सोमवार, 4 जनवरी 2021

GHULAAM MOHIYODDIN SAYYED

मौत से किसको रस्त्गारी है 

आज वो कल हमारी बारी है  

ग़ुलाम मोहियुद्दीन सय्यद की यादगार तस्वीर 
नाम : ग़ुलाम मोहियुद्दीन सय्यद ,तारीख़े पैदाइश:१०/११/१९३५ ,वफ़ात :१९/१०/२०१८ 
वालिद का नाम : इकरामुद्दीन सय्यद 
बीवी का नाम : मरहूमा शकीला ग़ुलाम मोहियुद्दीन 
औलादों के नाम :अज़हर जमाल , मरहूम अतहर जमाल ,रईस जमाल ,सबीना साजिद शैख़ ,राफ़ेआ 
रुबीना नदीम सैयद 

अक्सर नवापुर में लोगों के नाम के साथ उर्फियत लगी नज़र आती है। अच्छे भले नाम की मट्टी पलीद कर दी जाती है। मरहूम  ग़ुलाम मोहियुद्दीन सय्यद  को अच्छा हुवा,अपने सही नाम से ज़िन्दगी भर जाना गया। मरहूम रिश्ते में सगे मामू होते है। बचपन में ही हमारी वालिदा बिस्मिल्ला का इंतेक़ाल होगया था। हम सब भाइयों को अपने बच्चोँ से बढ़  कर चाहा। हमारी तालीम पर खास तौर पर तवज्जोह दी।

कहाँ बचकर चली  ऐ फसले गुल मुझ आबला पॉ  से 

मेरे कदमों की गुलकारी बियाबान से चमन तक है 

मरहूम ग़ुलाम मोहियुद्दीन सैयद ने  ज़िन्दगी भर भड़भूँजे जैसे छोटे देहात में कारोबार किया। आदिवासियों के बीच दूकान चलना बड़ा दुश्वार होता है। मरहूम ने जिस ईमानदारी से कारोबार किया उसकी मिसाल नहीं दी जा सकती। अपनी औलाद को भी अपने रंग में ढाल गए। 

मरहूम ग़ुलाम मोहियुद्दीन बड़े सच्चे ,ईमानदार वादे के पक्के थे। ज़िन्दगी अपने उसूलों पर जिये। बड़ी DISCIPLINED लाइफ गुज़ारी। खामोश तबियत थे। अपने से छोटे उम्र के बेटों , बेटियों ,भांजों ,भांजियों ,भतीजे भतीजियों तक को आपा ,दादा कह कर मुखातिब किया करते। कभी किसी से रंजिश नहीं रखी, न किसी से ग़ुस्से तैश में बात करते। आखिर उम्र में नवापुर के मुस्लिम मोहल्ले के मकान में रिहाइश पज़ीर हो गए थे। इंतेक़ाल से चार साल पहले उनकी अहलिया शकीला ,इस दुनिया से रुखसत हो गयी थी ,उनकी बीमारी के दौरान मरहूम ने ७ साल तक उनका बेहद ख्याल रखा। 

दो साल गुज़र गए मरहूम ग़ुलाम मोहियुद्दीन को हम से जुदा हुवे ,दिन महीने साल इसी तरह गुज़रते रहेंगे ,वक़्त कहा किसी के लिए रुका है। हम सब भी जाने कब तारीख का हिस्सा बन जायेंगे।  रहे बाकि नाम अल्लाह का। मरहूम ग़ुलाम मोहियुद्दीन नवापुर के ईद गाह कब्रस्तान में अपनी अहलिया के पड़ोस में आराम फरमा है। 

उदास छोड़ गया वो हर  एक मौसम को 

गुलाब  खिलते थे कल जिस के मुस्कुराने से