औसाफ़ उस्मानी साहेब की शख्सियत इस एक शेर से अयं होजाती है
शहर में सब को कहाँ मिलती है रोने की जगह
अपनी इज़्ज़त भी यहाँ हसने हँसाने से रही
रसोई हमारे नेरुल शहर का अड्डा है जहाँ अजीब अल ख़ल्क़ (टिपिकल) लोग हर सुबह अपनी बे इज़्ज़ती करवाने जमा होते है। और खुश भी होते हैं। कुछ मुख़्तसर group के highlights
प्रकाश सोनवणे navy से retire लेकिन दिमाग़ बहुत तेज अपनी साइकिल मार्किट में बेच दी पुलिस में FIR कर नेरुल पुलिस स्टेशन से नयी साइकिल मिल गयी। bravo
अब्दुल कोटियाद जिनेह उर्दू में जोक सुनाया जाता है तो एक हफ्ते बाद हँसते है।
सब से जवान साथी जनाब अब्दुल हामिद ख़ानज़दा "मुंबई की कोनसी गली कोनसी फिरदोस है जिसे वो नहीं जानते।
मंसूर जेठाम साहब उर्फ़ गुरु अपने से ज़ियाद दूसरों के ग़म में घुलते है।
इश्तियाक़ भाई सौ सुनार की एक लोहार की।
इमरान जलती में तेल डालने का काम करने वाला
सुनील Badmintan में कब कैसे हारा जाता है
हरीश साहेब का ये कहना है के वो मंदिर में थे
और सकी की गवाही है के मैखने में थे।
जो यहाँ था वो वहां क्यूकर हुवा ?
औसाफ़ साहेब के औसाफ़ क्या बयां करू फेडरल बैंक का चौकीदार उनकी बेरुखी से दुबला पतला होगया।
लोग Gym का इस्तेमाल सिर्फ ज्वाइन करने के दिन करते हैं लेकिन ये हज़रात को रोज़ाना Gym से ज़बरदस्ती भागना पड़ता है। आप अपने से ज़ियाद दूसरों को खिलने में महज़ूज़ होते हैं। हैदराबाद की नान खटाई ,बन पॉ व।
हमेशा गर्दिश में रहते हैं। उनकी ज़िन्दगी का एक उसूल है
जीने का ये होना भी आज़माना चाहिए
दोस्तों से जंग हो तो हार जाना चाहिए
Happy birthday अल्लाह सलामत रखे आमीन