रविवार, 10 नवंबर 2013

mahve hairat hoon ke duniya kya se kya hojayegi(shocked to see the world changing)

                                          महवे हैरत  हूं के दुनिया क्या से क्या हो जायेगी
लोगों कि मौत पर उमूमन मातम मनाया  है। पहली बार यूँ हुआ के १४ जुलाई-२०१३ रात १० बजे टेलीग्राम कि मौत का जश्न धूम धाम से मनाया गया। आखरी दिन तारीख का हिस्सा बन्ने के लिए हज़ारों लोगों ने टेलीग्राम रवाना किये। रात दस बजे नितिन रस्तोगी ने आखरी टेलीग्राम रवाना कर history में अपना नाम दर्ज  करा लिया। और १६३ साला तारीख का बाब बंद गया। हिंदुस्तान भर telegram कि मशीने खामोश हो गयीं।
            टेलीग्राम पर क्या मौक़ूफ़ ज़िन्दगी इतनी तेज़ी से रवां दवां हैं के कई चीज़ें जो हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुकी थी उनका वजूद ख़तम होता जा रहा है। हाल  ही में खबर आयी हैं के बस और रेलवे स्टेशन पर रखे वज़न के मशीन अपनी मौत  मर रहें हें। कौन उन पर खड़े होकर रूपये का सिक्का डाल कर वज़न करे। घर घर लोगों ने वें इंग मशीन खरीद लिये  हैं। एक ज़माना इन का था मशीन  खड़े होजाइये गोल चक्कर बंद हो जाने पर एक रूपये का सिक्का डालिये ख़ट  कर वज़न का टिकेट निकल आएगा जिस  पर आप का वज़न होंगा और उस टिकेट पर पीछे कि जानिब आप कि भविष  वाणी भी मुफ्त  मिलती थी। अक्सर ऐसा होता के मशीन पैसे भी हज़म कर जाता और टिकेट भी नहीं मिल पाता। फिर लोग ग़ुस्से में मशीन पर लातें घूंसे बरसाते खु श किस्मत लोगों को टिकट के मुक़ाम पर चिल्लर  कि बारीश हो जाती और कई लोगों को मायूसी। वही हाल ईद कार्ड्स का भी हुआ है। एक ज़माने में प्यार से ईद कार्ड्स ख़रीदे जाते थे।  रिश्तेदारों को भेजे जातें थे।
          किसी ज़माने में घर घर अलार्म क्लॉक होती थी ,कॅमेरे ,हात् में  पहनें कि swiss घड़ियाँ ,transistor radio ,जिन के बग़ैर ज़िन्दगी नमुक़मल हुवा करती। भला हो mobile phone का, इन तमाम सामान का वजूद ख़त्म होता जा रहा है। apple कंपनी के बानी stew job ने कई साल पहले पेशन गोई कि थी के दुनिया के हर आदमी कि मुठी में यह चीज़ें दे जाऊँगा। ५ ऑक्टोबर २०११ जिस वक़्त Cancer से उस कि मौत हुई दुनिया को Iphone ,ipad कि सूरत में अपने ख्वाब का हकीकत में रंग भर के दुनिया से रुखसत हुवा। आज mobile application में हर चीज़ अवेलेबल है। शायद जमशीद का गोला जिस में वोह दुनिया को देखा करता था इस से कई कदम पीछे छूट गया। आप mobile पर net access कर सकते हैं ,अपना blood pressure देख सकते हैं,TV  operate कर सकते हैं। video कॉल कर सामने वाले को देख
सकते हैं। body tempreture,दिल कि रफ़्तार कितने  कदम दिन भर चले ,calories बर्न ,कुछ भी डाउन लूद कर लो।
सिनेमा books
              आज इस दौर में तरककी कि रफतार इन्तहा को पहुँच चुकी  है। आज आप मोबाइल ख रीदें कल पुराना रोज़ बरोज़ कर के नए model launch होतें हैं। नए नये application के साथ frigde ,washing machines मार्किट में launch किये जातें हैं। auto car ,उड़ने वाली कार ,रोबोट से operation, चाँद, mars पर colony जाने क्या क्या
               हमारे उर्दू शायिर इस दौर में भी वही राग अलापें हुवें हैं। गुल बुल बुल ,जाम व मीना ,मेहबूब का सरू कद ,शबे फ़िराक़। ज़माना इतनी तरककी कर चूका है के आज का नौजवान चिलमन ,फ़िराक, आहें,किसी चीज़ पर यक़ीन नहीं रखता। लड़का हो या लड़की एक ही उसूल पर गामज़न है "तू नहीं और सही " क़ल एक नौजवान से बहस हो गयी कहने लगा " अंकल तुम्हारे शायरों ने जिस जान-फिशानी से इतने दीवान तैयार किये हैं इन को जमा कर के एक काम कि चीज़ भी बनायीं जा सकती है ? मैं लाजवाब होगया। 

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