सग़ीर अहमद शैख़ 
वालिद का नाम : ग़ुलाम मोहियुद्दीन इकरामुद्दीन सैयद  -वालिदा का नाम : शकीला ग़ुलाम मोहियुद्दीन सैयद 
बहन भाइयों के नाम :सैयद अज़हर जमाल ,सैयद रईस जमाल ,सबीना साजिद अहमद शैख़  (जलगांव ),राफ़ेआ लियाक़त अली (पकिस्तान),रुबीना सैयद नदीम इरशाद अली (सूरत) 
औलाद : Elder  हमज़ा अतहर सैयद (B. Pharmacy ,second year )-  2nd अंज़र (8th Std -I.M.Deewan  English Medium School , Nawapur
  रिश्ते में  हमारे मामूजाद भाई ,मरहूम अतहर  ने तालीम ख़त्म करने के बाद शुरवात में भड़भूँजा में अपने वालिद के  साथ मिलकर किराने  का कारोबार  किया। पिछले कई सालों से Metro Chashma ghar  Nawapur के नाम से चश्मा (Spects) बेचने की  दुकान खोल रखी थी। 
  मरहूम ज़िंदादिल ,खुशमिज़ाज शख्सियत के मालिक थे। उर्दू ,मराठी ,भील भाषा पर महारत हासिल थी। लोगों को जोड़ने का फन बखूबी आता था। Shaikh Sayed नाम से एक ग्रुप के Administrator की हैसियत से कई करीबी रिश्तेदारों को जोड़ रखा था। क्या खबर थी इसी ग्रुप के ज़रिये उन की मौत की खबर share की जाएँगी। 
 अल्लाह से दुआ है की अतहर को जन्नत फिरदौस में जगह अता फरमाए आमीन सुम्मा आमीन। घर में तमाम अफ़राद को सबरे जमील आता करे। 
बिछड़ा कुछ अदा से के रुत ही बदल गयी 
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया 

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा

 


मरहूम अलहाज सादिक़ अहमेद
जन्म दिन /तारीख़ें पैदायिश:०२/११/१९४२ मृतु/मौत :१३/१२/२०१३ 
वॉलीद/पिता का नाम :हाजी कमरुद्दीन- माँ का नाम :बिस्मिल्ला कमरूदीन शैख़ 
Education/तालीम: B.E.Mechanical
१९६३ : मेट्रिक का इम्तिहान प्रताप मराठी स्कूल (चोपड़ा) District topper
१९६४-१९६५:intermediate from IsmaelYusuf college जोगेश्वरी
१९६५-१९६८: B.E VJTI College matunga
अपनी पूरी पढ़ायीं महरूम ने scholarship हासिल कर के की 
Scholarship from : Government और /दावूद भाई फ़ज़ल भाई ट्रस्ट
१९६८-१९७५- Maintenance Manager Metal Box
१९७५-शादी हुवि जूबेदा के साथ 
१९७७: अपने वॉलीद और फ़ैमिली के साथ कार से सफ़र करके हज किया 
१९७५-१९९९ : General Manager Plastic packaging Ind Shuaiba,कुवैत
कुवैत रिहायिश के दौरान कम्पनी के काम से Egypt/ईरान/Saudi Arabia/जर्मनी/Taiwan/जापान/Thailand का सफ़र किया 
२०००-२००८ - Serene Packaging नामी कम्पनी बनायी क़ौम के लोगों को रोज़गार फ़राहम किया ।
२०००-२०१२ :मरकजे फलाह नेरुल ट्रस्ट की बुनियाद डाली ,आख़िर उम्र तक अदारे  secretary रहे  । माशाअल्लाह अदारे की मदद से २०० से जियादा क़ौम के बचें ऊँची तालीम (education) हासिल करके बड़ी बड़ी Organizations  में ऊँची ऊँची पोस्ट पर काम कर रहे । 3000 क़ौम के बच्चों की स्कूल/कॉलेज फी अदा करके किफ़ालत की गयी। 
मरहूम सादिक़ अहमेद को इस्लाम और क़ुरान से बेहद लगाव मोहब्बत थी ।२००४ में क़ुरान की तफ़सीर का सिलसिला क़ायम किया ।अलहमदोलिलह अब  तक  Quran the truth के नाम से क़ायम है ।हज़ारों लोग मुस्तफीज (फ़ायदा) उठा रहे हैं ।इंशाल्लाह ये सिलसिला ज़रूर उनकी मग़फ़िरत की वजह बनेगा। उनके दरजात रोज़ महशर में बुलंद होंगे ।
तीन भाइयों Dr.wasif ,Ragib Ahmed ,Javed Ahmed को अच्छी तालीम दिलायी ।कुवैत में कयी ग़रीब क़रीबी रिश्तेदारों के बचों को बुलवा कर नौकरी दिलवायी ।अपनी चार औलदों  लुबना ,समीरा ,नाएला और उज़्मा को ऊँची तालीम दिलायी अलहमदोलिलाह वो सब अमेरिका/England/Saudi /इंग्लैंड में ख़ुश हाल शादी शुदा  ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं ।
अल्लाह मग़फ़िरत करे अजीब आज़ाद मर्द था ।