रविवार, 28 अप्रैल 2019

फरहीन (रौशनी) का निकाह

मुबाशिर का मतलब होता है खुश्ख़बरी सुनाने वाला और फरहीन का मतलब (खुश) और उस का दूसरा नाम है रौशनी यानि लाइट। दोनों का निकाह आज २६ अप्रैल २०१९ को खुश असलूबी से मुकम्मिल हुवा। मुझे यक़ीन है मुबाशिर फरहीन को हमेशा खुश रखेगा। मुबाशिर भी रिश्ते में हमारा नवासा ही हुवा। वो हमारे बड़े भाई बुध्या दादा का नवासा है। अल्हम्दोलीलाह करीबी रिश्तेदारी होने की वजह से दिली इत्मीनान होता है के लड़की अपनों ही में बियाही जा रही है।
   हालाँकि फरहीन हमारी नवासी है। लेकिन बचपन ही से मुझे  उस से लगाव रहा है दिली उन्सियत  रही है। उस ने भी जिस मेंहनत जिस लगन से graduation किया है , काबीले तारीफ है। मुफिजा और मुजाहिद भी मुबारकबाद के मुस्तहिक़ है के उनोह ने फरहीन की तालीम व तरबियत में दिलो जान से उस की मदद की। फरहीन ने १० वी जमात ही से अपनी तालीम के साथ साथ अड़ोस पड़ोस के ज़रूरत मंद बच्चों से मामूली ट्यूशन फीस ले कर उनेह सिखाया पढ़ाया। अपनी studies के अखराजात पूरी करती रही। आज भी माशाल्लाह २५ गरीब घरानों के बच्चे उस के पास  tuition के लिए आतें हैं और वो उनेह मेंहनत से पढ़ाती  है। मुझे अपने वालिद मारहुँम हाजी क़मरुद्दीन की याद ताज़ा हो गयी जिनोह्  ने काटिया फ़ैल में मामूली फीस ले कर tuition classes शुरू की थी और कई ज़रुरत मन्द  ग़रीब मुस्लिम बच्चों के रोशान मुस्तकबिल की बुनियाद रखी थी। 
  ख़ुशी इस बात की है के हम सब मॉमू मुमानियों ,भांजे भांजियों ,भतीजे ,भतीजियों ने  मुफिजा के इस शादी के फ़र्ज को अदा करने के लिए माली  इमदाद (financial help ) फ़राहम की। अल्लाह सब मदद करने वालों के रिज़्क़ में बरकत दे। उन सब की परेशानियां दूर करें आमीन सुमा आमीन। ज़ाहिद अली का शुक्र गुज़ार हूँ के बीमारी कमज़ोरी के बावजूद अपने आप को इस काम के लिए वक़्फ़ कर दिया। जिस खुश असलूबी से उस ने दावत का इंतज़ाम  किया,जहेज़ जमा किया कबीले सताइश है। आबिदा ,शाहीन ,उज़ैर ,उमेर और मोहिब ने भी अपना किरदार बेहतरीन तरीके से अंजाम दिया दिन रात मेहनत की और प्रोग्राम को कामियाब बानने में मदद की। 
  मेरी जानिब से तमाम मेहमानान का शुक्रिया के इस रस्म निकाह में शिरकत की और programme  को कामयाब बनाया।