Maximum city मुंबई में अब तक मनसुखलाल को अपनी धर्म पत्नी के बिछड़ने का इतना एहसास नहीं हुवा था। लम्बी चौड़ी दोस्तों की मण्डली ने इस कमी को पूरा कर दिया था, हालाँकि उस के दोनों लड़के फॅमिली के साथ canada में shift होगये थे।
अचानक PMC बैंक बंद होजाने पर उसे अपनी पूंजी के डूब जाने के ग़म ने उसके हर ग़म को ताज़ा कर दिया। मानो किसी ने उसके ज़ख्म कुरेद दिए हो। शिदत से उसे अपनी तन्हाई का एहसास होने लगा। दोस्तों की ठहाके मारती महफिलें उसे सुनी सुनी लगने लगी। हर चीज़ का डर उसे सताने लगा। जिंदिगी अजीरन सी लगने लगी। अनजाने खौफ ने उसे चरों तरफ से घेर लिया Global warming news पड़ कर उस का दम घुटने लगता। उसे लगता समंदर बहुत जल्द शहर को डुबो देंगा ,महारष्ट्र ,election के प्रति सरकार नहीं बन पाती ,वो अपने आप को ज़िम्मेदार ठहराता ,हर बुरा समाचार जो न्यूज़ पेपर में publish होता ,TV पर दिखाया जाता या social media पर viral होता ,किसी न किसी तरह से अपने आप से जोड़ लेता उम्मीद की हलकी किरन भी उसे नज़र नहीं आती।
एकदिन morning walk पर उसे जगह जगह स्टैंड पर नयी नई सायकलें दिखयी पड़ी। उसके शहर में ये नया developement था। उसे पता चला के yulu application अपने मोबाइल पर download करके ये सायकलें किराये पर मिल सकती हैं। न जाने क्यों मनसुखलाल का दिल इन सयकलों की जानिब खींचने लगा। बचपन की यादें ताज़ा होगयीं। लेकिन उसे smart phone होना लाज़मी था। फ़ोन पर internet होना भी ज़रूरी था। ये मालूमात मिलने पर उसे एक thrill का एहसास हुवा। लेकिन इस उम्र में ये सब करने के लिए मनसुखलाल को हिम्मत जुटानी पड़ी। smart phone खरीद कर उसे एक दबी दबी ख़ुशी मिली। फिर internet facility अपने मोबाइल मिलाने के प्रति उसे दूसरी ख़ुशी मिली। देखते देखते सोशल मीडिया पर active होगया। अपने mobile पर yulu का applicatio load करने में उसे कई दिन लग गए। application पर पैसे डालने में उसे पसीने छूठ गए। और finally एक दिन सुबह सुबह मनसुखलाल
सायकल का lock खोलने stand पर पहुँच गया। उसे घबराहट और ख़ुशी की feeling होने लगी। लॉक खोलने में उसे
कई घंटे लग गए। lock खोलने पर उसे लगा उसनें हिमालय चोटी पर चढ़ाई कर ली हो। lock खुलने पर सालो बाद सायकल चलाने पर उसे अजीब फीलिंग होने लगी। trip पूरी करने प्रति स्टैंड पर सायकल कड़ी करने के पश्चात् उसे मैसेज yulu की तरफ से मिला उसने कितने समय सायकल चलायी ,कितनी caleries कम होई। कितना carbon
बचाया। मनसुखलाल से पूछा गया सायकल में कोई खराबी तो नहीं। उसे ये सब पढ़ कर ख़ुशी का एहसास हुवा। जिंदिगी में नयी ताज़गी ,energy महसूस हुवी। हर दिन सायकल चलाने के प्रति वो शिकायत yulu application पर लोड करता। सायकल के ब्रेक काम नहीं कर रहे। उसे जवाब मिलता सायकल repair कर दी गयी। इतनी आज्ञा का पालन ,मनसुखलाल खुश होजाता ,आज तक मेरे बच्चोँ ने भी इतना आज्ञा का पालन नहीं किया ,वो सोचने लगता। सायकल गनदी होने पर शिकायत करने पर जवाब आता ,सायकल साफ़ कर दी गयी है। और उसका उस दिन का किराया सही शिकायत करने पर माफ़ कर दिया गया है।
मनसुखलाल को yulu साइकल और application से एक अपनायत का अहसास होने लगा।
सायकल पर रोज़ाना घूमते हुवे मनसुखलाल से पेपर ,दूध deliver करने वालों से जान पहचान होगयी। सुबह सवेरे
स्कूल buses की गहमा गहमी रहती। मस्जिद से नमाज़ से निकलते लोग दिखयी पड़ते। मंदिरों से अगरबत्ती की भीनी
भीनी खुशबु से उसकी रूह महक उठती। मंदिर के दवार पर थोड़ी देर ठहर कर वो सर झुका देता। पुरे शहर का सायककल पर चक्कर लगाते लगाते उसे अपने शहर से एक मानूसियत (aattachment )हो गयी। अब वो गार्डन के सामने से गुज़र रहा है,लोग walk कर रहे थे वर्ज़िश कर रहे हैं। थोड़ी दूरी पर आगे reliance का supermarket खुल चूका था लोग दूध ,bread की खरीदारी कर रहे हैं। कुछ दिनों में वो हर चीज़ से मानुस होगया। दोस्तों के साथ उठने बैठने लगा। ज़िन्दगी फिर से पटरी पर लौट आयी।
एक दिन अचानक दोपहर में सोते हुवे खौफनाक सपना देख कर मनसुखलाल पसीने में भीग गया। घबरा कर वो उठ बैठा। बचपन में उस ने एक कहानी पड़ी थी। सपना उस से मिलता जुलता था। नींद से जागने के पश्चात् भी मनसुखलाल को सपने को जगीआँखों से देखता लगा। तीसरी महायुद्ध के पश्चात् विश्व की तबाही एक भी मनुष्य नहीं बचा ,लेकिन रोबोट अब भी घरों में नाश्ता तैयार कर रहे हैं।बच्चों को स्कूल के लिए जगा रहे है ,खाना बना रहे हैं , बर्तन धो रहैं हैं। सब काम समय पर हो रहे हैं। उस ने तरुंत कनाडा कॉल किया उंसे उसके बचे उसे कनाडा बुला रहे थे। मनसुखलाल ने बच्चों से अपना टिकट बुक करने के लिए कहा। ये भी पूछा के क्या युलु सायकल वहां अवेलेबल है। अगर नहीं तो उसके पहुंचने से पहले नयी सायकल खरीद कर रख ली जाये।