सोमवार, 8 जून 2020

Diamond jubilee की ओर एक क़दम

                                                       Diamond jubilee की ओर एक क़दम
भला किसीने कभी रंग व बू को पकड़ा है 
शफ़क को क़ैद मे रखा 
हवा को बंद किया
Covid १९ ने दस्तक दी तो अहसास हूवॉ की “न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम होजाए “ सोचा  कुछ भुली बिसरी यादों को ,दिल से क़रीब लोगों के हालात लिखे जाए ,काग़ज़ पे उतार कर लोगों तक पहुँचाया जाए ।वरना आजकल पढ़ने वालों से जियादा लिखने वाले होगयें हैं ।whatsup पर दूसरों से मिले messages को बग़ैर पड़े ,दूसरों तक भेजने की होड़ लगी है ।किस के पास पढ़ने और समझने का समय है ।
Dr वासिफ अहमद , वासिफ  अहमद का मतलब होता है अल्लाह के रसूल जिन का नाम अहमेद भी था ,की तारीफ़ बयान करने वाला ।हमारे बीच एक कड़ी ,वाक़िफ़ अहमद भी था जो टूट गयी है ।हमारे अबआ ने  हमारे नाम बड़ी सोच कर रखे थे। और सब की birth date का record भी रखा था । वरना हमारे स्कूल में  mere साथ वाले सब students की  birth date १ जून  थी ।वालीद साहेब का पुराना क़ुरान था जिस में आख़िरी page पर अपनी तमाम औलाद की ,place of birth ,time of birth, date of birth लिख रखा था ।बदक़िस्मती से वो गुम होगाया है ।
Dr वासिफ मुझे ७० साल से जानते है और में भी उनसे ६६ साल से वाक़िफ़ हुँ ।में इतने confidence से इस लिए कह सकता हूँ की  वो मेरे बड़े भाई है और वो मुझसे ४ साल बड़े है ।बड़ा इत्तिफ़ाक़ है  की हम चारों भाइयों के दरमियान ४ साल का फ़र्क़ है ।
कूछः इस तरह से मुझे हादसाते मुहिम मिलते हैं ।
  १९६७ में dr वासिफ ऐंग्लो उर्दू हाई स्कूल जलगाँव में पढ़ते थे । ९th standard में थे एक दिन स्कूल से लौटते हुवे नटराज cinema के पास बिजली के pole से टकरा कर गिर पड़े थे ।कई घंटों की बेहोशी के बाद जागे थे । अब्बू हम
सब परेशान थे। 
बचपन से  dr साहब ज़हीन तो थे ही ,इस हादसे के  बाद ज़हानत में और चार चाँद लग गए ।एस॰एस॰सी॰ exam top rankingमें पास किया ,J,J, college जलगाँव से intermediate। sewagram medical college में admission मिला ।आज भी जलगांव की आंग्लो उर्दू स्कूल की top ranking students के लगे बोर्ड पर उनका नाम लिखा है ।
जब तक jalgaon में रहे हम सब राशिद,जाहिद, जावेद और मुझ नाचीज़ पर बेताज बादशाह की तरह हुकूमत करते रहे ।जब जी में आता हम को पीट कर रख देते ।उन की वजह से घर में discipline क़ायम था । चार आने में सुकालल मामा से हमारे बाल कटवाते और ख़ुद सलून में जा कर stylish cutting बनवाते ।धोबन से कही सालों तक एक ही rate में कपड़े धुलाते रहे । छोटी आपा ने भी उन का बड़ा ख़याल रखा ।Dr साहेब  की उस ज़माने में  दोस्तों की मंडली थी ।मुनाफ़ ,ज़फ़र ,रहीम ,anees सभी बेहद शरीर ,खेल और पढ़ायी में तेज़ ।महल्ले के मिया चाचा से उनकी कभी नहीं बनी ।
    M.B.B.S. करने के बाद गुजरात में मेडिकल ऑफ़िसर के अहदे पर join किया । बालपुर,व्यरा, मियागाम कर्ज़न अपनी duty की ।DHO की पोस्ट तक तरक़्क़ी की अब retire हो कर ज़्यादा वक़्त दुबई में नवेद और अपने पोतों के साथ बिताते है ।
   डॉक्टर वासिफ को हम सब की शादियों की बड़ी फ़िक्र थी । अपनी ख़ुद की शादी की तफ़सील में तो नहीं जानता क्यूँकि इसे चालीस साल का लम्बा अरसा होगाया है ।  ददाभाई की शादी के लिए बहुत कोशिश की लेकिन बात कुछ जमी नहीं ।मेरी और जावेद की शादी में बड़ी मुस्तैदी दिखायी ।नवेद और इरम की शादियाँ करवायी ।अलहमदोलीलाह हम सब ख़ुशहाल ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं ।मुझे यक़ीन है वो marriage bureau की ऑफ़िस खोल सकते है ।
जसतजु जिस की थी उस को पाया हम ने 
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने 
डॉक्टर साहेब हज कर चुके है ।अमेरिका का हाल चाल भी जान आये है ।दुबई की ख़ाक छानते रहते है ।नवेद और इरम अपनी जिंदगियों में ख़ुश है ।रावी चैन लिखता है ।कहा जाता है बनिए ,मारवाड़ी अपने नक़द से ज़्यादा सूद की amount से ख़ुश रहते हैं ।dr वासिफ अहमेद भी निवासियों और पोतों को देख कर निहाल होते रहते है ।
    आज ८ जून डॉक्टर साहेब ने ७१ वे बरस में क़दम रखा है । diamon jubilee सिर्फ़ चार क़दम पर है ।”फ़ासला चंद क़दम का है मनाले  चल कर “
कहीं रहे वो ख़ैरियत के साथ रहे 
उठाए हाथ तो दुआ एक याद आयी 
तुम्हारी ज़िंदगी मे इस क़दर भीड़ रहे ख़ुशियों की
के ग़म गुज़रना भी चाहे तो रास्ता न मिले 
आज इस ख़ुशी के मौक़े पर शगूफता मेरी जानिब से dr वासिफ साहेब को ढेर सारी दुआएँ और नेक खवाहिशात ।आमीन

2 टिप्‍पणियां:

  1. Bahot khub bhaijaan.din ba din aap ki likhawat me nikhar aaraha hai.aap maazi ko itani khubsurti se bayaan karte ho jaise haal mai huwa ho.

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  2. किसी फिल्म की तरह मन्ज़र निगाहों में घूम गया
    मुबारकबाद

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