इक़्कीसवीं सदी के हिंदुस्तान की दो तस्वीरें
तर्रकी (progress ) की दौड़ में हिंदुस्तान ने अमेरिका ,यूरोप की बराबरी कर ली है। अब तो एक ही वक़्त में १०५ सय्यारे (satellites ) हमारी ज़मीन से खला (space ) में कामयाबी से छोड़े गएँ ,नयूक्लेअर हथ्यार ,बेहतरीन सड़कें ,पुल ,कारें ,ऊंची ऊंची बिल्डिंगें सोने पे सुहागा अरब पतियों की हिंदुस्तान जैसे मुल्क में कमी नहीं हैं।
कुछ रोज़ पहले times of India में एक ख़बर पड़ कर शर्म से सर झुक गया। महाराष्ट्र जिसे हिंदुस्तान की सब से ज़ियादा progressive states में जाना जाता है ,में पंढरपुर शहर ( ज़िल्ला शोलापुर )में आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर ६ लाख भक्त विठोबा टेम्ले के दर्शन के लिए जमा होतें हैं। सब से बड़ी समस्या drainage system न होने से सफाई कर्मचारियों को toilet disposal के लिए हाथों से काम करना होता है। कोर्ट ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट को डाट भी पिलाई थी। सायेंस ,technology ने इतनी तर्रिकी की है। किस तरह यह ज़लील काम लोगों से करवाया जाता है। सोच कर अक़ल हैरत ज़दा होजाती है।
तर्रकी (progress ) की दौड़ में हिंदुस्तान ने अमेरिका ,यूरोप की बराबरी कर ली है। अब तो एक ही वक़्त में १०५ सय्यारे (satellites ) हमारी ज़मीन से खला (space ) में कामयाबी से छोड़े गएँ ,नयूक्लेअर हथ्यार ,बेहतरीन सड़कें ,पुल ,कारें ,ऊंची ऊंची बिल्डिंगें सोने पे सुहागा अरब पतियों की हिंदुस्तान जैसे मुल्क में कमी नहीं हैं।
कुछ रोज़ पहले times of India में एक ख़बर पड़ कर शर्म से सर झुक गया। महाराष्ट्र जिसे हिंदुस्तान की सब से ज़ियादा progressive states में जाना जाता है ,में पंढरपुर शहर ( ज़िल्ला शोलापुर )में आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर ६ लाख भक्त विठोबा टेम्ले के दर्शन के लिए जमा होतें हैं। सब से बड़ी समस्या drainage system न होने से सफाई कर्मचारियों को toilet disposal के लिए हाथों से काम करना होता है। कोर्ट ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट को डाट भी पिलाई थी। सायेंस ,technology ने इतनी तर्रिकी की है। किस तरह यह ज़लील काम लोगों से करवाया जाता है। सोच कर अक़ल हैरत ज़दा होजाती है।