बुधवार, 30 मई 2018

Is bulandi se agar koi girade mujh ko



ऊपर की तस्वीर मौलाना रिजवान की २ साल पुरानी है। आप साइकिल पर  घर घर जाकर बच्चों को को अरबी पढ़ाया करते थे। आप के भी ४ बचें हैं। बड़ा बच्चा आलिम  बन रहा है। तीन बच्चे स्कूल पढ़ रहे है। बड़ी बची ने २ साल पहले ८४% मार्क्स मिला कर १० वी पास की थी। तीनो बचे पड़ने में हुशियार है। जैसे तैसे घर की दाल रोटी चल रही थी। मौलाना की वक़्त गुज़री होजाती थी।कभी किसी से मदद नहीं मांगी।
किस्मत तो देखिये टूटी कहाँ कमन्द
दो साल पहले रमजान से  कुछ दिन पहले मौलान को दांत का दर्द होने लगा। dentist को शक हुवा biospsy के लिए कहा। थ्रोट कैंसर detect हुवा। एक के बाद एक दो operaions, chemotherapy  न बोल सकते है तो पढ़ाएंगे कैसे ?,मौलाना को टूट कर रख दिया। मौलाना को सब से बड़ा दुःख था उनेह operation के लिए दाढ़ी मुंडवानी  पड़ी।
मौलाना की ताज़ा तस्वीर 

 लोग उनेह पहचानते नहीं।वज़न २० से २५ किलो कम होगया है ,सुख कर कांटा होगये है। मौलाना  सलाम करके अपनी पहचान बताते है "मैं मौलना रिज़वान"।  मौका मिलते ही आधी दाढ़ी बढ़वा ली ,आधी दाढ़ी chemotherapy की treatment के कारण  बाल नहीं उग पाते। मजबूरी है।
 काश हम ज़क़ात का central system (इज्तेमाई निज़ाम ) बना पाते। समाज की ६० से ८०% ज़कात मदरसे वाले लेजाते है जहाँ सिर्फ क़ौम के ४% बच्चे तालीम हासिल कर रहे है। अफ़सोस चंदा जमा करने वालों की न  कोई पहचान होती है  न सबूत ,न बहुत से मदरसों में audit होता है। क़ौम के  विधवा ,बीमार ,ज़रूरतमंद लोगों की मदद कौन करे ?
मौलान रिज़वान की मदद के लिए उन की बैंक details नीचे provide की गयी है। मौलान की मदद करके ज़कात तो इंशाल्लाह अदा हो जाएँगी ,ये आप लोगों के हक़ में सवाब जरिया भी होंगा।