हाफ सेंचुरी की लम्बी मुद्दत क़ासिम चूनावाला और क़मर भाभी ने साथ गुज़ारी , पचास साला शादी शुदा कामयाब ज़िन्दगी गुजरने पर हम सब की जानिब से दिली मुबारकबाद। आज आलम ये है नौजवान शादी की ५० वे दिन ५० वे महीने की सालगिरह मानते हैं फिर रिश्तों में वह ताज़गी बाक़ी नहीं रहती ,तल्खियां शुरू होजाती है।
दुबई में क़ासिम भाई ,क़मर भाभी के साथ हम लोगों ने एक खूबसूरत शाम बिताई थी। आज तक उस शाम की यादें ज़हन में ताज़ा है। हंसी हंसी में दोनों ने अपनी ज़िन्दगी की मुख़्तसर रूदाद हम को सुना डाली थी । दोनों की कम उमरी में शादी हुवी थी। शादी के बाद क़मर भाभी ने महराष्ट्र कॉलेज से graduation किया। उस ज़माने में क़ासिम भाई ने उन का पूरी तरह साथ दिया। भाभी को ट्राम ,बस से कॉलेज छोड़ने ,लेने के लिए आते थे। क़ासिम भाई ने अपनी दास्ताने मोहब्बत बड़े मज़े ले ले के सुनाई थी। महाराष्ट्र कॉलेज से में ने भी graduation किया हूँ। कॉलेज को establish हो कर पचास साल पुरे होरहे है इस हिसाब से क़मर भाभी शायद पहली बैच की student रही होंगी।
कहानी मेरी रउदादे जहाँ मालूम होती है
जो सुनता है उसी की दास्ताँन मालूम होती है
क़ासिम भाई ने बहुत मेंहनत से अपना बिज़नेस सेट किया ,बच्चों को अछि तालीम दिलवाई। उन की तारीफ़ किये बिना नहीं रह सकता। हालांकि क़ासिम भाई और क़मर भाभी की तबीअतों में बड़ा तज़ाद है। भाभी निहायत संजीदा ,मोहज़्ज़ब ,सलीका शार ,नर्म गुफ़्तार है। किसी शायर ने उनिह के लिए कहा है।
उन से ज़रूर मिलना सलीक़े के लोग हैं।
और क़ासिम भाई ज़िंदा दिल ,अपने आप को निशाँना बना कर लोगो को हसांते रहते हैं। और फिर भाभी पर (तहज़ीब के दायरे में रहते हुवे )जुमले कस्ते रहते है लुत्फ़ आजाता है।
आज वलीद, कैसर ,तनवीर ने आप लोगों की तरबियत से ज़िन्दगी एक मक़ाम हासिल किया है। अल्हम्दोलीलाह इतनी कम उम्र में खालिद के ख़त्म क़ुरान का सुन कर दिल बाग़ बाग़ होगया। बड़ा ऐज़ाज़ है जितना फ़ख्र किया जाए काम है। क़ासिम भाई ,भाबी जो बातें आप लोगों ने अपनी औलाद को सिखाई है इस का दायरा वसीअ होता जा रहा है। आप दोनों मुबारकबाद के मुस्तहिक़ है।
महराष्ट्रियनस में शादी के पचास साल मुकम्मिल होने पर रिश्ते की तजदीद की जाती है। दोबारा शादी की जाती है। अल्लाह से दुआगो हूँ आप शादी के १०० साल मुक्कमिल होने पर इसी तरह का जश्न बरपा करे तीसरी शादी तक हयात रहे। क़ासिम भाई, भाभी आप के लिए हमेशा रश्के क़मर बानी रहे। किसी शायर ने आज के पुर आशूब दौर के लिए कहा है।
अतनी अरज़ां तो न थी दर्द की दौलत पहले
जिस तरफ जाइये ज़ख्मों के लगे हैं अम्बार
या
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़बान मिली है मगर हम ज़ुबान नहीं मिलता
इस दौर में जब हर कोई stress लिए घूम रहा है, परेशान हाल है क़ासिम भाई आप महफ़िलों को गुले गुलज़ार कर देते हो। लोगो के दुःख दर्द कम करने की कोशिशों लगे रहते हो ,लोगों के लबों पर मुस्कराहट लेन के लिए कोशां रहते हो शायद इसी मुनासिबत से आप का नाम क़ासिम तक़सीम करने वाला रखा गया है। आप अपना ये सवाबे जारिया जारी रखें।
आप दोनों की सेहत तंदुरुस्ती। तवील उम्र के लिए दुआ नेक ख्वाहिशात।
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