शादी की तक़रीब में रागिब अहमद ,ग़यासोददीन शैख़ साहब
सुनी हिकायतें हस्ती तो दरमियान से सुनी
जनाब ग़यासोददीन शैख़ साहब अपनी उम्र के ८० बहार व ख़िज़ाँ देख चुके हैं। और अब भी माशाल्लाह सेहतमंद और चाक व चौबंद हैं। वालिद सदरुद्दीन शैख़ नसीराबाद से बिलोंग करते थे। पुलिस में जॉब था। आप की ११ औलादें थी ६ बेटे ५ बेटियां। ग़यासुद्दीन साहब जब २ साल के थे वालिद का इंतेक़ाल हो गया था। चाचाओं ने उनेह अपने पास बॉम्बे बुला लिया।
मेहनत से वो तक़दीर बना लेते हैं अपनी
विरसे में जिन्हे कोई खज़ाना नहीं मिलता
ग़यासोददीन खालू ज़ियादा तालीम हासिल न करने का उनेह हमेशा अफ़सोस रहा है। रिश्ते में वो हमारे खालू और हमारी मिसेस के फूफा लगते है। हमारी खाला फरीदा उर्फ़ टेना और खालू ने ८ साल जब १९७७ से १९८४ तक ठाणे बेलापुर रोड पर यूनाइटेड कार्बन कंपनी में जॉब करता था अक्सर छुट्टी के दिन थाना धोबी आड़ी चला जाता था। १९८२ में पहली बार कलर टेलीविज़न उन्ही के घर हम दोनों मियां बीवी ने देखा था। जनाब ग़यासुद्दीन ने टेक्सन कंपनी ठाणे से शुरुआत की जो रेडिएटर्स और आयल कूलर्स बनाने वाली मशहूर कंपनी है ।
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने
वो एक बेहतरीन वेल्डर /फैब्रिकेटर्स रहे हैं। जब पासपोर्ट बनाना जुए शीर (दूध की नहर ) निकलने जैसा था घ्यासोददीन शैख़ साहब ने ४ साल अपनी फॅमिली के साथ सिंगापुर में काम किया।