गुरुवार, 27 मई 2021

IBNE BATUTA (Misbah Anjum)

अल्हाज मिस्बाह अंजुम सर 




 नाम :मिस्बाह अंजुम सैफुद्दीन शेख़ 

शरीके हयात : शमीम मिस्बाह अंजुम शैख़ 

तारीख़े पैदाइश :०३/०८/१९४८ 

शहर के अँधेरे को एक चिराग़ काफी है 

सौ चिराग़ जलते हैं एक चिराग़ जलने से 

जनाब मिस्बाह अंजुम ने सैफुद्दीन शेख़ के घर जनम लिया। जनम प्रताप हॉस्पिटल अमलनेर में हुवा। वालेदैन ने बहुत सोच कर नाम रखा मिस्बाह यानि चिराग़ और अंजुम मानी स्टार (सितारा ) दोनों रौशनी बांटते है। ज़िन्दगी भर तालीम की रौशनी अपने स्टुडण्टस में बांटते रहे ,बच्चों की बेहतरीन परवरिश की उनेह भी इल्म की दौलत से माला माला किया। 

मिस्बाह सर का  बचपन जलगांव के शिवजी नगर (पूना फ़ाइल) में गुज़रा। Z .P .School नंबर १३ में 4th तक तालीम हासिल की। स्कूल नंबर १० से फाइनल तक पढ़ाई की,फाइनल में पुरे डिस्ट्रक्ट में पहला मक़ाम हासिल किया । अब तक अपने  मोहतरम उस्ताद उस्मान जनाब को नहीं भूले जिनोह् ने उनकी तालीमी बुनियादो को मज़बूत किया। नेशनल उर्दू स्कूल कल्याण से  १९६५  में मीट्रिक फर्स्ट डिवीज़न में पास किया स्कूल में टॉप किया । उस दौर में इस्माइल युसूफ कॉलेज में एडमिशन मिलाना हर किसी का ख्वाब होता था। कॉलेज में सारी पढ़ाई स्कालरशिप मिला कर की।  सर ने इस्माइल युसूफ कॉलेज से B.Sc का एग्जाम पास किय।  घरेलु  हालत को मद्दे नज़र रखते हुवे फ़ारुक़ सत्तार उमर भाई बॉयज स्कूल में साइंस मैथ्स जैसे मुश्किल सब्जेक्ट्स को सिखाने का बेडा उठाया। स्कूल से उनेह B.Ed  करने का मौका दिया गया ,साधना इंस्टिट्यूट से B.Ed  किया । २००६ तक स्कूल के  बच्चों का मुस्तकबिल सवारते रहे। बेशुमार क़ौम के बच्चे  इंजीनियर ,डॉक्टर ,पॉलिटिशियन , वकील ,जज  हर field में उनकी तरबियत से बने हैं । स्कूल के प्रिंसिपल की पोस्ट से  ऑगस्ट २००६ में फ़ख़र से रिटायर हुए। 

क्यों डरे ज़िन्दगी में क्या होंगा   कुछ न होंगे तो तजुर्बा होंगा 

मिस्बाह सर ने इस दौरान IIT का एंट्रेंस टेस्ट भी दिया। C.C Shroff  से एक साल का Diploma in Industrial Research and Management (Chemistry ) कोर्स भी किया। अपने knowledge को  हमेशा update करते रहे। Garware Institute से COBOL ,Computer Analysis का कोर्स  भी किया।  अल्हम्दोलीलाह knowledge अपडेट होने की वजह से बच्चों की रहनुमाई में उनेह आसानी हुवी। 

 रोचा खुशबूदार घास से खुशबु बनाने का हुनर सीखने के लिए कश्मीर तक का सफर किया । princess street के चक्कर काटे। लेकिन हर चीज़ के लिए ज़रूरी होता है सरमाया। खैर जो हुवा बेहतर हुवा वरना हम एक बेहतरीन उस्ताद की खिदमात से महरूम होजाते। 

खिज़ा में फूल  खिलाने का है जूनून अलग 

मिस्बाह सर ने अपने बच्चोँ की तालीम उनकी शादियों की ज़िम्मेदारी से निपटने के बाद २००७ साल से फॅमिली ट्री बनाने के मिशन को जूनून की तरह अपनाया। कोलंबस की तरह हर गांव हर शहर में  जहां रिश्तेदार बसे हैं घर घर जा कर मालूमात हासिल की। रिश्तेदारों की शादी में शरीक होते, मै ने देखा है वह अपने दफ्तर के साथ तशरीफ़ लाते । इबने बतूता की तरह अपने इस family tree की आबयारी की अपने खून पसीने से सींचा ,मुझे यक़ीन है एहतेशाम ,फैसल ,डॉ सलमान ,रेहान ,मुनज़्ज़ा और फरहा से भी उनोहने मदद ली होंगी । मुझे लगता है वो रिकॉर्ड में इंट्री करते समय बावज़ू होकर जानमाज़ पर बैठ कर पूरी यकसूई से इंद्राज (entry )करते होंगे के कोई ग़लती न होजाये। १३  साल की कड़ी लगन ,जान फिशनी के बाद जो नतीजा आया उनोहने एक तारीख़ रक़म (लिखना ) कर दी,ये एक संग मील की हैसियत रखता है ।  ख़ानदान के  हर बुज़ुर्ग की मालूमात इस में मौजूद है। सदियों उनके कारनामे को रिश्तेदारों में याद किया जाएंगे। शायद किसी शायर उनिहि के लिए कहा है 

मेरे जूनून का नतीजा ज़रूर निकलेगा 

इसी सियाह (black ) समंदर से नूर निकलेगा 

इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने 

उनकी औलाद कनाडा ,बहरीन ,इंग्लैंड ,रूरकी ,नाला सुपरा ,बेंगलोरे में क़याम पज़ीर है। हज करने के बाद सुकून हासिल हुवा तो सैय्याह (Turist ) की तरह अपने पोतो ,पोतिया,नवासे निवासियों से मिलने के लिए निकल पड़ते हैं। हर जगह ज़हन में रिश्तेदारों की फलाह के लिए स्कीमें बनाते रहते है। 

अल्लाह मिस्बाह सर को सेहत के साथ हयाते ख़िदर आता करे। उनका साया हम पर क़ायम रखे।  आमीन सुम्मा आमीन। 

जहाँ रहे वो खैरियत के साथ रहे 

 उठाये हाथ तो एक दुआ याद आयी